हिमालय सहित कई ऊंचे पर्वतों में बह रही नदियों में जमा हो रही है गाद

नदी में बहती गाद पानी की गुणवत्ता, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र, नदी के बुनियादी ढांचे जैसे कि जलविद्युत संयंत्रों और पुलों, साथ ही कृषि और पशुपालन को खतरे में डालती है।
ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में कटाव और नदी के गाद या तलछट उत्पादन की जांच करना, पर्यावरण में बदलाव और जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए जरूरी है।
ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में कटाव और नदी के गाद या तलछट उत्पादन की जांच करना, पर्यावरण में बदलाव और जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए जरूरी है।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, टोनी हिसगेट
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एशिया की कई ऊंचे इलाकों से बहने वाली पहाड़ी नदियां कुछ साल पहले की तुलना में अधिक गाद या तलछट नीचे की ओर ले जा रही हैं। गाद के स्तर में बदलाव का कृषि, पानी की गुणवत्ता, बाढ़ प्रबंधन और जलविद्युत उत्पादन पर विशेष रूप से गहरा असर पड़ता है।

ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में कटाव और नदी के गाद या तलछट उत्पादन की जांच करना, पर्यावरण में बदलाव और जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए जरूरी है।

एशिया की इन ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में तिब्बती पठार और दुनिया की कुछ सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं - हिमालय, काराकोरम, तिएनशान, कुनलुन, किलियन और हेंगडुआन आदि शामिल हैं।

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ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में कटाव और नदी के गाद या तलछट उत्पादन की जांच करना, पर्यावरण में बदलाव और जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए जरूरी है।

पॉट्सडैम विश्वविद्यालय के द्वारा किए गए एक अध्ययन में नदियों के गाद को बहा ले जाने और वर्तमान गाद को नियंत्रित करने में ग्लेशियरों, वनस्पतियों, बारिश और ढलान की परस्पर भूमिकाओं को दर्शाया गया है। जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए, शोधकर्ताओं ने ऊंचे पर्वतों में नदियों के पूरे जलग्रहण क्षेत्र के लिए एक व्यवस्थित नजरिया अपनाने का सुझाव दिया है।

पॉट्सडैम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शोध के हवाले से कहते हैं कि ऊंचे ग्लैशियल आवरण वाले जलग्रहण वाले इलाकों में गाद के पैदा होने का औसतन बिना ग्लेशियर वाले बेसिनों की तुलना में अधिक है। एशिया के ग्लेशियर वाले जलग्रहण क्षेत्रों में यह यूरोपीय आल्प्स, एंडीज या नॉर्वे की तुलना में अधिक प्रतीत होता है।

साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि नदी में बहती गाद या तलछट नीचे की ओर पानी की गुणवत्ता और इस प्रकार जलीय पारिस्थितिकी तंत्र, नदी के बुनियादी ढांचे जैसे कि जलविद्युत संयंत्रों और पुलों, साथ ही कृषि और पशुपालन को खतरे में डालती है।

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ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में कटाव और नदी के गाद या तलछट उत्पादन की जांच करना, पर्यावरण में बदलाव और जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए जरूरी है।

शोधकर्ताओं की टीम ने तिब्बती पठार के आसपास की 151 नदियों की जांच-पड़ताल की और दिखाया कि ग्लेशियर नदी गाद या तलछट उत्पादन पर शुरुआत में नियंत्रण रखते हैं, विशेष रूप से भारी बारिश और अधिक ग्लेशियर वाले बेसिनों में ऐसा देखा गया है।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि हमारा काम नदी के जलग्रहण वाले इलाकों में बहने वाली सामग्री को नियंत्रित करने में कई प्रतिस्पर्धी कारणों पर प्रकाश डालता है और दिखाता है कि गाद या तलछट की मात्रा का अधिक सटीक पूर्वानुमान न केवल जलवायु परिवर्तन, बल्कि ग्लेशियर की गतिशीलता और वनस्पति में होने वाले बदलावों और ढलान के साथ उनकी आंतरिक रूप से चलने वाली क्रियाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए।

वनस्पति से जुड़ी गाद या तलछट के बहने को विशेष रूप से पूर्वी तिब्बती पठार और टीएन शान में प्रभावित करती है। जलवायु क्षेत्र के आधार पर, वनस्पति या तो सामग्री के क्षरण को बढ़ावा दे सकती है या ढलानों पर स्थिर प्रभाव डाल सकती है। ये निष्कर्ष ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए एक व्यवस्थित बेसिन से संबंधित नजरिए की मांग करते हैं।

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