
मंगलवार 5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के जिले उत्तरकाशी के धराली में खीर गंगा के रौद्र रूप में आने के बाद तबाही और राहत-बचाव कार्यों की तस्वीरें, वीडियो समाचार माध्यमों और सोशल मीडिया में भरी हुई हैं। राज्य सरकार पूरी तत्परता से राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई नजर आ रही है. और तो और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी न सिर्फ़ उत्तरकाशी पहुंच गए हैं, बल्कि बुधवार की रात वहीं प्रवास करने का ऐलान भी कर दिया है, ताकि राहत-बचाव कार्यों की नजदीक के मॉनीटरिंग हो सके।
प्रदेश के चार सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और धराली की आपदा पर चर्चा की। इस सबकी तस्वीरें बाकायदा राज्य का सूचना विभाग जारी भी कर रहा है, लेकिन उत्तरकाशी से देहरादून तक शासन-प्रशासन के अधिकारी देर शाम तक यह बताने को तैयार नहीं थे कि इस त्रासदी में कितने लोगों की जान चली गई है, कितने घायल हैं, कितनों को बचाया गया है और कितने गायब हैं। शाम करीब सात बजे जारी प्रेस विज्ञप्ति में सिर्फ इतना बताया गया कि दो लोगों का शव मिले हैं और 15 लोग लापता हैं।
हालांकि मंगलवार को ही उत्तरकाशी के ज़िलाधिकारी चार लोगों के मारे जाने की बात कह चुके थे। और स्थानीय लोग हताहतों की संख्या का अनुमान अधिक लगा रहे हैं।
राहत-बचाव को बैठकें और दावे
बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राहत कार्यों की समीक्षा की. राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग के अनुसार राहत कार्यों को गति देने के उद्देश्य से दो हेलीकॉप्टरों के माध्यम से आवश्यक खाद्य सामग्री और राहत सामग्री धराली क्षेत्र में पहुंचाई गई है। राज्य सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने चंडीगढ़, सरसावा और आगरा से दो चिनूक और दो एमआई–17 हेलीकॉप्टर, बुधवार तड़के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उपलब्ध करा दिए थे। सड़क यातायात बहाल करने के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर से भारी मशीनरी भी पहुंचाई जा रही है।
बचाव अभियान में सेना के 125 अधिकारी और जवान, आईटीबीपी के 83 अधिकारी और जवान भी लगे हुए हैं. बीआरओ के 6 अधिकारी, 100 से अधिक मजदूरों के साथ बाधित सड़कों को खोलने में जुटे हुए हैं।
बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग ने आपदा में घायलों को उपचार प्रदान करने के लिए दून मेडिकल कॉलेज, कोरोनेशन जिला अस्पताल और एम्स ऋषिकेश में बेड आरक्षित किए हैं, साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी उत्तरकाशी के लिए रवाना किया गया है. विशेष रूप से मनोचिकित्सक भी आपदाग्रस्त क्षेत्र में भेजे गए हैं.
उत्तरकाशी प्रशासन ने इंटर कॉलेज हर्षिल, जीएमवीएन और झाला में राहत शिविर प्रारंभ किए हैं. इसके साथ ही क्षेत्र में बिजली और संचार नेटवर्क को बहाल किए जाने के प्रयास भी युद़धस्तर पर किए जा रहे हैं. एनआईएम और एसडीआरएफ लिम्चागाड में अस्थायी पुल निर्माण में भी जुट गई है. राज्य सरकार मंगलवार शाम को ही तीन आईएएस अधिकारियों के साथ ही दो आईजी और तीन एसएसपी स्तर के आईपीएस को राहत एवं बचाव अभियान में समन्वय के लिए उत्तरकाशी रवाना कर चुकी है.
इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में कहा, “धराली में राहत एवं बचाव कार्यों की सघन निगरानी हेतु आज उत्तरकाशी में ही प्रवास करूँगा. अधिकारियों के साथ बैठक कर रेस्क्यू ऑपरेशन की लगातार समीक्षा भी कर रहा हूँ।”
“100-150 लापता”
‘बीज बम अभियान’ चलाने वाले हिमालयन पर्यावरण जड़ी-बूटी एग्रो संस्थान, जाड़ी (उत्तरकाशी) के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि मंगलवार को धराली में एक स्थानीय मेला ‘हरदूदू’ का आयोजन भी होना था। इसमें शामिल होने के लिए उत्तरकाशी और आस-पास के इलाकों से भी लोग आए हुए थे। इसके अलावा स्थानीय लोग, वहां काम करने वाले कर्मचारी और मजदूर भी बड़ी संख्या में मौजूद थे।
सेमवाल के अनुसार करीब 50 तो स्थानीय लोगों के ही लापता होने के बारे में पता चल रहा है। हालांकि वह यह भी कहते हैं वह ऐसी किसी बात का दावा नहीं कर रहे, लेकिन इतना तय है कि बड़ी संख्या में लोग लापता हैं।
सेमवाल राहत और बचाव कार्यों की मुश्किलों का भी ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि खीर गंगा के साथ आया मलबा धराली में 10 से 20 फ़ीट तक जमा है। ऐसे में राहत और बचाव कार्य, मलबे में दबे लोगों को निकालना भी बड़ा चुनौतीपूर्ण है. इसके अलावा रास्ते भी टूटे हुए हैं और धराली पहुंचना आसान नहीं है।
साफ है कि धराली में हुई तबाही उससे बहुत ज़्यादा है जो सरकार के आंकड़े कह रहे हैं। राहत और बचाव की चुनौतियां भी बड़ी हैं। आने वाले दिनों में जब तस्वीर साफ़ होगी तब पता चलेगा कि नुक़्सान कितना हुआ है।
इस सबके गुजरने के बाद स्थानीय लोगों और नीति निर्माताओं को यह भी सोचना होगा कि वह प्रकृति को कितनी चुनौती दे सकते हैं, उससे कितना खिलवाड़ कर सकते हैं और उसकी क्या कीमत चुकाने को तैयार हैं।