हिमालय में कम बर्फबारी: गंगा नदी बेसिन में बर्फ में 17 प्रतिशत की कमी से गहराया जल संकट

रिपोर्ट के अनुसार, भारत से होकर बहने वाली गंगा नदी बेसिन में बर्फ की सबसे कम स्थिरता पाई है, जो औसत से 17 प्रतिशत कम है, जो 2018 में 15 प्रतिशत से भी बदतर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बर्फबारी का स्थायित्व (सामान्य से 18.5 प्रतिशत कम) पिछले 22 वर्षों में दूसरा सबसे कम है, जो 2018 में दर्ज 19 प्रतिशत के न्यूनतम रिकॉर्ड से थोड़ा पीछे है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बर्फबारी का स्थायित्व (सामान्य से 18.5 प्रतिशत कम) पिछले 22 वर्षों में दूसरा सबसे कम है, जो 2018 में दर्ज 19 प्रतिशत के न्यूनतम रिकॉर्ड से थोड़ा पीछे है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, कौस्तुभ पोरलीकर
Published on

वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हिमालय में इस साल बर्फबारी की दर सबसे कम रही है, जिसके कारण बर्फ के पिघलने पर निर्भर रहने वाले लाखों लोगों के लिए पानी की कमी का खतरा बढ़ गया है

रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्फ के पिघलने से इस क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी घाटियों को कुल जल प्रवाह का लगभग एक चौथाई हिस्सा हासिल होता है।

नेपाल स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि यह शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और नदियों के निचली जगहों पर रहने वाले लोगों के लिए एक चेतावनी है।

बर्फ के कम जमाव और बर्फ के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण, विशेष रूप से इस साल, पानी की कमी का खतरा बढ़ गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, हिमालय पर बर्फ और बर्फ पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 24 करोड़ लोगों के लिए एक सबसे अहम पानी का स्रोत है, साथ ही नीचे की नदी घाटियों में रहने वाले 1.65 अरब लोगों का इसके बिना जीवन आसान नहीं होगा।

जबकि हर साल बर्फ के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित वर्षा हो रही है और मौसम के पैटर्न में बदलाव हो रहा है।

रिपोर्ट में बर्फ के बने रहने की अवधि को मापा गया है, वह समय जब बर्फ जमीन पर रहती है, इस साल हिंदू कुश और हिमालय क्षेत्र में बर्फ का स्तर सामान्य से लगभग पांचवां हिस्सा नीचे चला गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बर्फबारी का स्थायित्व (सामान्य से 18.5 प्रतिशत कम) पिछले 22 वर्षों में दूसरा सबसे कम है, जो 2018 में दर्ज 19 प्रतिशत के न्यूनतम रिकॉर्ड से थोड़ा पीछे है।

भारी बदलाव

नेपाल के साथ-साथ अंतर-सरकारी आईसीआईएमओडी संगठन में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देश भी सदस्य हैं।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आईसीआईएमओडी के अवलोकन और अनुमान नदियों के प्रवाह के समय और तीव्रता में भारी बदलाव दर्शाते हैं, जिसमें बर्फबारी एक प्रमुख भूमिका निभाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मौसमी जल उपलब्धता सुनिश्चित करने में बर्फ विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आईसीआईएमओडी दो दशकों से अधिक समय से इस क्षेत्र में बर्फ की निगरानी कर रहा है। संगठन ने पाया कि 2024 में भारी विसंगति देखी जा रही है।

आईसीआईएमओडी ने भारत से होकर बहने वाली गंगा नदी बेसिन में बर्फ की सबसे कम स्थिरता पाई है, जो औसत से 17 प्रतिशत कम है, जो 2018 में 15 प्रतिशत से भी बदतर है।

अफगानिस्तान में हेलमंद नदी बेसिन में बर्फबारी का स्तर सामान्य से 32 प्रतिशत कम होकर दूसरे सबसे कम स्तर पर पहुंच गया।

सिंधु नदी बेसिन में बर्फबारी सामान्य स्तर से 23 प्रतिशत कम रही, जबकि ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन, जो बांग्लादेश में जाकर मिलती है, में बर्फबारी का स्तर "सामान्य से काफी कम" यानी 15 प्रतिशत रहा।

रिपोर्ट के हवाले से इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) के शोधकर्ताओं ने इस सब को देखते हुए सूखा पड़ने और इस स्थिति से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in