जलवायु में आता बदलाव न केवल इंसानों के लिए हानिकारक है, साथ ही यह अन्य जीवों पर भी अपना असर डाल रहा है। ऐसा ही कुछ टाइगर शार्क के साथ भी देखने को मिला है। इस बारे में हाल ही में मियामी विश्वविद्यालय (यूएम) के रोसेनस्टील स्कूल ऑफ मरीन एंड एटमॉस्फेरिक साइंस के वैज्ञानिकों द्वारा किए एक अध्ययन से पता चला है कि समुद्र में बढ़ते तापमान का असर टाइगर शार्क के प्रवास के रास्तों और समय पर पड़ रहा है।
वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते टाइगर शार्क अपने संरक्षित क्षेत्रों से बाहर जाने को मजबूर हो गई हैं, जिसके चलते उनके मछुआरों द्वारा पकड़े जाने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ गया है। यह अध्ययन 13 जनवरी 2022 को जर्नल नेचर ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
टाइगर शार्क, समुद्र के सबसे बड़े और शक्तिशाली जीवों में से एक है, जिसका वैज्ञानिक नाम 'गेलियोसेर्डो कुवियर' है। इसकी कुल लम्बाई 10 से 14 फीट के बीच होती है, जबकि वजन करीब 635 किलोग्राम होता है।
इन्हें इनकी पीठ पर मौजूद धारियों से पहचाना जा सकता है, जो इसे अन्य शार्क प्रजातियों से अलग करती है। यह धारियां टाइगर जैसी ही होती हैं इसी वजह से इनका नाम 'टाइगर शार्क' पड़ा है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह धारियां फीकी पड़ जाती हैं। धीमी गति से चलने वाली यह विशाल मछलियां पूरी दुनिया में उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
टाइगर शार्क ठन्डे रक्त वाला जीव है जो उसे उष्णकटिबंधीय और गर्म-समशीतोष्ण समुद्रों के गर्म पानी में रहने के लिए विवश करता है। देखा जाए तो अमेरिका के उत्तरपूर्वी तटों का पानी इन मछलियों के लिए बहुत ज्यादा ठंडा है, लेकिन जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है यह क्षेत्र इन विशाल जीवों के लिए उपयुक्त बनते जा रहे हैं।
समय से 14 दिन पहले ही शुरु हो गया था इन जीवों का प्रवास
इस बारे में यूएम शार्क रिसर्च एंड कंजर्वेशन प्रोग्राम के निदेशक और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता नील हैमरस्लैग ने जानकारी दी है कि, "पानी में बढ़ते तापमान के साथ-साथ इन टाइगर शार्क का वार्षिक प्रवास ध्रुवों की ओर बढ़ रहा है।" इतना ही नहीं उनके अनुसार अपने संरक्षित क्षेत्रों से बाहर आने और उनके प्रवास में आता बदलाव उन्हें व्यावसायिक तौर पर किए जा रहे मछलियों के शिकार के प्रति कहीं ज्यादा संवेदनशील बना सकता है।
अपने इस शोधकर्ताओं ने इन मछलियों पर बढ़ते जलवायु परिवर्तन के असर को समझने के लिए टैग की गई मछलियों के नौ साल के ट्रैकिंग डेटा का विश्लेषण किया है। साथ ही इसके लिए उन्होंने नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) की मदद से चलाए जा रहे शार्क टैगिंग प्रोग्राम द्वारा दिए गए 40 वर्षों के आंकड़ों का भी अध्ययन किया है। वहीं तापमान सम्बन्धी जानकारी के लिए उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों की मदद ली है।
निष्कर्ष के मुताबिक पिछले एक दशक में जब समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। तब औसत तापमान में हर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ टाइगर शार्क का ध्रुवों की ओर प्रवास 400 किलोमीटर से ज्यादा बढ़ गया था। इतना ही नहीं अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट से इनका प्रवास 14 दिन पहले ही शुरु हो गया था।
यदि इकोसिस्टम के लिहाज से देखें तो यह बदलाव काफी गंभीर हो सकते हैं। टाइगर शार्क समुद्र के प्रमुख शिकारियों में से है। यदि उनके प्रवास में बदलाव आता है तो उसके चलते शिकार और शिकारियों के बीच के तालमेल पर असर पड़ सकता है, जिससे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो सकता है। इतना ही नहीं इसके चलते इन मछलियों और इंसानों के बीच के संघर्ष में भी इजाफा हो सकता है।
हमें यह समझना होगा कि प्रकृति ने एक संतुलन स्थापित किया है जिसमें होने वाले बदलाव गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में यह जरुरी है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं।