नवंबर में भी तप रहे हैं हिमाचल के पहाड़, सामान्य से 3-4 डिग्री अधिक चल रहा तापमान

मौसम की बेरूखी, हिमाचल प्रदेश में 123 वर्षों में तीसरा सबसे शुष्क अक्तूबर महीना, 97 प्रतिशत कम हुई बारिश
हिमाचल के शीत रेगिस्तानी इलाके काजा में भी तापमान सामान्य से काफी अधिक है। फोटो: रोहित पराशर
हिमाचल के शीत रेगिस्तानी इलाके काजा में भी तापमान सामान्य से काफी अधिक है। फोटो: रोहित पराशरspiu shimla
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मौसम की बेरूखी का असर हिमाचल में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। सर्दी के मौसम में पहाड़ तप रहे हैं और गर्मी के कई रिकॉर्ड टूट गए हैं।

नवंबर माह में जहां हिमाचल की सर्द वादियों में कई स्थानों में पारा शून्य से नीचे चल रहा होता था, वहीं इन दिनों हिमाचल में अधिकतम तापमान 24 से 29 डिग्री बना हुआ है, जो सामान्य से 3-4 डिग्री अधिक है। वहीं न्यूनतम तापमान 7-11 डिग्री सेल्सीयस है, जो सामान्य से 1-2 डिग्री अधिक है।

मौमस विभाग के अनुसार प्रदेश के सोलन में 39, कांगड़ा में 27.6, भूंतर 30.5 और उना में तापमान आल टाइम हाई दर्ज किया गया है। प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र कल्पा में 1984 के बाद सबसे अधिक तापमान 23.6 डिग्री है।  

इसके अलावा प्रदेश में 123 वर्षों में तीसरी बार अक्टूबर माह शुष्क रहा है। अक्टूबर माह में सामान्य से 97 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। सामान्य परिस्थितियों में अक्टूबर माह में 25 एमएम तक बारिश दर्ज की जाती है, लेकिन इस वर्ष अक्टूबर में महज 0.7 मिलीमीटर बारिश हुई है।

इससे पहले 1964 में 0.1 और 2003 में 0.3 एमएम बारिश दर्ज हुई थी। पूरे अक्टूबर माह में प्रदेश के छह जिलों चंबा, हमीरपुर, सोलन, सिरमौर और कुल्लू जिलों में तापमान पूरी तरह से शूष्क बना हुआ है और इन जिलों में बिल्कुल भी बारिश दर्ज नहीं हुई है  ।

मौसम के गर्म बने होने और बारिश न होने के कारण प्रदेश के बागवानी और कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान देखने को मिल रहा है। मौसम के गर्म होने की वजह से जहां प्रदेश के अधिक उंचाई वाले क्षेत्रों में सेब समेत अन्य फलों का तुड़ान 15 से 20 दिन पहले हो गया है।

इसके अलावा इन दिनों मौसम के शुष्क और बारिश न होने की वजह से रबी सीजन में गेहूं, मटर, सरसों, चना और अन्य फसलों की बोआई पर भी असर देखने को मिल रहा है।

प्रधान वैज्ञानिक कृषि अर्थशास्त्र डॉ मनोज गुप्ता ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बारिश न होने और मौसम के गर्म होने की वजह से फसलों की बोआई समय पर नहीं हो पा रही है। जिसका असर पैदावार में देखने को मिलेगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि मौसम के गर्म होने की वजह से बागवानी क्षेत्र में भी बीमारियों का प्रकोप देखने को मिल सकता है।

मौसम विज्ञानी शोभित कटियार का कहना है पिछले लंबे समय से पश्चिमी विक्षोभ देखने को नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से प्रदेश में बारिश नहीं हो रही है और यहां के तापमान में सामान्य में भी सामान्य के मुकाबले वृद्धि देखी जा रही है।

उन्होंने कहा कि अभी 7 नवंबर तक प्रदेश में ऐसा ही मौसम बना रहेगा और 8 नवंबर के बाद तापमान में हल्की गिरावट होगी और 12 नवंबर के बाद चंबा, लाहौल स्पीति और कांगड़ा जिला में हल्की बारिश हो सकती है। 

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