बदलती जलवायु के कारण भारी दबाव में हैं हिमालयी जल संसाधन: अध्ययन

ऊपरी सिंधु बेसिन के जल संसाधनों पर जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न गंभीर खतरे समेत कई तरह के दबाव बढ़ रहे हैं
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
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ऊपरी सिंधु बेसिन (यूआईबी) हिमालय में एक पहाड़ी क्षेत्र है जहां से नदियां निकलती हैं। जो दुनिया के सबसे बड़े हिस्से को कृषि में सिंचाई के लिए तथा पीने के पानी की आपूर्ति करती हैं। भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान में करोड़ों लोग इन जल संसाधनों पर निर्भर हैं, इसलिए इनका जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलना आवश्यक है।

ऊपरी सिंधु बेसिन के जल संसाधन अत्यधिक मौसमी होते हैं क्योंकि वे वसंत और गर्मियों के दौरान बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली मॉनसूनी बारिश पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं।

एक नए अध्ययन के मुताबिक ऊपरी सिंधु बेसिन (यूआईबी) में जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों पर दबाव वाले 100 शोध प्रश्नों की पहचान की है। इन प्रश्नों का उत्तर वहां रहने वाले लोगों की रक्षा के लिए अहम हैं। यह अध्ययन ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण (बीएएस) के वैज्ञानिकों के 100 शोध पत्रों के आधार पर किया गया है।

बीएएस के वैज्ञानिकों के पास ग्लेशियोलॉजी और एयरबोर्न रडार तकनीकों में अद्भुत विशेषज्ञता है जो दुनिया भर में अंटार्कटिका और पर्वतीय क्षेत्रों में शोध के लिए उपयोग की जाती है, यह हिमालय पर चल रहे बीएएस शोध का केंद्र बिंदु भी है।

अब एक नए अध्ययन ने यूआईबी में चल रहे और भविष्य के जलवायु परिवर्तन के सफल अनुकूलन के लिए आवश्यक 100 आवश्यक प्रश्नों की पहचान करने के लिए "क्षितिज स्कैनिंग" तकनीक को लगाया है। अध्ययन का उद्देश्य जलवायु योजनाओं, जल प्रबंधन और विकास को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान में जानकरी और अवसरों की पहचान करना है।

जिन प्रश्नों की पहचान की गई वे वर्तमान सोच की सीमाओं को आगे बढ़ते हैं और शासन और नीति, सामाजिक आर्थिक प्रक्रियाओं और पृथ्वी प्रणाली प्रक्रियाओं से संबंधित व्यापक विषयों को समाहित करते हैं। अध्ययन द्वारा उठाए गए प्रश्नों में निम्नलिखित शामिल हैं:

अंतर्राष्ट्रीय तनाव और संघर्ष ऊपरी सिंधु बेसिन (यूआईबी) में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन रणनीतियों को कैसे प्रभावित करते हैं?

यूआईबी के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक कल्याण और संसाधन की मांग जल-जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होगी?

भविष्य में यूआईबी पर हाइड्रोक्लाइमेटिक चरम घटनाओं जिनमें बाढ़ और सूखा आदि शामिल है इनमें किस तरह का बदलाव आएगा?

इन दबावपूर्ण जानकारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर शोधकर्ता, वित्त पोषण निकाय, व्यवसायी और नीति निर्माताओं को इनसे निपटने में मदद कर सकते हैं।

अध्ययन की अगुवाई करने वाले बीएएस जलवायु वैज्ञानिक डॉ. एंड्रयू ऑर कहते हैं कि ऊपरी सिंधु बेसिन (यूआईबी) में जल संसाधन जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न गंभीर खतरे समेत इस पर लगातार दबाव बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा यदि हम इस क्षेत्र में चल रहे और भविष्य के जल विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के लिए सफलतापूर्वक ढलने या अनुकूलन करने जा रहे हैं तो हमें सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञानों में ज्ञान की कमी को दूर करना चाहिए। आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में नाटकीय बदलाव दिखने की आशंका है। यदि हमें तैयार रहना है तो हमने जिन प्रश्नों की पहचान की है, उनका समाधान ढूढ़ना होगा।

यह अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए जल प्रबंधन, जलवायु योजनाओं और नीतियों को विकसित करने की क्षमता को उजागर करता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए ऊपरी सिंधु बेसिन को सुरक्षित और संरक्षित करने में मदद करेगा। यह अध्ययन 'अर्थ फ्यूचर' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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