सितंबर में ला नीना की वापसी के बावजूद वैश्विक तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा : डब्ल्यूएमओ

अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना की संभावना और मजबूत हो जाएगी। कई क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ का खतरा रहेगा, तो कहीं-कहीं सूखा पड़ सकता है।
सितंबर से नवंबर 2025 के बीच उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।
सितंबर से नवंबर 2025 के बीच उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। फोटो साभार: आईस्टॉक
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दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और मौसम की अनिश्चितताओं के बीच एक और बड़ी जानकारी सामने आई है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 से ला नीना की वापसी हो सकती है। हालांकि ला नीना को सामान्यतः समुद्र और वातावरण में ठंडक लाने वाली स्थिति माना जाता है, लेकिन इस बार भी दुनिया के अधिकांश हिस्सों में तापमान औसत से अधिक ही रहने का अनुमान है।

एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईइनएसओ) की मौजूदा स्थिति

मार्च 2025 से अब तक ईइनएसओ की न्यूट्रल या तटस्थ स्थिति बनी हुई है। यानी न तो एल नीनो और न ही ला नीना का प्रभाव साफ तौर पर देखा गया। इस दौरान प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय हिस्से में समुद्री सतह का तापमान सामान्य के करीब रहा। लेकिन ताजा पूर्वानुमान बताते हैं कि आने वाले महीनों में यह धीरे-धीरे बदल सकता है।

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सितंबर से नवंबर 2025 के बीच उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।

सितंबर से नवंबर 2025 के दौरान ला नीना बनने की संभावना 55 फीसदी है। ईइनएसओ के तटस्थ रहने स्थिति जारी रहने की संभावना 45 फीसदी है। अक्टूबर से दिसंबर 2025 में ला नीना की संभावना थोड़ी और बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इस अवधि में एल नीनो के विकसित होने की संभावना बेहद कम है।

ला नीना क्या है?

ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्से का समुद्री सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। इसके साथ ही वायुमंडलीय प्रसार में बदलाव होते हैं – जैसे हवा का रुख बदलना, दबाव में परिवर्तन और वर्षा के पैटर्न का प्रभावित होना।

आमतौर पर ला नीना और एल नीनो के प्रभाव विपरीत होते हैं, एल नीनो: समुद्र सतह का तापमान बढ़ता है, जिससे कई क्षेत्रों में गर्मी और सूखे जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं। ला नीना: समुद्र सतह का तापमान घटता है, जिससे कुछ जगहों पर भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति बनती है, तो कहीं पर सूखा भी पड़ सकता है।

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तापमान और बारिश पर प्रभाव

डब्ल्यूएमओ की ग्लोबल सीजनल क्लाइमेट अपडेट रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर से नवंबर 2025 के दौरान उत्तरी गोलार्ध के बड़े हिस्से और दक्षिणी गोलार्ध के कई क्षेत्रों में औसत से अधिक तापमान दर्ज किए जाने के आसार हैं।

बारिश के पैटर्न की बात करें तो पूर्वानुमान मध्यम स्तर के ला नीना जैसे हालात दर्शा रहे हैं। यानी कुछ क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है, जबकि अन्य इलाकों में सूखा या कम बारिश होने की समस्या देखने को मिलेगी।

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क्यों अहम हैं ये मौसमी पूर्वानुमान?

ला नीना और एल नीनो जैसे मौसमी पैटर्न केवल मौसम तक सीमित नहीं हैं। इनका सीधा असर कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसे क्षेत्रों पर पड़ता है।

रिपोर्ट में डब्ल्यूएमओ की महासचिव सेलेस्ट साओलो ने कहा कि मौसमी पूर्वानुमान जलवायु संबंधी खतरों से निपटने के लिए बेहद जरूरी हैं। सही समय पर दी गई यह जानकारी किसानों को फसल चयन और सिंचाई की बेहतर योजना बनाने में मदद करती है। ऊर्जा क्षेत्र को बिजली उत्पादन और खपत के प्रबंधन में सहायता देती है। स्वास्थ्य क्षेत्र में लू, बाढ़ या सूखे से जुड़ी बीमारियों के लिए पहले से तैयारी की जा सकती है।

आपदा प्रबंधन एजेंसियां बाढ़, तूफान और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी कर पाती हैं। इसी वजह से ये पूर्वानुमान न केवल अरबों रुपये की आर्थिक बचत कराते हैं, बल्कि समय रहते चेतावनी देकर लाखों लोगों की जान भी बचाते हैं।

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क्या है जलवायु परिवर्तन की भूमिका?

ला नीना और एल नीनो जैसी घटनाएं तो प्राकृतिक हैं, लेकिन आज ये मानवजनित जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में हो रही हैं। दुनिया भर में तेजी से बढ़ते तापमान ने इन मौसमी घटनाओं के असर को और गहरा बना दिया है।

जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाएं जैसे बाढ़, सूखा और हीटवेव अधिक बार और तीव्र रूप में आ रही हैं। बारिश और तापमान का मौसमी चक्र बदल रहा है। कृषि, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।

एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईइनएसओ) जलवायु का प्रमुख कारक है, लेकिन यह अकेला नहीं है। डब्ल्यूएमओ की ग्लोबल सीजनल क्लाइमेट अपडेट (जीएससीयू) अन्य बड़े कारणों को भी ध्यान में रखती है, जैसे – नॉर्थ अटलांटिक ऑसिलेशन, आर्कटिक ऑसिलेशन, इंडियन ओशन डाइपोल। इन सभी के संयुक्त विश्लेषण से अधिक सटीक और क्षेत्रीय स्तर पर उपयोगी मौसम पूर्वानुमान तैयार किए जाते हैं।

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आगे की संभावनाएं

सितंबर से नवंबर 2025 के बीच उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। वर्षा का पैटर्न मध्यम ला नीना जैसी स्थिति दिखाएगा। अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना की संभावना और मजबूत हो जाएगी। कई क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ का खतरा रहेगा, तो कहीं-कहीं सूखा पड़ सकता है।

आने वाले महीनों में मौसम की स्थिति जटिल रहने वाली है। भले ही ला नीना को सामान्यतः ठंडक लाने वाला माना जाता है, लेकिन इस बार वैश्विक तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा। इसका सीधा असर कृषि, स्वास्थ्य, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन पर पड़ेगा। इसलिए देशों को चाहिए कि वे मौसमी पूर्वानुमानों के आधार पर पहले से तैयारी करें और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए लंबे समय की रणनीतियां बनाएं।

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