
राजस्थान सरकार ने आखिरकार अपने सरकारी महकमे को राज्य की जल संचय करने की परंपरागत विधि को स्वीकारते हुए पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा कही जाने वाले जवाई बांध नहर के किनारे परंपरागत डिग्गी का निर्माण निर्माण किया जाएगा।
इसके लिए एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है। ध्यान रहे कि इस नहर में बांध से छोड़ा गया पानी तो सुमेरपुर से जोधपुर तक तो जाता ही है लेकिन बारिश के दिनों में यह नहर ओवरफ्लो हो जाती है। ऐसे में लाखों लीटर पानी ऐसे ही बह जाता है।
इसी पानी को संचय करने के लिए इस नहर के किनारे अब परंपरागत डिग्गी (पश्चिमी राजस्थान में जल संचय करने दर्जनों पारंपरिक विधियों में एक) का निर्माण किया जाएगा।
पश्चिमी राजस्थान में पिछले कुछ सालों से सामान्य से काफी अधिक हो रही है। इस साल भी पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से बहुत अधिक (79 प्रतिशत) बारिश हुई है। यहां मानसून सीजन में 9 सितंबर तक सामान्य तौर पर 265.6 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस साल अब तक 474.4 मिमी बारिश हो चुकी है। बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, जालोर, चूरू, हनुमानगढ़, नागौर, पाली और श्रीगंगानगर जिले पश्चिमी राजस्थान में आते हैं।
जानकारों का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े बांध जवाई से पाली से जोधपुर जाने वाली जवाई नहर के किनारे डिग्गी निर्माण से पाली से जोधपुर के सैकड़ों गांव को लाभ होगा। जवाई बांध से जोधुपर तक नहर की लंबाई 140 किमी है।
इस नहर से जोधपुर तक पानी ले जाने के साथ इसके आसपास डिग्गी के निर्माण से जगह-जगह पानी का संग्रहण किया जा सकेगा। इससे जवाई बांध पर निर्भरता को थोड़ा कम भी किया जा सकेगा।
नहर के किनारे डिग्गी के लिए राज्य सरकार ने अभी 90 लाख रुपए की स्वीकृति दी है। नहर के मार्ग में बारिश के अतिरिक्त पानी के संचय के लिए बनाई जाने वाली डिग्गी से 1,000 मिलियन क्यूबिक फुट (एमसीएफटी) पानी सहेजने की योजना है।
यह संचय किया गया पानी 20 लाख से अधिक की आबादी वाले पाली जिले के वासियों की करीब 4 माह तक प्यास बुझा सकता है। इस नहर में व्यर्थ बह कर जाने वाले पानी को संचय किया जाएगा। डिग्गियों के साथ गांवों के तालाबों व छोटे बांधों को भरा जाएगा, जिससे उनका पानी स्थानीय स्तर पर पेयजल के उपयोग में लाया जा सकेगा।
इसके अलावा इन डिग्गियों के निर्माण से गांवों के जलाशयों के आस-पास के कुएं रिचार्ज हो सकेंगे। इस संबंध में पाली जिले के सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता रामनारायण चौधरी ने कहा है कि हम जवाई नहर की डीपीआर बना रहे हैं।
गत 2024 में रेगिस्तानी इलाके पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 74 प्रतिशत से अधिक रिकॉर्ड दर्ज की गई थी जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 48 फीसदी अधिक बरसात हुई थी। वहीं 2023 में पश्चिमी राजस्थान में 86 फीसदी ज्यादा (27.8 एमएम) वर्षा हुई है। वहीं पूर्वी राजस्थान में 41 फीसदी कम (12.8 एमएम) वर्षा ही हुई है।
ध्यान रहे कि गत 2023 में पश्चिम राजस्थान के दस जिलों के सैकड़ों ग्रामीणों ने परंपरागत जल संचय करने की विधियों के माध्यम से चार माह से लेकर डेढ़ साल तक के लिए पेयजल और खेती करने योग्य पानी संचय किया था। और यह बिना किसी सरकारी प्रोत्साहन के ग्रामीणों ने पानी सहेजा था।
इस संबंध में बाड़मेर में सालों से जल संचय पर काम कर रहे धरम सिंह कहते हैं कि अब राज्य सरकार भी यदि जल संचय की परंपरागत विधियों के निर्माण की ओर कदम उठा रही है तो उम्मीद की जाती है कि देश के सबसे सूखे इलाके के रूप में जाने जाना वाले इस क्षेत्र में जल संचय करने की अपनी परंपरागत प्रणालियां एक बार फिर से जीवित हो जाएंगी।