दुनिया के कुछ बड़े शहर ग्रीनहाउस गैस का 52 फीसदी तक उत्सर्जित करने के लिए हैं जिम्मेवार

प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की सूची से पता चला है कि यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के शहरों में विकासशील देशों के अधिकांश शहरों की तुलना में काफी अधिक उत्सर्जन हुआ था।
Photo : Wikimedia Commons
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एक नए अध्ययन में दुनिया भर के प्रमुख शहरों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) की पहली वैश्विक स्थिति का विवरण (बैलेंस शीट) प्रस्तुत की गई है। इसका उद्देश्य दुनिया भर के 167 अलग-अलग शहरों द्वारा ग्रीनहाउस गैस पर लगाम लगाने के कामों और नीतियों से कितना असर हुआ इसकी निगरानी करना है।

छह साल पहले दुनिया भर के 170 देशों ने पेरिस समझौते को अपनाया था। इसमें रखे गए लक्ष्य जिसमें औसत वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना था। समझौते के बाद, कई देशों और शहरों ने ग्रीनहाउस गैस पर लगाम लगाने के लिए लक्ष्य रखे।

हालांकि, यूएनईपी उत्सर्जन गैप रिपोर्ट 2020 से पता चलता है कि, जलवायु संकट को कम करने के लिए कठोर और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। हम अभी भी 21वीं सदी के अंत तक 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान में वृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं।  

जबकि शहर पृथ्वी की सतह के केवल 2 फीसदी हिस्से को कवर करते हैं, ये जलवायु संकट को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन वर्तमान शहरी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य इस सदी के अंत तक वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काफी नहीं हैं। आजकल दुनिया भर की आबादी की 50 फीसदी से अधिक आबादी शहरों में रहती है।

सन यात-सेन विश्वविद्यालय के डॉ. शाओकिंग चेन कहते हैं कि शहरों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 70 फीसदी से अधिक के लिए जिम्मेदार बताया जाता है। शहर वैश्विक अर्थव्यवस्था के डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी साझा करते हैं। शहरों द्वारा उपयोग की जाने वाली वर्तमान फेहरिस्त विश्व स्तर पर अलग-अलग होती हैं। जिससे समय और स्थान के साथ उत्सर्जन को कम करने की प्रगति का आकलन और तुलना करना कठिन हो जाता है।

सबसे बड़े प्रदूषक शहर

सबसे पहले अध्ययनकर्ताओं ने 167 शहरों जिसमें दक्षिण अफ्रीका के डरबन, इटली के मिलान जैसे महानगरीय शहरों में ग्रीनहाउस उत्सर्जन सूची की जांच की है। फिर उन्होंने अलग-अलग सालों 2012 से 2016 तक दर्ज उत्सर्जन सूची के आधार पर शहरों की कार्बन में कमी करने की प्रगति का विश्लेषण और तुलना की है।

अंत में उन्होंने शहरों के लघु, मध्य और दीर्घकालिक कार्बन को कम करने के लक्ष्यों का आकलन किया है। शहरों को 53 देशों- उत्तर और दक्षिण अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया से चुना गया था। इन्हें शहरी आकार और क्षेत्रीय वितरण में प्रतिनिधित्व के आधार पर चुना गया था।

परिणामों से पता चला कि विकसित और विकासशील दोनों देशों में कुल उच्च ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन वाले शहर शामिल हैं। लेकिन एशिया में महानगर जैसे चीन में शंघाई और जापान में टोक्यो विशेष रूप से बहुत बड़े उत्सर्जक थे। प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की सूची से पता चला है कि यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के शहरों में विकासशील देशों के अधिकांश शहरों की तुलना में काफी अधिक उत्सर्जन था।

दुनिया भर के 167 शहरों में से शीर्ष 25 (15 फीसदी) शहरों ने कुल ग्रीनहाउस उत्सर्जन का 52 फीसदी उत्सर्जित करते हैं। इनमें मुख्य रूप से एशिया के देशों जैसे चीन में- हैंडन, शंघाई और सूज़ौ और जापान में टोक्यो और यूरोपीय संघ के देशों से रूस -मास्को और तुर्की - इस्तांबुल शामिल हैं।

चीन जिसे यहां विकासशील देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यहां भी कई शहर ऐसे थे जहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विकसित देशों के समान था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कई विकसित देश चीन को उच्च कार्बन उत्पादन श्रृंखलाओं की भूमिका से जोडते हैं, जो बाद में निर्यात-संबंधी उत्सर्जन को बढ़ाता है।

शोधकर्ताओं ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कुछ सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों की भी पहचान की है। अलग-अलग क्षेत्र द्वारा उत्सर्जन को कम करने के लिए सुझाव लिए जा सकते हैं। उत्सर्जन करने वाले क्षेत्रों में इमारतें, परिवहन, औद्योगिक प्रक्रियाएं और अन्य स्रोतों से उत्सर्जन को कम करने के लिए किन कार्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए इसके बारे में भी सुझाव लिए जा सकते हैं।  

अक्षय ऊर्जा - जिसमें ईंधन के दहन से उत्सर्जन और आवासीय और संस्थागत भवनों, व्यावसायिक भवनों और औद्योगिक भवनों में बिजली का उपयोग शामिल हैं। इन सभी ने उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय शहरों में कुल उत्सर्जन को 60 से 80 फीसदी बढ़ाया है। एक तिहाई शहरों में, कुल जीएचजी उत्सर्जन का 30 फीसदी से अधिक सड़क पर चलने वाले परिवहन से था। इस बीच, कुल उत्सर्जन का 15 फीसदी से भी कम रेलवे, जलमार्ग और विमानन से हुआ।

अंत में, निष्कर्ष बताते हैं कि अध्ययन के दौरान शहरों के बीच उत्सर्जन के स्तर में वृद्धि और कमी अलग-अलग होती है। 30 शहरों में 2012 से 2016 के बीच उत्सर्जन में कमी आई थी। प्रति व्यक्ति सबसे बड़ी कमी वाले शीर्ष चार शहर ओस्लो, ह्यूस्टन, सिएटल और बोगोटा थे। प्रति व्यक्ति उत्सर्जन में सबसे अधिक वृद्धि वाले शीर्ष चार शहर रियो डी जनेरियो, कूर्टिबा, जोहान्सबर्ग और वेनिस थे। यह अध्ययन जर्नल फ्रंटियर्स इन सस्टेनेबल सिटीज में प्रकाशित हुआ है।

ग्रीनहाउस गैस पर लगाम लगाने के लिए नीति और सिफारिशें

167 शहरों में से 113 ने विभिन्न प्रकार के जीएचजी उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जबकि 40 ने कार्बन को शून्य करने के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। लेकिन यह अध्ययन कई अन्य रिपोर्टों और शोधों से जुड़ता है जो बताते हैं कि हम पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने से बहुत दूर हैं।

चेन और उनके सहयोगी तीन प्रमुख नीतिगत सिफारिशें करते हैं। पहला - ग्रीनहाउस गैस को कम करने की अधिक प्रभावी रणनीतियों के लिए प्रमुख उत्सर्जक क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें लक्षित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, शहरों के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग, परिवहन, घरेलू ऊर्जा उपयोग और अपशिष्ट उपचार की भूमिकाओं में अंतर का आकलन किया जाना चाहिए।

दूसरा, शहरी ग्रीनहाउस गैस कटौती की नीतियां कितनी असरदार है इनका पता लगाने के लिए एक अच्छी और सुसंगत वैश्विक जीएचजी उत्सर्जन सूची के विकास की भी आवश्यकता है। अंत में शहरों को अधिक महत्वाकांक्षी और जीएचजी उत्सर्जन का आसानी से पता लगाने और कम करने के लक्ष्य का निर्धारित किया जाना चाहिए।

एक निश्चित स्तर पर, कार्बन की अधिकता अर्थव्यवस्था के डीकार्बोनाइजेशन को दर्शाने वाला एक उपयोगी संकेत है। तेज आर्थिक विकास और उत्सर्जन में वृद्धि, शहरों में इससे बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। 2050 तक वैश्विक कार्बन पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए इसकी तीव्रता कम करने वाले लक्ष्यों को पूरा करना होगा।

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