जुलाई 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म महीना रहा, दुनिया भर के कई शहरों में लोगों को कई हफ्तों तक रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का सामना करना पड़ा। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि, अत्यधिक गर्मी कमजोर आबादी, विशेष रूप से काले वृद्ध और गरीबी में जीने के लिए मजबूर लोगों की याददाश्त को कमजोर कर सकती है।
यह अध्ययन एनवाईयू स्कूल ऑफ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि, अत्यधिक गर्मी के सम्पर्क में आने से ज्ञान-संबंधी स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है, लेकिन यह पूरी आबादी में एक समान नहीं होता है।
दुनिया भर में खासकर, अमेरिका में मौसम संबंधी मौतों का प्रमुख कारण अत्यधिक गर्मी है, जो हर साल तूफान, बवंडर और बिजली गिरने की तुलना में अधिक लोगों की जान ले लेती है। छोटे बच्चे और बूढ़े लोग विशेष रूप से गर्मी से संबंधित बीमारियों जैसे गर्मी से थकावट और हीट स्ट्रोक से काफी प्रभावित होते हैं।
हाल के अध्ययनों से भी पता चलता है कि बहुत अधिक तापमान ज्ञान-संबंधी कार्य को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन ये अध्ययन गर्मी के बहुत कम संपर्क के बाद एक ही समय बिंदु पर किसी के संज्ञान को देखते हैं। ज्ञान-संबंधी स्वास्थ्य पर गर्मी के लंबी अवधि के परिणामों के बारे में जानकारी कम है। यह अध्ययन, जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ता ने बताया, ज्ञान-संबंधी गिरावट का केवल एक बार गर्मी के सम्पर्क में आने के ठीक बाद पता नहीं चलता है, लेकिन अत्यधिक गर्मी में बार-बार या लंबे समय तक रहना हानिकारक हो सकता है। कई बार अत्यधिक गर्मी में रहने से मस्तिष्क में सेलुलर हानि, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव सहित कई तरह की समस्याएं शुरू हो सकती हैं, जो किसी के ज्ञान के संग्रह को खत्म कर सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन और शहरी तापमान के कारण लू अधिक बार और तीव्र हो जाती हैं, शोधकर्ताओं ने अत्यधिक गर्मी के संपर्क और ज्ञान-संबंधी गिरावट के बीच संबंध को समझने की कोशिश की। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च द्वारा आयोजित स्वास्थ्य और सेवानिवृत्ति अध्ययन के हिस्से के रूप में 12 साल की अवधि तक सर्वेक्षण किए।
इस सर्वेक्षण में 52 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 9,500 वयस्कों के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जो प्रतिभागियों के ज्ञान-संबंधी कार्य को मापता है।
शोधकर्ताओं ने पड़ोस के उन सामाजिक आर्थिक उपायों को भी देखा जहां प्रतिभागी रहते थे। इसके अलावा, उन्होंने सीडीसी के राष्ट्रीय पर्यावरण सार्वजनिक स्वास्थ्य ट्रैकिंग नेटवर्क के ऐतिहासिक तापमान के आंकड़ों के आधार पर 12 साल की अवधि के दौरान प्रतिभागियों के अत्यधिक गर्मी के पूरे खतरों की गणना की।
उन्होंने पाया कि अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने से गरीब इलाकों के निवासियों में तेजी से संज्ञानात्मक गिरावट आई, लेकिन अमीर इलाकों में रहने वालों के लिए ऐसा नहीं हुआ।
शोधकर्ता के मुताबिक, समृद्ध पड़ोस में ऐसे संसाधन होते हैं जो गर्मी, लू से बचने में मदद कर सकते हैं, अच्छी तरह से बनाए गए ग्रीन एरिया, एयर कंडीशनिंग और ठंडा करने जैसी चीजें इन्हें गर्मी से बचाती हैं। गरीबी वाले इलाकों में, ये संसाधन मौजूद नहीं हो सकते हैं।
गरीबी में रह रहे लोगों से जुड़े अन्य कारण, पुराने तनाव का अनुभव करने वाले निवासी, सामाजिक अलगाव और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के लिए कम सेवाएं भी इस असमानता को बढ़ाने के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं।
इसके अलावा, अत्यधिक गर्मी के खतरे काले बूढ़ों में तेजी से संज्ञानात्मक गिरावट पाई गई, लेकिन सफेद या हिस्पैनिक वृद्धों में ऐसा नहीं देखा गया। शोधकर्ता ने बताया कि, अध्ययन में अन्य नस्लों और जातीयताओं के पर्याप्त प्रतिभागी नहीं थे जिन्हें विश्लेषण में शामिल किया जा सके।
उन्होंने कहा, निष्कर्षों के इस पैटर्न के लिए एक संभावित स्पष्टीकरण यह है कि काले वृद्ध वयस्कों को संरचनात्मक नस्लवाद, अलगाव और अन्य भेदभावपूर्ण नीतियों के कारण अपने पूरे जीवन में असमान रूप से प्रणालीगत नुकसान का अनुभव हो सकता है, जो सभी ज्ञान-संबंधी संग्रह को प्रभावित कर सकते हैं।
शोधकर्ता सरकारों और स्वास्थ्य अधिकारियों से ऐसी नीतियां और उपकरण विकसित करने का आग्रह करते हैं जो अत्यधिक गर्मी के प्रति संवेदनशील लोगों की पहचान करें। खतरे वाले समुदायों को सशक्त बनाएं, उनकी विशेष आवश्यकताओं को पूरा करें।
शोधकर्ता ने कहा कि, जब बहुत अधिक तापमान का सामना करना पड़ता है, तो हमारे अध्ययन से पता चलता है कि कमजोर आबादी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। अत्यधिक गर्मी से स्वास्थ्य को भारी खतरा है और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, हमें खतरे वाली आबादी का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।