थ्वाइट्स ग्लेशियर के पीछे हटने से 10 फीट तक बढ़ सकता है समुद्र का स्तर

थ्वाइट्स के पीछे हटने से पड़ने वाला प्रभाव ग्लेशियर और आसपास के बर्फीली घाटियों का कुल नुकसान समुद्र के स्तर को 3 से 10 फीट तक बढ़ा सकता है
थ्वाइट्स ग्लेशियर के पीछे हटने से 10 फीट तक बढ़ सकता है समुद्र का स्तर
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वेस्ट अंटार्कटिका में थ्वाइट्स ग्लेशियर जो कि 170,312 वर्ग  किलोमीटर अर्थात अमेरिका के फ्लोरिडा के आकार के बराबर है। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे हटने से दुनिया भर में समुद्र के स्तर में वृद्धि होने का पूर्वानुमान लगाया है।

यह विशाल बर्फ की धारा पहले से ही तेजी से पीछे हट रही है, जो बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है कि यह समुद्र में अपनी बर्फ के कितने हिस्से को कितनी तेजी से मिला सकती है।

थ्वाइट्स के पीछे हटने से पड़ने वाला प्रभाव ग्लेशियर और आसपास के बर्फीली घाटियों का कुल नुकसान समुद्र के स्तर को 3 से 10 फीट तक बढ़ा सकता है

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के कॉलेज ऑफ मरीन साइंस में समुद्री भूभौतिकीविद् एलेस्टेयर ग्राहम के नेतृत्व में किया गया नया अध्ययन चिंता को उजागर करता है। पहली बार, वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर के सामने समुद्र तल के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र का उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्रण किया है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि थ्वाइट्स कितनी तेजी से पीछे हट गया और अतीत में चला गया।

छवि भूगर्भीय विशेषताओं को दिखाती है जो विज्ञान के लिए नई हैं और थ्वाइट्स के भविष्य को देखने के लिए एक प्रकार की जानकारी भी प्रदान करती हैं। लोगों और बर्फ की चादरों में समान रूप से, पिछला व्यवहार भविष्य के व्यवहार को समझने के लिए अहम है।

टीम ने 160 से अधिक समानांतर लकीरों का दस्तावेजीकरण किया, जो एक पदचिह्न की तरह बनाई गई थीं। क्योंकि ग्लेशियर का प्रमुख किनारा पीछे हट गया और जो रोज आने वाले ज्वार के साथ ऊपर और नीचे उछलता रहता है।

ग्राहम ने कहा ऐसा लगता है जैसे आप समुद्र तल पर एक ज्वार का असर देख रहे हैं। यह वास्तव में दिमाग को हिला देने वाले आंकड़े हैं।

ग्राहम ने कहा चिंताजनक बात यह है कि थ्वाइट्स के पीछे हटने की दर, जिसे वैज्ञानिकों ने हाल ही में दर्ज किया है, अपने अतीत में बदलाव की सबसे तेज दरों की तुलना में कम है।

थ्वाइट्स के पिछले पीछे हटने की घटना को समझने के लिए, टीम ने ध्रुवीय महासागर के नीचे 700 मीटर में डूबी हुई पसली जैसी संरचनाओं का विश्लेषण किया। इस क्षेत्र के लिए ज्वारीय चक्र में बदलाव किया, जैसा कि कंप्यूटर मॉडल द्वारा पूर्वानुमान लगाया गया था।

पिछले 200 वर्षों में किसी बिंदु पर, छह महीने से कम की अवधि में, ग्लेशियर के सामने एक समुद्री रिज या पृष्ठ के साथ संपर्क खो दिया और 2.1 किलोमीटर प्रति वर्ष से अधिक की दर से पीछे हट गया। 2011 से 2019 के बीच उपग्रहों का उपयोग करके दर का दस्तावेजीकरण किया गया।

ग्राहम ने कहा हमारे नतीजे बताते हैं कि पिछली दो शताब्दियों में और संभवतः हाल ही में 20वीं शताब्दी के मध्य में थवाइट्स ग्लेशियर के बहुत तेजी से पीछे हटने की जानकारी सामने आई हैं।

छवियों को एकत्र करने और भूभौतिकीय आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए टीम ने आर/ वी नथानिएल बी. पामर 2019 में एक अभियान किया। इस अभियान में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और स्वीडन के वैज्ञानिक शामिल थे।

ग्राहम ने कहा कि स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा संचालित रैन ने 20 घंटे के मिशन पर काम शुरू किया, जो खतरनाक था। इसने ह्यूस्टन के आकार के बारे में ग्लेशियर के सामने समुद्र तल के एक क्षेत्र का मानचित्रण किया और समुद्री बर्फ की कमी के लिए उल्लेखनीय एक असामान्य गर्मी के दौरान चरम स्थितियों में ऐसा किया गया था।

ग्राहम ने बताया कि इसने वैज्ञानिकों को इतिहास में पहली बार ग्लेशियर के मोर्चे तक पहुंचने में मदद की।

गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के भौतिक समुद्र विज्ञानी अन्ना वोहलिन ने कहा कि यह समुद्र तल का एक अग्रणी अध्ययन था, जो स्वायत्त महासागर मानचित्रण में हालिया तकनीकी प्रगति और वॉलनबर्ग फाउंडेशन द्वारा इस शोध के बुनियादी ढांचे में निवेश करने के एक साहसिक निर्णय से संभव हुआ। रैन ने जो चित्र एकत्र किए हैं, वे हमें आज ग्लेशियर और महासागर के बीच होने वाली प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

ग्राहम ने कहा थ्वाइट्स को बस एक छोटी सी ठोकर से बड़ी प्रतिक्रिया मिल सकती है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लगभग 40 प्रतिशत मानव आबादी समुद्र तट के 60 मील के दायरे में रहती है, जो बढ़ते जल स्तर के जद में आ सकती है। यह शोध नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है

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