मॉनसून 2024: पश्चिमी राजस्थान में सबसे ज्यादा 74 फीसदी बरसा पानी, अरुणाचल, बिहार व पंजाब रह गए 'सूखे'

अब तक उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से छह फीसदी अधिक और पूरब व पूर्वोत्तर में सामान्य से 16 फीसदी कम बारिश हुई है
भारत के दक्षिण प्रायद्वीप में अब तक 15 फीसदी अधिक बारिश देखी गई है, इस अवधि के दौरान यहां 672.3 मिमी की अपेक्षा 771.8 मिमी तक बरस गए हैं बादल।
भारत के दक्षिण प्रायद्वीप में अब तक 15 फीसदी अधिक बारिश देखी गई है, इस अवधि के दौरान यहां 672.3 मिमी की अपेक्षा 771.8 मिमी तक बरस गए हैं बादल।
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धीरे-धीरे मॉनसून की विदाई का समय नजदीक आ रहा है, लेकिन कुछ हिस्सों की प्यास अभी भी बाकी रह गई है। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में मॉनसूनी मौसम एक जून से 22 सितंबर 2024, तक के मौसम विभाग के बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां 16 फीसदी बारिश कम हुई है, इस अवधि के दौरान सामन्यतः 1297.4 मिमी तक बरसात होती है, लेकिन यहां मात्र 1084.2 मिमी ही बारिश हुई है।

मौसम विभाग के 23 सितंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि 1 जून 2024 से लेकर अब तक पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके अलावा असम और मेघालय में 17 फीसदी, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 19 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।

पूर्वी राज्य बिहार में अब तक सामान्य से 28 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि पश्चिम बंगाल में गंगा के तटवर्ती इलाकों में सामान्य से तीन फीसदी तथा झारखंड में दो फीसदी की कमी रिकॉर्ड की गई है।

उत्तर पश्चिम भारत में बारिश के आंकड़ों को देखें तो यहां सामान्य से छह फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। यहां 570.1 मिमी के मुकाबले 603.6 मिमी अधिक बारिश हुई है।

उत्तर प्रदेश में कम बरसात

पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश में 16 फीसदी की कमी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10 फीसदी अधिक बारिश हुई। उत्तराखंड में आठ फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। वहीं, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में दो फीसदी कम बरसात हुई है।

पंजाब-हिमाचल सूखे

कृषि प्रधान राज्य पंजाब के लिए यह मॉनसून काफी खराब बीत रहा है। मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि यहां सामान्य से 27 फीसदी कम बारिश हुई है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश में 20 फीसदी, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में 25 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।

पश्चिमी राजस्थान ने तोड़े रिकॉर्ड

देश के शुष्क व रेगिस्तानी एवं कम बारिश के लिए जाने जाने वाले राजस्थान के लिए यह मॉनसून भी पिछले मॉनसूनों की तरह अधिक बारिश लेकर आया है। रेगिस्तानी इलाके पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 74 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 48 फीसदी अधिक बरसात हो चुकी है।

मौसम विभाग के मध्य भारत के बारिश संबंधी आकड़ों से पता चलता है कि यहां 16 फीसदी अधिक बारिश हुई, सामान्यतः यहां इस दौरान 945.2 मिमी तक बारिश होती है, जबकि यहां 1093.2 मिमी तक बारिश हो गई है।

उड़ीसा में नौ फीसदी कम बारिश हुई है, लेकिन पश्चिम मध्य प्रदेश में 18 फीसदी अधिक, पूर्वी मध्य प्रदेश में 12 फीसदी, गुजरात में 24 फीसदी, सौराष्ट्र और कच्छ में 68 फीसदी, कोंकण और गोवा में 24 फीसदी, मध्य महाराष्ट्र 35 फीसदी, मराठवाड़ा में 18 फीसदी विदर्भ में 14 फीसदी तथा छत्तीसगढ़ में छह फीसदी अधिक बरसा पानी। उड़ीसा को छोड़ दिया जाए तो मध्य भारत में भी अच्छी बारिश कही जा सकती है।

वहीं, भारत के दक्षिण प्रायद्वीप में अब तक 15 फीसदी अधिक बारिश देखी गई है, इस अवधि के दौरान यहां 672.3 मिमी की अपेक्षा 771.8 मिमी तक बरस गए हैं बादल।

इस हिस्से में शामिल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में चार फीसदी अधिक बारिश हुई, वहीं, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम में 34 फीसदी, तेलंगाना में 30 फीसदी, रायलसीमा में 17 फीसदी, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में 24 फीसदी, आंतरिक कर्नाटक में 20 फीसदी, उत्तर आंतरिक कर्नाटक में तीन फीसदी, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में नौ फीसदी अधिक बरसे मेघ, जबकि केरल और माहे में 13 फीसदी बारिश कम हुई, जबकि लक्षद्वीप में 30 फीसदी अधिक बरसात हो चुकी है।

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