फाइटोप्लांकटन का तेजी से खिलना दे रहा जलवायु में भारी बदलाव का संकेत: अध्ययन

अध्ययन में पाया गया कि ओमा चक्रवात की वजह से फाइटोप्लांकटन का खिलना एक अनोखी घटना थी, जो एक ही स्थान पर हर 1500 वर्षों में सिर्फ एक बार होती है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, नासा गोडार्ड अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, फाइटोप्लांकटन का खिलना
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, नासा गोडार्ड अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, फाइटोप्लांकटन का खिलना
Published on

अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक, दक्षिण प्रशांत चक्रवातों के चलते ऊपरी महासागर पर पड़ने वाले असर का यह पहला अध्ययन है। इससे समुद्र के गर्म होने के कारण उस पर पड़ने वाले असर का अनुमान लगाया जा सकता है।

ओटागो विश्वविद्यालय के समुद्र विज्ञान विभाग के डॉ पीट रसेल और ऑकलैंड विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के डॉ क्रिस्टोफर होर्वत ने चक्रवात ओमा के समुद्री जैविक प्रभाव पर एक अध्ययन किया है। यह चक्रवात 2019 में दक्षिण प्रशांत महासागर के वानुअतु के पास से गुजरा था।

डॉ रसेल कहते हैं, ओमा औरों से कमजोर तथा एक सामान्य चक्रवात था, इसकी वजह से बड़े पैमाने पर फाइटोप्लांकटन खिले, यह दक्षिण प्रशांत के क्लोरोफिल को मापने के इतिहास में सबसे असामान्य घटना है।

इस तरह की एक चरम घटना समुद्र के एक हिस्से में बायोमास की एक बड़ी मात्रा का उत्पादन कर सकती है जो आमतौर पर एक जैविक रेगिस्तान है। हम अभी तक इस बायोमास के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन एक संभावना यह है कि यह तल पर जाकर खत्म हो सकता है, जिससे महासागर की कार्बन अलग हो सकती है।

अध्ययन में पाया गया कि ओमा की वजह से फाइटोप्लांकटन का खिलना अत्यधिक अनोखी घटना थी, जो एक ही स्थान पर हर 1500 वर्षों में सिर्फ एक बार होती है।

चक्रवात उन प्रक्रियाओं में से एक हैं जो उष्णकटिबंधीय इलाकों से  गर्मी को दूर करते हैं। महासागरों के गर्म होने का मतलब है कि अधिक गर्मी का बढ़ना। इसका मतलब है कि अधिक तीव्र तूफान और शायद लंबे समय तक तूफानों के मौसम का जारी रहना है।

डॉ रसेल कहते हैं, पिछली इंटर-ग्लैशल अवधि से तलछट की जांच करके, हम समुद्र के तापमान के साथ आज की तुलना में एक से अधिक डिग्री पर ज्यादा चक्रवातों आने की आशंका जता सकते हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि यदि तूफान लंबे समय तक समुद्र के एक हिस्से के ऊपर मंडराता है, तो चक्रवाती हवाओं और समुद्र के बीच प्राकृतिक संपर्क से पानी ऊपर उठ जाएगा, जिससे पोषक तत्वों से भरपूर पानी सतह पर आ जाएगा, जो फाइटोप्लांकटन खिलाने में अहम भूमिका निभाता है।

डॉ होर्वत का कहना है कि ये घटनाएं जैविक आकर्षण का केंद्र हो सकती हैं, जिससे आमतौर पर समुद्र के ऊपरी स्तर जहां जीवन कम होता है ऐसे क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में जैविक सामग्री का उत्पादन होता है।

ये चक्रवात अनोखी चीजें कर सकते हैं, तेज हवाओं के अलावा, वे ऊपरी समुद्र में रहने वाले पौधों और जानवरों पर भी असर डाल सकते हैं और कार्बन के चक्र को पौधों के खिलने के लिए बदल सकते हैं।

उन्होंने कहा खुले समुद्र में इन खिलने की घटनाओं के साथ, चक्रवात गतिविधि के परिणामस्वरूप भूमि से तटीय उथल-पुथल और बहाव दोनों होते हैं जो पोषक तत्वों को प्रकाश वाले क्षेत्र में भी पहुंचाते हैं, जहां वे खिलते हैं। खिलने की यह प्रक्रिया हमारे प्रशांत क्षेत्र के स्थानीय समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग हो सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि वे फाइटोप्लांकटन खिलने के बारे में बहुत कम जानकारी है, उन्हें अच्छा या बुरा घोषित किया जा सकता है, लेकिन उनका मानना ​​है कि उनमें  खुले समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र की सहायता करने की क्षमता है खासकर उन इलाकों में जहां पोषक तत्व सीमित हैं।

होर्वत कहते हैं, हम इसकी और जांच करने की उम्मीद करते हैं, विशेष रूप से प्रशांत द्वीपों में इसके मत्स्य पालन पर किस तरह के प्रभाव पड़गें।

शोधकर्ताओं ने गौर किया कि दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में हाल के चक्रवात ओमा अपने आप में अनोखा था। यह अध्ययन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in