बदलती जलवायु के तहत कैसे मिले फसल की बेहतर उपज: शोध

शोध लंबे समय से चले आ रहे रहस्य को सुलझाता है कि पानी की कमी या अधिकता कृषि उत्पादन को कैसे प्रभावित करती है
बदलती जलवायु के तहत कैसे मिले फसल की बेहतर उपज: शोध
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फसल उत्पादन के लिए पानी महत्वपूर्ण है, यह जानने के लिए आपको कृषि में पीएचडी की आवश्यकता नहीं है। लेकिन सालों से, जोनाथन प्रॉक्टर जैसे लोग, जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले में कृषि और संसाधन अर्थशास्त्र के शोधकर्ता हैं, यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि फसल उपज के सांख्यिकीय मॉडल में पानी का महत्व क्यों नहीं दिख रहा है।

प्रॉक्टर ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि फसल की पैदावार पर तापमान और वर्षा का कैसे असर पड़ता है। तापमान पानी से कहीं ज्यादा मायने रखता है, भले ही हम पौधे के शरीर विज्ञान से समझते हैं कि तापमान और पानी की आपूर्ति दोनों फसलों के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण हैं। प्रॉक्टर, प्रो. हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज (एसईएएस) में पीटर ह्यूबर्स की टीम से हैं। उन्होंने कहा इस पहेली को हल करना महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में फसल पैदावार को कैसे प्रभावित करेगा।

शोध टीम  की एक परिकल्पना थी की क्या होगा यदि मॉडल गलत तरह से पानी को माप रहे हों? वर्षा को मापने के बजाय, जैसा कि पिछले अध्ययनों ने किया था, हार्वर्ड टीम ने दुनिया भर में उगने वाले मक्का, सोयाबीन, बाजरा और ज्वार के लिए जड़ों के आसपास मिट्टी की नमी को मापने के लिए उपग्रहों के चित्रों और आंकड़ों का उपयोग किया।

टीम ने पाया कि मिट्टी की नमी का उपयोग करने वाले मॉडल वर्षा पर निर्भर मॉडल की तुलना में फसलों की उपज में साल-दर-साल अंतर को 30 से 120 प्रतिशत अधिक बताते हैं।

प्रॉक्टर ने कहा वाष्पीकरण, घुसपैठ और अपवाह के कारण वर्षा और मिट्टी की नमी काफी अलग हो सकती है। आसमान से जो गिरता है वह जरूरी नहीं है कि यह मिट्टी में फसलों के ग्रहण करने के लिए हो, हमें पता चलता है कि मिट्टी में जो है वह फसलों के ग्रहण करने के लिए वास्तव में उनकी उपज के लिए मायने रखता है।

एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण के साथ मिट्टी की नमी के उपग्रह आधारित अवलोकनों का उपयोग करके, टीम उपज पर तापमान और पानी की आपूर्ति के व्यक्तिगत प्रभावों को बेहतर ढंग से अलग करने और समझने में सक्षम थी, जो अक्सर भ्रमित होते हैं क्योंकि गर्मी और सूखापन मजूबती से आपस में जुड़ी हुई होती है।

विशेष रूप से, टीम ने पिछले मॉडलों की तुलना में अत्यधिक गर्मी को फसल की पैदावार के लिए कम हानिकारक पाया, जिसने बढ़ते तापमान से अनुमानित नुकसान को कम किया। लेकिन टीम ने सूखे और बाढ़ के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ा हुआ पाया।

प्रोफेसर ह्यूबर्स ने कहा कि जब बदलती जलवायु में कृषि उत्पादकता के बारे में अनुमान लगाने की बात आती है, तो हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि तापमान और पानी की उपलब्धता एक साथ कैसे विकसित होगी।

तापमान की तुलना में, पानी की उपलब्धता में परिवर्तन अधिक क्षेत्रीय और मौसमी होंगे, जैसे कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में क्षेत्रीय योजना और प्रबंधन रणनीतियां अधिक मायने रखती हैं।

उन्होंने कहा कि टीम इस बेहतर समझ का उपयोग करने की योजना बना रही है कि कैसे मिट्टी की नमी और तापमान दुनिया भर में कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि जलवायु परिवर्तन मानव कल्याण के अन्य पहलुओं, जैसे प्रवासन के बारे में निर्णय लेने या खाद्य आपूर्ति की स्थिरता को कैसे प्रभावित कर सकता है। यह शोध नेचर फूड नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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