भारत में सांप के काटने का संकट गहराएगा, जलवायु परिवर्तन है बड़ी वजह

भारत में सांप के काटने से होने वाली ज्यादातर मौतें चार विषैले सांपों की वजह से होती हैं। इन्हें “बिग फोर” कहा जाता है। इनमें भारतीय नाग, कॉमन करैत, रसैल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं।
अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी सांप के काटने का खतरा दोगुना हो सकता है।
अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी सांप के काटने का खतरा दोगुना हो सकता है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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Summary
  • जलवायु परिवर्तन से भारत में सांप के काटने का खतरा और बढ़ सकता है।

  • “बिग फोर” – नाग, करैत, रसैल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर सबसे ज्यादा जानलेवा।

  • हरियाणा, राजस्थान, असम, गुजरात और कर्नाटक में नए हॉटस्पॉट बनने के आसार।

  • अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी खतरा दोगुना हो सकता है।

  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल दुनिया में 81,000 से 1.38 लाख मौतें, इनमें सबसे बड़ी संख्या भारत से।

भारत में सांप के काटने की समस्या लंबे समय से जारी है। हर साल हजारों लोग इसकी चपेट में आते हैं और कई अपनी जान गंवा देते हैं। यह समस्या खासकर ग्रामीण और खेती वाले इलाकों में गंभीर रूप से सामने आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सांप काटने को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग की श्रेणी में रखा है, क्योंकि यह समस्या व्यापक होने के बावजूद अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है।

अब एक नया वैज्ञानिक अध्ययन चेतावनी दे रहा है कि आने वाले समय में यह संकट और गहरा सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण है जलवायु में बदलाव का होना। बढ़ता तापमान और नमी विषैले सांपों के लिए नए क्षेत्रों को उपयुक्त बना रहे हैं। यानी अब वे इलाके भी खतरे में आ सकते हैं जो अभी तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते थे।

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अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी सांप के काटने का खतरा दोगुना हो सकता है।

🐍 भारत में “बिग फोर” सांप और उनकी खतरनाक भूमिका

भारत में सांप के काटने से होने वाली ज्यादातर मौतें चार विषैले सांपों की वजह से होती हैं। इन्हें “बिग फोर” कहा जाता है। इनमें भारतीय नाग, कॉमन करैत, रसैल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं। इन चार प्रजातियों का जहर बेहद घातक होता है और ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण यही हैं।

🐍 जलवायु परिवर्तन से कैसे बदलेगा सांपों का फैलाव?

पीएलओएस नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीसेस नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, भारत में बढ़ते तापमान और नमी की वजह से विषैले सांपों के आवास में बड़ा बदलाव होगा। अध्ययन में उन्नत जलवायु मॉडल का इस्तेमाल किया गया। इसके मुताबिक, हरियाणा, राजस्थान और असम जैसे राज्यों में सांपों के लिए अनुकूल वातावरण तेजी से बढ़ेगा। अब तक जिन इलाकों को कम खतरा वाला माना जाता था, वे आने वाले दशकों में “हॉटस्पॉट” बन सकते हैं।

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अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी सांप के काटने का खतरा दोगुना हो सकता है।

🐍 सबसे अधिक जोखिम वाले जिले

शोधकर्ताओं ने स्नेकबाइट रिस्क इंडेक्स तैयार कर यह पता लगाया कि किन जिलों में खतरा सबसे ज्यादा है। इनमें दक्षिण भारत के कर्नाटक (चिकबल्लापुर, हावेरी, चित्रदुर्ग) और गुजरात (देवभूमि द्वारका, जामनगर), उत्तर और उत्तर-पूर्व भारत के असम (नगांव, मोरीगांव, गोलाघाट), मणिपुर (टेंग्नौपाल), राजस्थान (प्रतापगढ़) शामिल हैं। इन क्षेत्रों में इंसान और सांप के बीच टकराव के आसार भविष्य में और बढ़ जाएगी।

🐍 “सुरक्षित” क्षेत्र भी हो सकते हैं असुरक्षित

अध्ययन ने चेतावनी दी है कि उत्तर-पूर्वी भारत के कई राज्य, जैसे मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश, जहां अब तक सांप काटने का खतरा बहुत कम था, भविष्य में सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल हो सकते हैं।

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अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी सांप के काटने का खतरा दोगुना हो सकता है।

यहां आने वाले दशकों में उपयुक्त सांप आवास 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकता है। इसका सीधा मतलब है कि लाखों लोग, जो अब तक इस खतरे से अंजान थे, भविष्य में खतरों का सामना करेंगे।

🐍 भारत में सांप काटने से मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में हर साल लगभग 81,000 से 1.38 लाख मौतें सांप के काटने से होती हैं। इनमें से सबसे बड़ी संख्या भारत से आती है।

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भारत में अधिकतर पीड़ित गरीब, ग्रामीण या किसान होते हैं। खेतों में काम करने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि उनका सीधा संपर्क जमीन और झाड़ियों से होता है। कई बार एंटीवेनम समय पर उपलब्ध नहीं होता या इलाज में देर हो जाती है, जिससे जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

🐍 क्यों है यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट?

सांप काटने की समस्या सिर्फ एक चिकित्सा चुनौती नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक संकट भी है। पीड़ित परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर होने से मरीज को समय पर उपचार नहीं मिल पाता। कई बार अस्पताल तक पहुंचने में देर हो जाती है।

अब जब जलवायु परिवर्तन इस समस्या को और गंभीर बना रहा है, तो आने वाले सालों में यह देश के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन सकती है।

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🐍 क्या कदम उठाने होंगे?

विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खतरे से निपटने के लिए तुरंत और लंबे समय दोनों स्तरों पर कदम उठाने होंगे:

एंटीवेनम की उपलब्धता बढ़ाई जाए: जिन जिलों और राज्यों में खतरा सबसे ज्यादा है, वहां पर्याप्त मात्रा में एंटीवेनम का भंडार होना चाहिए।

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों को सांप के काटने के मामलों के इलाज के लिए प्रशिक्षित और सक्षम बनाया जाए।

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जन जागरूकता अभियान: गांवों और कस्बों में लोगों को सांप से बचाव, सुरक्षित रहने के तरीके और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी जाए।

स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण: डॉक्टरों और नर्सों को सांप के काटने की पहचान और इलाज के आधुनिक तरीकों में प्रशिक्षित किया जाए।

जलवायु परिवर्तन से निपटने की कोशिश: लंबी अवधि में पर्यावरणीय नीतियां और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के प्रयास भी इस समस्या की जड़ को कम कर सकते हैं।

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अब तक “सुरक्षित” माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्य (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) में भी सांप के काटने का खतरा दोगुना हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में सांप काटने का खतरा नए रूप में सामने आ रहा है। “बिग फोर” जैसे विषैले सांप अब उन क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं जो अभी तक सुरक्षित माने जाते थे। इसका सीधा असर लाखों लोगों की जिंदगी पर पड़ेगा।

इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते एंटीवेनम की उपलब्धता, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और लोगों को जागरूक करने जैसे कदम उठाए जाएं । अगर अभी से तैयारी की जाए तो आने वाले सालों में हजारों लोगों की जानें बचाई जा सकती है और इस संकट को बड़े पैमाने पर नियंत्रित किया जा सकता है।

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