मोबाइल इंडस्ट्री ने पांच साल में घटाया 8 फीसदी उत्सर्जन, दोगुनी करनी होगी रफ्तार

2019 से 2023 के बीच मोबाइल इंडस्ट्री के उत्सर्जन में आठ फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए इंडस्ट्री को और तेजी से काम करना होगा
सर्वे के मुताबिक, 90 फीसदी यूजर्स मजबूत और मरम्मत योग्य डिवाइस चाहते हैं और करीब आधे लोग नया नहीं, बल्कि रीफर्बिश्ड फोन खरीदने पर विचार कर रहे हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
सर्वे के मुताबिक, 90 फीसदी यूजर्स मजबूत और मरम्मत योग्य डिवाइस चाहते हैं और करीब आधे लोग नया नहीं, बल्कि रीफर्बिश्ड फोन खरीदने पर विचार कर रहे हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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मोबाइल इंडस्ट्री ने 2019 से 2023 के बीच अपने कार्बन उत्सर्जन में 8 फीसदी की कटौती की है, जबकि इस दौरान मोबाइल कनेक्शन में 9 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही डेटा ट्रैफिक चार गुना बढ़ गया है। यह जानकारी जीएसएमए द्वारा जारी नई रिपोर्ट "मोबाइल नेट जीरो 2024" में सामने आई है।

रिपोर्ट दर्शाती है कि इंडस्ट्री ने डेटा और कनेक्टिविटी की बढ़ोतरी से उत्सर्जन को अलग करना शुरू कर दिया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। जबकि दूसरी ओर इस दौरान वैश्विक उत्सर्जन में 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

हालांकि, अभी भी 2050 तक नेट जीरो लक्ष्य का लक्ष्य हासिल करने के लिए मोबाइल इंडस्ट्री को 2030 तक हर साल उत्सर्जन में 7.5 फीसदी की दर से कमी करनी होगी, जो अब भी उत्सर्जन में आती गिरावट की औसत दर के दोगुने से भी अधिक है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2024 के शुरुआती आंकड़ों से पता चला है कि इस साल मोबाइल इंडस्ट्री के उत्सर्जन में 4.5 फीसदी की और कमी आई है। देखा जाए तो यह पिछले वर्षों के मुकाबले उत्सर्जन में हो रही प्रगति को दर्शाता है, लेकिन यह रफ्तार अभी भी इंडस्ट्री के लिए नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने के लिए काफी नहीं है।

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अक्षय ऊर्जा ने दिया साथ

2023 में जिन मोबाइल कंपनियों ने रिपोर्ट दी है, उनमें 37 फीसदी बिजली अक्षय स्रोतों जैसे सोलर और विंड से ली गई। देखा जाए तो 2019 में यह आंकड़ा महज 13 फीसदी था। ऐसे में अक्षय ऊर्जा की मदद से करीब 1.6 करोड़ टन कार्बन को उत्सर्जित होने से रोका जा सका है। अच्छी खबर यह है कि दुनिया की करीब आधे मोबाइल कनेक्शन को कवर करने वाली 81 कंपनियों ने जलवायु से जुड़े वैज्ञानिक लक्ष्यों पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जीएसएमए की क्लाइमेट एक्शन टास्कफोर्स में अब 77 मोबाइल ऑपरेटर शामिल हैं, जो दुनिया के 80 फीसदी मोबाइल कनेक्शन को कवर करते हैं।

क्षेत्रीय तौर पर देखें तो 2019 से 2023 के बीच यूरोप में 56 फीसदी, उत्तर अमेरिका में 44 फीसदी और दक्षिण अमेरिका में 36 फीसदी तक उत्सर्जन में गिरावट दर्ज की गई है।

मतलब कि जहां यूरोप और अमेरिका के मोबाइल उद्योग उत्सर्जन कम करने में सबसे आगे हैं, वहीं एशिया और अफ्रीका में भी भागीदारी बढ़ रही है।

दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल बाजार चीन में जहां एक अरब से ज्यादा 5G कनेक्शन हैं, ने भी 2024 में पहली बार उत्सर्जन में 4 फीसदी की कमी दर्ज की है। वहीं 2019 से 2023 के बीच यह उत्सर्जन 7 फीसदी बढ़ा था। इसके पीछे कंपनियों द्वारा अक्षय ऊर्जा का बढ़ता उपयोग है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस दौरान चीन में अक्षय ऊर्जा का उपयोग चार गुणा से ज्यादा बढ़ा है। ऐसे में चीन की यह प्रगति वैश्विक नेट जीरों के लक्ष्यों को हासिल करने में अहम भूमिका निभा सकती है।

बढ़ी क्लाइमेट एक्शन की रफ्तार

कार्बन उत्सर्जन में तेजी से आ रही गिरावट के पीछे की मुख्य वजह मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क को ज्यादा ऊर्जा-दक्ष बनाना और सोलर व बैटरी जैसे साफ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ना है। कई कंपनियां अब पुराने और कम कुशल नेटवर्क को बंद कर रही हैं और डीजल जनरेटर पर अपनी निर्भरता घटा रही हैं।

कुछ देशों में सरकार की नीतियों और बाजार में आते सुधारों के चलते अक्षय ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ी है। हालांकि जीएसएमए का कहना है कि 2030 तक तेजी से कटौती के लिए और अधिक बाजारों में अक्षय ऊर्जा की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही इसके लिए सरकारी नीतियों के समर्थन और मोबाइल उद्योग में आपसी साझेदारी की जरूरत होगी।

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सर्वे के मुताबिक, 90 फीसदी यूजर्स मजबूत और मरम्मत योग्य डिवाइस चाहते हैं और करीब आधे लोग नया नहीं, बल्कि रीफर्बिश्ड फोन खरीदने पर विचार कर रहे हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि इंडस्ट्री के कुल कार्बन फुटप्रिंट का दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा सप्लाई चेन और मैन्युफैक्चरिंग से आता है। इस क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ रही है लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।

एक और दिलचस्प बात जो सामने आई वो यह है कि पुराने मोबाइल फोन के दोबारा इस्तेमाल को लेकर भी रुचि बढ़ रही है। जीएसएमए सर्वे के मुताबिक, 90 फीसदी यूजर्स मजबूत और मरम्मत योग्य डिवाइस चाहते हैं और करीब आधे लोग अगली बार नया नहीं, बल्कि रीफर्बिश्ड फोन खरीदने पर विचार कर रहे हैं।

गौरतलब है कि नया फोन बनाने की तुलना में पुराने फोन का फिर से इस्तेमाल करने से 80 से 90 फीसदी कम उत्सर्जन होता है।

देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में नए मोबाइल फोन की बिक्री धीमी हुई है, लेकिन पुराने (सेकंड हैंड) फोन का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2027 तक इसकी कीमत 150 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि कई बड़ी मोबाइल कंपनियां अब जलवायु जोखिम को समझने और नेट जीरो तक पहुंचने के लिए ठोस और दीर्घकालिक योजनाएं बना रही हैं। आने वाले साल में ये योजनाएं उनके नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

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