इस साल जून का महीना मानव इतिहास का छठा सबसे गर्म जून रहा, जब तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान (15.5 डिग्री सेल्सियस) से 0.87 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया। यह जानकारी नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में सामने आई है।
यदि एनसीईआई द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो इतिहास के 10 सबसे गर्म जून के महीने 2010 के बाद ही दर्ज किए गए हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक जून 2019 इतिहास का सबसे गर्म जून का महीना था जब तापमान सामान्य से 0.95 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसके बाद 2016 और 2020 दूसरे स्थान पर रहे जब तापमान सामान्य से 0.92 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था।
वहीं जून 2015 में तापमान सामान्य से 0.91 डिग्री सेल्सियस, जबकि जून 2021 में बीसवीं सदी के औसत तापमान से 0.88 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। आंकड़ों के अनुसार यह लगातार 46वां जून का महीना है जब 2022 में तापमान सामान्य से ज्यादा पाया गया है। इसी तरह पिछले 450 महीनों में कोई महीना ऐसा नहीं रहा जिसने 20वीं सदी के औसत तापमान के रिकॉर्ड को पार न किया हो। यह आंकड़ें स्पष्ट तौर पर इस ओर इशारा करते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से धरती का तापमान बड़ी तेजी से बढ़ रहा है, जो पूरी मानव जाति के लिए खतरा है।
ऐसा नहीं है कि यह बढ़ता तापमान जून में ही दर्ज किया गया है, इससे पहले मई 2022 का महीना इतिहास का नौवां सबसे गर्म मई था जब तापमान सामान्य से 0.77 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था। इसी तरह अप्रैल 2022 के महीने में भी तापमान सामान्य से करीब 0.85 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जो उसे इतिहास का पांचवा सबसे गर्म अप्रैल बनाता है। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि वैश्विक तापमान में होती वृद्धि किस कदर दुनिया पर हावी है।
खुल कर सामने आने लगे हैं बदलती जलवायु के निशान
इसी तरह मार्च 2022 भी पांचवा सबसे गर्म मार्च था, जबकि फरवरी में तापमान सामान्य से 0.81 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जो उसे सातवीं सबसे गर्म फरवरी बनता है। ऐसा ही कुछ जनवरी में भी देखने को मिला था जब तापमान सामान्य से 0.89 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जो उसे 143 वर्षों में सातवीं सबसे गर्म जनवरी बनाता है।
यदि एनसीईआई की ग्लोबल एनुअल टेम्परेचर आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार इस बात की 99 फीसदी से ज्यादा संभावना है कि 2022 रिकॉर्ड के 10 सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा। हालांकि इसके पांच सबसे गर्म वर्षों की सूचि में जगह बनाने की सम्भावना केवल 11 फीसदी है।
यदि केवल सतह के तापमान की बात करें तो जून 2022 रिकॉर्ड पर उत्तरी गोलार्ध का दूसरा सबसे गर्म जून था, जब तापमान सामान्य से 1.56 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। इससे पहले जून 2021 में उत्तरी गोलार्ध में तापमान इतना ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था। वहीं यूरोप और एशिया ने भी इस साल अपने दूसरे सबसे गर्म जून को अनुभव किया था, जबकि अफ्रीका के लिए यह दसवां सबसे गर्म जून का महीना था।
यदि जून 2022 में ध्रुवों पर जमा बर्फ की बात करें तो यह दूसरा मौका है जब ध्रुवों पर इतनी कम बर्फ जमा है। वहीं ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी जून के महीने में अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ की सीमा इतनी कम पाई गई है।
गौरतलब है कि पिछले महीने जून में अंटार्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा 46.8 करोड़ वर्ग मील मापी गई थी, जोकि सामान्य से करीब 471,000 वर्ग मील कम है। इसी तरह पिछले महीने आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा 1981 से 2010 के औसत की तुलना में 347,000 वर्ग मील कम थी। जो करीब-करीब स्वीडन, नॉर्वे और डेनमार्क के कुल आकार के बराबर है। पिछले 44 वर्षों के इतिहास में यह दसवां मौका है जब आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा इतनी कम दर्ज की गई है।
वहीं यदि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बात करें तो जून 2022 में कुल पांच नामित तूफ़ान सामने आए थे। उनमें से केवल पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में आया तूफान 'ब्लास' ही ऐसा था जिसमें हवा की गति 74 मील प्रति घंटा तक दर्ज की गई थी।