एशिया सबसे अधिक सतही ओजोन (ओ3) से प्रदूषित है। ओजोन फसलों के विकास में रुकावट डालता है और पैदावार को कम करता है। पूरे एशिया में ओजोन को लेकर चीन, जापान और कोरिया में लगभग 3,000 स्थानों की वायु निगरानी के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। ओ3 के कारण चावल, गेहूं और मक्का की उपज में होने वाली हानि का आकलन किया गया हैं।
जिसमें कहा गया है कि एशिया में ओजोन प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर से यहां के देशों को चावल, गेहूं और मक्का की फसलों का सालाना 63 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो रहा है।
यहां बताते चलें कि ओजोन परत ऊपरी वायुमंडल में पृथ्वी के चारों ओर एक सुरक्षात्मक परत बनाती है, जबकि जमीनी स्तर पर यह एक हानिकारक प्रदूषक है।
ओजोन प्रदूषण एक रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा निर्मित होती है। अक्सर कारों या उद्योग द्वारा उत्सर्जित जब दो प्रदूषक सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में आपस में रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करते हैं तब इसका निर्माण होता है। यह पौधों के प्रकाश संश्लेषण और विकास में रुकावट डाल सकती है।
अध्ययन में ओजोन वाले इलाकों को दिखाने के लिए क्षेत्र के प्रदूषण की निगरानी के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। यह एशिया की फसल की पैदावार को पहले की तुलना में अधिक प्रभावित करता है।
अध्ययनकर्ताओं ने निष्कर्ष के आधार पर कहा कि नीति निर्माताओं को ओजोन का उत्पादन करने वाले उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।
सह-अध्ययनकर्ता और टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस ने कहा कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर ओजोन के स्तर को कम करने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि हमें पूर्वी और दक्षिण एशिया में उस सफल काम को दोहराने की जरूरत है।
चावल, गेहूं और मक्का जैसी प्रमुख फसलों पर ओजोन के प्रभावों के पिछले अनुमानों में कभी-कभी ऐसी किस्मों का उपयोग किया गया है जो एशिया में प्रचलित नहीं हैं, या उनका खेतों के बजाय बर्तनों में उगाए गए पौधों का परीक्षण किया गया है।
अधिक सटीक तस्वीर हासिल करने के लिए, अध्ययनकर्ताओं ने इस क्षेत्र में आम किस्मों को देखा और बर्तनों में फसलों के साथ-साथ खेतों में भी प्रयोग किए। उन्होंने चावल, गेहूं और मक्का को ओजोन के अलग-अलग स्तरों में रखा और देखा कि यह फसल की पैदावार और पौधों के विकास को कैसे प्रभावित करती है।
उन्होंने एक दूसरे प्रयोग के साथ मॉडल का भी परीक्षण किया जिसमें फसलों का एक रसायन के साथ उपचार किया गया था, जो ओजोन के प्रभावों से बचाता है, यह देखने के लिए कि उपज उनके अनुमान के अनुरूप बढ़ी है या नहीं।
यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी में डेटा विश्लेषक कैटरीना शार्प ने कहा कि दुनिया के कुछ हिस्सों में ओजोन प्रदूषण फसलों को गर्मी, सूखे और कीटों के अन्य बड़े खतरों की तुलना में अधिक नुकसान पहुंचाता है। 2018 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक 2010 से 2012 के बीच ओजोन प्रदूषण से वैश्विक गेहूं की उपज में सालाना 24.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
ओजोन प्रदूषण से खाद्य सुरक्षा को खतरा
वास्तविक दुनिया के प्रभावों को निर्धारित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने तब चीन, दक्षिण कोरिया और जापान में 3,000 से अधिक निगरानी करने वाले इलाकों से ओजोन के आंकड़े को अपने मॉडल पर लागू किया।
उन्होंने पाया कि ओजोन प्रदूषण के कारण चीन की गेहूं की फसल का औसतन 33 फीसदी सालाना नुकसान होता है। दक्षिण कोरिया में 28 फीसदी और जापान के लिए 16 फीसदी का नुकसान होता है।
चावल या धान की फसल का नुकसान को देखे तो यह चीन में औसत 23 फीसदी पाया गया, हालांकि अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि संकर नस्लें इनब्रेड की तुलना में काफी अधिक कमजोर पाई गईं। दक्षिण कोरिया में यह आंकड़ा करीब 11 फीसदी था, जबकि जापान में यह महज 5 फीसदी था।
चीन और दक्षिण कोरिया दोनों में मक्के की फसल भी निचले स्तर पर प्रभावित हुई। जापान में यह फसल बहुत अधिक मात्रा में नहीं उगाई जाती है अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि उनके निष्कर्ष कई कारकों के द्वारा सीमित किए गए थे, जिनमें ओजोन मॉनिटर ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में होते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में स्तर अक्सर अधिक होते हैं।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि सतही ओजोन खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है, इन इलाकों पर इसके प्रभाव से फसलों की उपज में कमी आएगी। जबकि ये क्षेत्र दुनिया के 90 प्रतिशत चावल और 44 प्रतिशत गेहूं की आपूर्ति करते हैं।
अध्ययनकर्ता कोबायाशी ने कहा की यह सर्वविदित है कि ओजोन प्रदूषण से फसल उत्पादन पर बड़े प्रभाव पड़ते हैं। फिर भी, चावल उपज की में अनुमानित हानि, विशेष रूप से संकर प्रकार की किस्मों में, उन लोगों के लिए थोड़ा चौंकाने वाला हो सकता है जिनकों इसके बारे में पहली बार पता लगा।
अध्ययन में कुल मिलाकर फसलों का सालाना नुकसान लगभग 63 बिलियन डॉलर का है। इस आंकड़े को देखते हुए कोबायाशी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि निष्कर्ष लोगों को ओजोन प्रदुषण पर कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। यह अध्ययन नेचर फूड में प्रकाशित हुआ है।