जलवायु परिवर्तन के चलते औसत से 36 फीसदी बढ़ गया है समुद्री प्रवाह

ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के चलते समुद्र की काइनेटिक एनर्जी में बड़ी तेजी से वृद्धि आ रही है। जिसके चलते समुद्री परिसंचरण में भी वृद्धि हो रही है
Photo credit: needpix
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जलवायु परिवर्तन के असर से आज कोई भी सुरक्षित नहीं है। यही वजह है कि आज न केवल जमीन पर बल्कि समुद्रों पर भी इसका असर होने लगा है। इसमें से एक असर यह भी है कि पिछले दो दशकों के दौरान वैश्विक रूप से समुद्री प्रवाह में तेजी दर्ज की गयी है।

शोधकर्ताओं के अनुसार 90 के दशक की शुरुआत से समुद्र की काइनेटिक एनर्जी में बड़ी तेजी से वृद्धि आयी है। जिसके चलते समुद्री परिसंचरण की गति में 36 फीसदी वृद्धि की गणना की गयी है।

वैज्ञानिकों ने इसके लिए ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन को जिम्मेदार माना है। इसके बारे में विस्तृत अध्ययन अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंस एडवांसेज में छपा है।

शोध के अनुसार उष्णकटिबंधीय महासागरों में यह प्रवृत्ति विशेष रूप देखने को मिली है। जोकि हजारों मीटर की गहराई पर भी देखी जा सकती है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए सतह पर चलने वाली हवाओं को जिम्मेदार माना है। यह अध्ययन शिजियान हू और जेनेट स्प्रिंटल द्वारा किया है जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में समुद्र विज्ञानी हैं और इस अध्ययन की सह-लेखक भी हैं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि "समुद्री धाराओं में आ रही यह तेजी और विस्तार दुनिया भर के समुद्रों में 2000 मीटर की गहराई तक देखा गया है।" जेनेट स्प्रिंटल ने बताया कि "हमें पिछले दो दशकों में जिस तरह हवा की रफ्तार बढ़ रही थी, इसमें कुछ अंतर आने का अंदेशा तो था। पर यह अंतर इतना ज्यादा होगा, इसकी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने इसके लिए जलवायु में आ रहे बदलाव को जिम्मेदार माना है।" 

बिगड़ रहा है पृथ्वी की ऊर्जा का संतुलन

शोधकर्ताओं के अनुसार महासागरीय परिसंचरण एक गतिशील प्रक्रिया है। जो समुद्री जल के द्रव्यमान और गर्मी को पुनर्वितरित करती रहती है। यह धरती के पर्यावरण और उसकी जलवायु प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह धरती पर तापमान को नियंत्रित करती है।

वैज्ञानिकों का मत है कि दुनिया भर के अलग-अलग समुद्रों में होने वाली गतिशील प्रक्रियाओं और प्रकृति में अंतर होता है। यही वजह है कि उन पर जलवायु परिवर्तन का असर भी अलग-अलग होता है।

उनका मानना है कि हम इस परिसंचरण को ठीक तरह से समझ नहीं पाएं हैं। आज भी इनके प्रत्यक्ष रूप से किये व्यवस्थित और निरंतर अवलोकनों की कमी है। वैज्ञानिकों के अनुसार 90 के दशक की शुरुआत से ही सतह पर तेज हवाएं चल रही हैं। जिससे समुद्री परिसंचरण की गति बढ़ रही है।

इसके कारण जल का द्रव्यमान और गर्मी तेजी से प्रवाहित हो रही है। परिणामस्वरूप जल चक्र की गति बढ़ जाएगी। साक्ष्य बताते है कि मनुष्यों द्वारा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ता जा रहा है। जिससे पृथ्वी की ऊर्जा का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग समुद्रों के प्रवाह को किस तरह प्रभावित कर रही है, इसको समझना जरुरी हो जाता है।

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