जलवायु परिवर्तन के चलते दक्षिण भारत में होगी भारी बारिश

इस बदलाव के चलते एक ओर जहां दक्षिण भारत में भारी बारिश होगी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा
जलवायु परिवर्तन के चलते दक्षिण भारत में होगी भारी बारिश
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भविष्य में जलवायु परिवर्तन के चलते उष्णकटिबंधीय वर्षा पट्टी की स्थिति में बदलाव आ जाएगा। जिसके चलते एक ओर जहां दक्षिण भारत में भारी बारिश होगी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा वहीं दूसरी ओर दक्षिण पूर्व अफ्रीका और मेडागास्कर में सूखे का खतरा और बढ़ जाएगा। इसके चलते करोड़ों लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि भूमध्य रेखा के पास एक संकीर्ण पट्टी है जहां भारी बारिश होती है इस पट्टी को ट्रॉपिकल रेन बेल्ट के नाम से जाना जाता है।

यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और इरविन विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध में सामने आई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि रेन बेल्ट में आने वाला यह बदलाव काफी असमान होगा। जहां पूर्वी गोलार्ध के कुछ हिस्सों में यह पट्टी उत्तर की ओर बढ़ जाएगी, वहीं पश्चिमी गोलार्ध के क्षेत्रों में यह दक्षिण की ओर सरक जाएगी।

अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में छपे इस शोध के अनुसार पूर्वी प्रशांत और अटलांटिक महासागर के ऊपर यह बेल्ट दक्षिण की ओर खिसक जाएगी जिसके कारण मध्य अमेरिका में सूखे की विकट स्थिति उत्पन्न हो जाएगी|

क्या है इसके पीछे की वजह

इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एंटोनियोस मामालाकिस ने बताया कि “शोध से पता चलता है कि जलवायु में आ रहे बदलावों के चलते पृथ्वी की उष्णकटिबंधीय वर्षा बेल्ट दो विपरीत दिशाओं में खिसक जाएगी। यह बेल्ट लगभग विश्व के दो तिहाई हिस्से को कवर करती है। जिसके कारण दुनिया भर में पानी की उपलब्धता और कृषि उत्पादन पर व्यापक असर पड़ेगा।”

शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष जलवायु के आधुनिक 27 मॉडलों के कंप्यूटर सिमुलेशन से प्राप्त आंकड़ों और उसके निष्कर्ष से निकाला है। जिसमें यह जानने का प्रयास किया गया था कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन का उष्णकटिबंधीय वर्षा बेल्ट पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसमें यह माना गया है कि सदी के अंत तक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता रहेगा।

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता जेम्स रैंडरसन ने बताया कि “जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया और उत्तरी अटलांटिक महासागर में वातावरण अलग-अलग मात्रा में गर्म हो रहा है| अनुमान है कि भविष्य में एयरोसोल उत्सर्जन में कमी आ जाएगी| जलवायु परिवर्तन के चलते जहां हिमालय में ग्लेशियर का पिघलना बढ़ जाएगा| साथ ही उत्तरी हिस्से में बर्फ के आवरण में कमी आ जाएगी| जैसा की हम जानते हैं कि बारिश की यह पट्टी, गर्मी की ओर बढ़ती है| पूर्वी गोलार्ध में इसका उत्तर की ओर बढ़ना जलवायु परिवर्तन के परिणामों के अनुरूप ही है|”

उन्होंने आगे बताया कि “गल्फ स्ट्रीम के कमजोर पड़ने और उत्तरी अटलांटिक में पड़ते प्रभाव का इसपर विपरीत प्रभाव पड़ेगा| जिसके चलते पश्चिमी गोलार्ध में यह बेल्ट दक्षिण की ओर बढ़ जाएगी|”

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