अनाज, फल, दाल और सब्जियों की तुलना में दोगुने उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं मांस और डेयरी उत्पाद

वैज्ञानिकों के अनुसार खाद्य उत्पादन के चलते हर साल होने वाले 1,731.8 करोड़ मीट्रिक टन उत्सर्जन के 57 फीसदी हिस्से के लिए मांस और डेयरी उत्पाद जिम्मेवार हैं
अनाज, फल, दाल और सब्जियों की तुलना में दोगुने उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं मांस और डेयरी उत्पाद
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हमारा भोजन कैसा होना चाहिए, दुनिया भर में यह विषय हमेशा से चर्चा का केंद्र रहा है। शोधकर्ता ऐसे भोजन को अपनाने पर जोर देते आए हैं, जो स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी सही हो। आज वैश्विक स्तर पर जिस तरह से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि वो कौन से खाद्य पदार्थ हैं, जो ज्यादा उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं।

इस विषय पर हाल ही में किए एक अध्ययन से पता चला है कि पशुओं से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थ जैसे मांस, दूध इत्यादि पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, फल, सब्जियों और दालों की तुलना में करीब दोगुना उत्सर्जन करते हैं।

मांस और पौधों से मिलने वाले खाद्य उत्पादों के कारण होने वाले उत्सर्जन में कितना ज्यादा अंतर है इसका अंदाजा आप इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि जहां एक किलोग्राम गेहूं के उत्पादन से करीब 2.5 किलोग्राम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित होती हैं वहीं एक किलो बीफ (पशुमांस) के चलते करीब 70 किलोग्राम ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।  

200 देशों में 171 फसलों और 16 पशु उत्पादों पर किए इस अध्ययन से पता चला है कि खाद्य उत्पादन वैश्विक स्तर पर हो रहे ग्रीनहाउस गैसों के एक तिहाई (35 फीसदी) उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है। गौरतलब है कि शोधकर्ताओं का यह अनुमान पिछले अनुमानों की तुलना में कहीं अधिक है।  

यही नहीं अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर फूड में छपे इस शोध के मुताबिक वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादन के चलते हर साल करीब 1,731.8 करोड़ मीट्रिक टन कार्बनडाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है। यहां खाद्य उत्पादन में खेती के लिए मशीनों का उपयोग, उर्वरकों का छिड़काव और खाद्य उत्पादों का परिवहन शामिल है। 

29 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं फल, दाल और सब्जियां

अनुमान है कि खाद्य उत्पादन के चलते होने वाले कुल उत्सर्जन के करीब 57 फीसदी हिस्से के लिए पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पाद जिम्मेवार हैं, जिसमें पशु आहार भी शामिल हैं। वहीं पौधों से प्राप्त होने वाले उत्पाद जैसे अनाज, फल, दाल और सब्जियां करीब 29 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है जबकि 14 फीसदी हिस्से के लिए कपास, रबड़ जैसे अन्य उपयोग जिम्मेवार हैं। 

अपने इस शोध में शोधकर्ताओं ने खाद्य उत्पादन के चलते उत्सर्जित हो रही तीन प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का अध्ययन किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार पशु उत्पादों के चलते जो 57 फीसदी उत्सर्जन हो रहा है, उसमें करीब 32 फीसदी कार्बनडाइऑक्साइड, 20 फीसदी मीथेन और 6 फीसदी नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन होता है।  इसी तरह पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य उत्पादों के चलते होने वाले 29 फीसदी उत्सर्जन में 19 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड, 6 फीसदी मीथेन और 4 फीसदी नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन शामिल है। 

इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता जियोमिंग सू ने बताया कि हालांकि उत्सर्जन के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड सबसे महत्वपूर्ण और चर्चा में रहने वाली ग्रीनहाउस गैस है, लेकिन जब तापमान में वृद्धि के नजरिए से देखें तो मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड से 34 गुना और नाइट्रस ऑक्साइड 298 गुना अधिक शक्तिशाली गैस है। गौरतलब है कि धान की खेती और मवेशियों के चलते मीथेन उत्सर्जित होती है, जबकि नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन के लिए मुख्य रूप से उर्वरकों का उपयोग जिम्मेवार है।

मांस और डेयरी उत्पादन के चलते होने वाले 4 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है भारत

शोधकर्ताओं द्वारा स्थानीय पैमाने पर खाद्य उत्पादन और खपत के चलते हो रहे उत्सर्जन का भी अध्ययन किया गया है।  जिससे पता चला है कि पशुओं आधारित खाद्य उत्पादों से होने वाले 8 फीसदी उत्सर्जन के लिए चीन और 6 फीसदी के लिए ब्राजील जिम्मेवार है जबकि अमेरिका उसके 5 फीसदी और भारत 4 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेवार है। वहीं पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों के कारण होने वाले उत्सर्जन के मामले में चीन 7 फीसदी, भारत 4 फीसदी और इंडोनेशिया 2 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेवार है।    

इस बारे में शोध से जुड़े शोधकर्ता अतुल जैन ने जानकारी दी है कि जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है उसके चलते कृषि और पशुधन उत्पादन के साथ-साथ, खाद्य उत्पादों के परिवहन, प्रसंस्करण, सिंचाई सहित उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग में भी इजाफा होगा। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी स्रोतों से हो रहे जीएचजी उत्सर्जन के बारे में सटीक जानकारी होना जरुरी है। इसमें पौधों और मवेशियों से प्राप्त होने वाले खाद्य उत्पाद भी शामिल हैं। 

ऐसे में शोधकर्ताओं को विश्वास है कि यह शोध नीतिनिर्मातों से लेकर उन सभी लोगों को प्रेरित करेगा जो उत्सर्जन को कम करना चाहते हैं। यही नहीं यह कृषि क्षेत्र से जुड़ी रणनीतियों और सार्वजनिक नीतियों को विकसित करने में भी मददगार होगा, जिससे सभी के लिए पोषित आहार मिलने के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी की जा सकेगी। 

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