समुद्र के बढ़ते स्तर से द्वीपों पर पड़ते प्रभाव और उनकी सुरक्षा के लिए संयुक्त समिति ने क्या कुछ सुझाए उपाय

समिति ने प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से तटीय कटाव के कारण बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए नई नीतियों और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी बात कही है
समुद्र के बढ़ते स्तर से द्वीपों पर पड़ते प्रभाव और उनकी सुरक्षा के लिए संयुक्त समिति ने क्या कुछ सुझाए उपाय
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जलवायु परिवर्तन के अलग-अलग परिदृश्यों में समुद्र के बढ़ते जल स्तर से द्वीप कैसे प्रभावित होंगे, इसका सटीक मानचित्रण करने के लिए क्षेत्र का ऑन-साइट सर्वेक्षण करना आवश्यक है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 11 जुलाई, 2023 को दिए आदेश पर बनाई संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।

साथ ही 10 अक्टूबर, 2023 को कोर्ट में सौंपी इस रिपोर्ट में समिति ने प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से तटीय कटाव के कारण बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए नई नीतियों और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी बात कही है।

गौरतलब है कि द्वीपों पर समुद्र के बढ़ते स्तर के प्रभावों का आंकलन करने और इन द्वीपों की सुरक्षा के लिए नीतियां बनाने और बेहतर उपाय सुझाने के लिए एनजीटी द्वारा 11 जुलाई, 2023 को दिए आदेश पर यह संयुक्त समिति गठित की गई थी।

एक अन्य सुझाव तट को कटाव और तटीय खतरों से बचाने के लिए हरित तटीय बुनियादी ढांचे (जीसीआई) का उपयोग करना है। जो मौसमी कटाव के पैटर्न को नियंत्रित करने के साथ-साथ तटीय खतरों के खिलाफ जैव-ढाल के रूप में कार्य करेगा। साथ ही समिति ने इस क्षेत्र में मैंग्रोव के साथ नमक और दलदली क्षेत्रों में उगने वाली वनस्पतियों को लगाने की बात कही है। इस रिपोर्ट में समिति ने कैसुरीना या अन्य जैसी विदेशी प्रजातियों से बचने की भी सिफारिश की है।

रिपोर्ट में पर्यावरण-अनुकूल तरीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात कही है, जैसे कि पौधों और पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों का संयोजन करना, कृत्रिम चट्टानें, सीप और मूंगा की चट्टानें बनाना, साथ ही समुद्री घास को स्थानांतरित करना जैसे उपाय शामिल हैं। इसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित तरीकों के मिश्रण को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विशिष्ट क्षेत्रों में इन कार्रवाइयों से क्षतिग्रस्त मूंगा चट्टानों और समुद्री घास को बहाल करने में मदद मिलेगी।

एम्स, भोपाल के सामने कचरा डंपिंग और जलाने का मामला, एनजीटी ने अधिकारियों से तलब की रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने भोपाल के कुछ इलाकों में कचरे की अवैध डंपिंग के साथ-साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) , भोपाल के सामने किए गए कचरे के निपटान के आरोपों को गंभीरता से लिया है।

इस मामले में ट्रिब्यूनल ने भोपाल के कलेक्टर के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और भोपाल नगर निगम आयुक्त को भी नोटिस देने को कहा है। साथ ही कोर्ट उत्तरदाताओं को छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

मामले में कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति को घटनास्थल का दौरा करने, तथ्यों की जांच करने, के साथ बहाली के उपाय सुझाने को कहा है। कोर्ट ने समिति को इस मुद्दे पर चार सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा है।

याचिका में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन न करने और भोपाल नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले चांदबड़, सिमरा गेट और पुरूषोत्तम नगर क्षेत्रों में सड़क और खाली प्लॉट के चारों और कचरे के अनुचित निपटान की समस्या को उठाया है।

गौरतलब है कि 16 अक्टूबर, 2023 को 'दैनिक भास्कर' में प्रकाशित एक लेख में कई अवैध गतिविधियों और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का खुलासा किया गया। इनमें कचरे के अनुचित निपटान और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रवेश द्वार (गेट नंबर 4) के पास खुले में कचरा जलाना शामिल था। ये कार्रवाइयां स्पष्ट रूप से पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन है। इससे वायु प्रदूषण होता है। खासकर जब वे अस्पताल के पास होते हैं, तो इससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो सकता है।

बहुदा नदी के पास होते अवैध खनन के मामले में कोर्ट ने जांच के दिए निर्देश

बहुदा नदी के पास सिरीपुर रेत खदान से अवैध रूप से होते रेत खनन के मामले की जांच के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 17 अक्टूबर 2023 को एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। कमेटी मौके पर जाकर स्थिति की जांच करेगी और रिपोर्ट देगी। मामला ओडिशा के गंजम जिले का है। कोर्ट के निर्देशानुसार यदि कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति बहाली के लिए आवश्यक कार्रवाई का सुझाव देने के साथ-साथ जुर्माना और पर्यावरणीय मुआवजे का भी प्रस्ताव करेगी।

गौरतलब है कि आवेदक कबीराज महापात्रा ने ओडिशा की चिकिटी तहसील के सिरीपुर क्षेत्र में रेत के होते अवैध खनन को लेकर चिंता जताई थी। उनके मुताबिक  यह रेत खनन ओडिशा राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) से उचित मंजूरी लिए बिना हो रहा है।

सिरीपुर, पाथरगुडी और ब्रुखयालता के स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बावजूद, अज्ञात लोगों द्वारा बहुदा नदी के पास सिरीपुर रेत खदान से रेत उठाई जा रही है। आवेदक ने अखबार के उन लेखों का भी उल्लेख किया है जिनमें उसी क्षेत्र में अवैध रेत खनन पर रिपोर्ट की गई थी। साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि रेत खदान के संचालन में भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

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