समुद्री तापमान में वृद्धि के बावजूद खुर-पंजे वाले केकड़े कोरल की रक्षा में सहायक: शोध

अध्ययन के मुताबिक, केकड़ों द्वारा संरक्षित कोरल में ऊतक के नुकसान से पीड़ित होने की संभावना 60 फीसदी कम थी, जिससे उनके बचने की संभावना बहुत बढ़ गई, भले ही पानी गर्म ही क्यों न हो गया हो।
कोरल रीफ दो कारणों से संकट में हैं, पहला यह कि जिस पानी में वे रहते हैं उसका स्तर बढ़ रहा है और दूसरा यह कि वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा समुद्र के पानी को और अधिक अम्लीय बना रही है।
कोरल रीफ दो कारणों से संकट में हैं, पहला यह कि जिस पानी में वे रहते हैं उसका स्तर बढ़ रहा है और दूसरा यह कि वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा समुद्र के पानी को और अधिक अम्लीय बना रही है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, जोसचमिट्टी
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एक नए शोध में पाया गया है कि ग्रेट बैरियर रीफ के हेरॉन द्वीप के आसपास हरे रंग के स्टैगहॉर्न कोरल के पानी के बढ़ते तापमान में जीवित रहने की संभावना अधिक होती है, यदि खुर-पंजे वाले केकड़े निकटवर्ती इलाकों में रहते हों। इस बात की जांच-पड़ताल ड्यूक विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिकों, न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर की है।

अध्ययन में कहा गया है कि इस बात को सिद्ध करने के लिए, शोधकर्ताओं ने कोरल के नमूने एकत्र किए और उनका प्रयोगशाला में परीक्षण किया।

पिछले शोधों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन कोरल रीफ को खतरे में डाल रहा है, जो बदले में उन पर और उनके आसपास रहने वाले जीवों को खतरे में डालता है।

कोरल रीफ दो कारणों से संकट में हैं, पहला यह कि जिस पानी में वे रहते हैं उसका स्तर बढ़ रहा है और दूसरा यह कि युमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा समुद्र के पानी को और अधिक अम्लीय बना रही है

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कोरल रीफ दो कारणों से संकट में हैं, पहला यह कि जिस पानी में वे रहते हैं उसका स्तर बढ़ रहा है और दूसरा यह कि वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा समुद्र के पानी को और अधिक अम्लीय बना रही है।

शोध में कहा गया है कि कोरल रीफ का कई समुद्री प्रजातियों के साथ सहजीवी संबंध है। शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले इस बात की जांच की गई कि क्या इनमें से कोई भी संबंध कोरल को बदलती परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद कर सकता है।

पिछले शोधों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का ग्रीन स्टैगहॉर्न कोरल पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है, जो उथली रीफ बनाते हैं, वे विरंजन से पीड़ित हैं, जो उन्हें बीमारी और स्टारफिश द्वारा शिकार के लिए अधिक संवेदनशील बनाता है। विशेष रूप से जब स्टार फिश कोरल खाती हैं, तो वे खुले घाव बनाती हैं जो संक्रमण और कई बार इसके कारण मौत तक हो जाती है।

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जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि उन्हें पता था कि खुर-पंजे वाले केकड़े हरे रंग के स्टैगहॉर्न कोरल के आस-पास रहते हैं और उनके बीच के रिश्ते को दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है।

यह पता लगाने के लिए कि क्या केकड़े कोरल को उनके पर्यावरण में होने वाले बदलावों से बचने में मदद कर रहे हैं, शोधकर्ताओं ने कई नमूने एकत्र किए और उनका प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया।

शोध के मुताबिक, प्रयोगशाला में, शोधकर्ताओं ने कोरल को उनके प्राकृतिक समुद्री घर के समान परिस्थितियों में रखा, यहां तक कि जमा करने वाली जगहों से समुद्री पानी का भी उपयोग किया गया।

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कोरल रीफ दो कारणों से संकट में हैं, पहला यह कि जिस पानी में वे रहते हैं उसका स्तर बढ़ रहा है और दूसरा यह कि वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा समुद्र के पानी को और अधिक अम्लीय बना रही है।

जैसा की शोध में बताया गया है, शोधकर्ताओं द्वारा देखा कि स्टारफिश द्वारा शिकार करने से घाव हो गए जिससे एक प्रकार का बलगम "खून" निकला, जिसने बदले में अन्य प्रजातियों को आकर्षित किया, जिनमें से एक खुर-पंजे वाला केकड़ा था। शोधकर्ताओं ने देखा कि केकड़े बलगम खाते हैं लेकिन कोरल को नुकसान पहुंचाते नहीं पाए गए।

शोध में पाया गया कि खुर-पंजे वाले केकड़े आस-पास के समुद्री शैवाल खाते थे, जो आम तौर पर संक्रामक बैक्टीरिया के वाहक होते हैं, जिससे कोरल में संक्रमण की रोकथाम होती है।

शोधकर्ताओं ने यह भी निर्धारित किया कि नियंत्रण समूह की तुलना में, केकड़ों द्वारा संरक्षित कोरल में ऊतक के नुकसान से पीड़ित होने की संभावना 60 फीसदी कम थी, जिससे उनके बचने की संभावना बहुत बढ़ गई, भले ही पानी गर्म ही क्यों न हो गया हो।

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