
2 मई 2025 की तड़के सुबह दिल्ली में अचानक से मौसम बदला और राजधानी आंधी बारिश की चपेट में आ गई। मौसम विभाग के मुताबिक मौसम की इस मार के लिए एक साथ सक्रिय हुई स्थानीय और वैश्विक मौसमी प्रणालियां जिम्मेवार थी। इनमें एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ, राजस्थान के ऊपर मौजूद दो चक्रवाती परिसंचरण और अरब सागर और पूर्वी तट पर बने प्रति-चक्रवात शामिल थे।
बता दें कि चक्रवाती परिसंचरण हवा का वह घेरा होता है, जो कम दबाव वाले क्षेत्र के चारों ओर घूमता है। इससे बारिश और तूफान हो सकते हैं।
इस बारिश और तूफान ने कम से कम चार लोगों की जान ले ली, दिल्ली और आसपास के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया और शहर से सौ से ज्यादा उड़ाने रद्द करनी पड़ी।
गौरतलब है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की सफदरजंग ऑब्जर्वेटरी ने दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम में एक मई सुबह 8:30 से दो मई सुबह 8:30 बजे के बीच 77 मिलीमीटर बारिश दर्ज की। वहीं, लोधी रोड ऑब्जर्वेटरी ने इस अवधि के दौरान 78 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की।
आईएमडी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, असल में यह भारी बारिश 02 मई को सुबह 5:15 से 8:30 बजे के बीच महज तीन घंटों में हुई। इस बारिश के साथ 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं भी चलीं, जिससे शहर के अलग-अलग हिस्सों में पेड़ उखड़ गए।
30 अप्रैल को, आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ 2 मई से उत्तर-पश्चिम भारत पर असर डालना शुरू करेगा। मौसम विभाग ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा था, "पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 30 अप्रैल से 5 मई के बीच अलग-अलग स्थानों पर बारिश, आंधी, बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती है। इसके साथ 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेजी हवाएं चल सकती हैं।"
गौरतलब है कि पश्चिमी विक्षोभ एक उष्णकटिबंधीय तूफान है जो भूमध्य सागर क्षेत्र में उत्पन्न होता है और ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होता हुआ भारत आता है। भारत में सर्दियों के दौरान इसकी वजह से अधिकांश बारिश होती है। साथ ही यह मानसून से पहले तूफान भी पैदा करता है। हालांकि इन तूफानों की संख्या गर्मियों में बढ़ गई है, जो शायद वैश्विक तापमान में हो रहे इजाफे और जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है।
आंधी-बारिश के लिए कौन से कारक रहे जिम्मेवार
1 मई को अपनी प्रेस विज्ञप्ति में, आईएमडी ने दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और दक्षिण-पूर्व राजस्थान में दो चक्रवाती परिसंचरणों की मौजूदगी की भी जानकारी दी थी। चक्रवाती परिसंचरण हवा का एक गोलाकार घेरा होता है, जो वातावरण की मध्य और ऊपरी परतों में बनता है, और यह अक्सर निचली परतों में तूफानों के बनने का कारण बनता है।
यह तूफान शायद क्षेत्र में इन्हीं तीन प्रमुख मौसमी प्रणालियों के प्रभाव से बना, साथ ही इलाके में जमीन की गर्मी और निचली वायुमंडलीय परतों में नमी जैसे स्थानीय कारणों ने भी इसमें अपनी भूमिका निभाई।
एक और महत्वपूर्ण कारक जो इसमें भूमिका निभा सकता है, वह है भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में चल रही तटस्थ एल नीनो दक्षिणी दोलन की स्थिति। आईएमडी के मुताबिक यह स्थितियां कुछ-कुछ ला नीना जैसी ही हैं। यही कारण है कि मौसम विभाग ने 2025 में मानसून के सामान्य से बेहतर रहने की उम्मीद जताई है।
ऐसी स्थिति में, भारत में पूर्वी हवाएं तेज हो जाती हैं, जिससे तूफान के साथ भारी बारिश हो सकती है।
जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुडे ने डाउन टू अर्थ को बताया कि "पश्चिमी विक्षोभ को अरब सागर के ऊपर कई सप्ताह से सक्रिय प्रतिचक्रवाती तूफान ने शक्ति दी है।" बता दें कि प्रोफेसर रघु मुर्तुगुडे आईआईटी मुंबई में जलवायु अध्ययन के विशेषज्ञ हैं।
एंटी साइक्लोन या प्रतिचक्रवात एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां वायुमंडलीय दबाव ज्यादा होता है और हवाएं नीचे की ओर बहती हैं। यह आमतौर पर लू का कारण बनता है।
उन्होंने बताया, "पूरब के तट पर बना दूसरा एंटी साइक्लोन भारत में प्रवेश करने वाली भूमध्यरेखीय हवाओं के कारण बना, जो अरब सागर के पूर्वी किनारे के साथ ऊपर की ओर बह रही थीं।"
आईएमडी और अन्य पूर्वानुमानकर्ताओं ने दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक बारिश जारी रहने की आशंका जताई है। मर्तुगुडे का कहना है, "यह देखना दिलचस्प होगा कि ये दो एंटी साइक्लोन आने वाले किसी भी चक्रवात या मानसून की शुरुआत पर कैसे असर डालते हैं।"