कॉप 27: भारत के राष्ट्रीय घोषणा पत्र में दम नहीं, विशेषज्ञों को शिकायत

विशेषज्ञों ने कहा कि कॉप 27 में भारत के घोषणा पत्र में प्रमुख वार्ता एजेंडा का कोई उल्लेख नहीं है
कॉप 27 में भारत का घोषणा पत्र जारी करते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
कॉप 27 में भारत का घोषणा पत्र जारी करते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
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जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन (कॉप 27) के विस्तृत सत्र के दौरान 15 नवंबर, 2022 को भारत का राष्ट्रीय घोषणा पत्र, एलआईएफई या लिफे - 'पर्यावरण के लिए जीवन शैली' जारी किया गया। एलआईएफई को ग्लासगो में कॉप 26 के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किया गया था।

विशेषज्ञों ने कहा, हालांकि घोषणा पत्र में महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख किया गया है, जिसमें विकसित देशों से वित्तीय सहायता, हानि और क्षति के साथ-साथ जीवाश्म ईंधन में कटौती करना शामिल है।

भारत के घोषणा पत्र में दावा किया गया है कि भारत ने उत्सर्जन में कटौती के लिए पहले ही "कठोर प्रयास" कर लिए हैं।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत जहां 1.3 अरब लोग रहते हैं, वह उत्सर्जन में कटौती के इस कठिन प्रयास को अंजाम दे रहा है, इस वास्तविकता के बावजूद कि दुनिया के बढ़ते उत्सर्जन में हमारा योगदान अब तक चार प्रतिशत से कम है और हमारा वार्षिक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक-तिहाई है।

यादव ने बताया कि भारत पहले ही प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में कार्बन को कम करने की और अग्रसर है तथा भारत ने अपनी 'लंबी अवधि के उत्सर्जन में बहुत कम वृद्धि की रणनीति' प्रस्तुत कर दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री द्वारा 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता की घोषणा के एक साल के भीतर किया गया।

जलवायु विशेषज्ञों ने बताया कि भारत की लंबे समय की रणनीति मूल रूप से पुरानी प्रतिबद्धताओं और आंकड़ों और विशिष्ट लक्ष्यों की कमी का मिश्रण है।

वैश्विक राजनीतिक रणनीति के तथा क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल के प्रमुख हरजीत सिंह ने कहा, "हालांकि कॉप 27 में जारी जीवाश्म ईंधन से बदलाव या दूसरे विकल्पों को अपनाने के लिए भारत की दीर्घकालिक रणनीति एक उत्साहजनक कदम है। नीति निर्माताओं को अब रणनीति को समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए विशिष्ट लक्ष्य रखने चाहिए जो मील के पत्थर साबित हों।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दावा किया कि भारत ने अपने 2030 के जलवायु लक्ष्यों में वृद्धि की महत्वाकांक्षा के आह्वान के जवाब में अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पहले ही अपडेट कर दिया है। एनडीसी देशों द्वारा किए गए उत्सर्जन में कटौती के लिए स्वैच्छिक संकल्प है।

घोषणा में यह भी उल्लेख किया गया है कि कैसे देश ने "नवीकरणीय ऊर्जा, ई-वाहन, इथेनॉल मिश्रित ईंधन और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में ग्रीन  हाइड्रोजन आदि में दूरगामी पहल शुरू की गई है"।

इसमें देश की अंतर्राष्ट्रीय पहलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोध बुनियादी ढांचे के गठबंधन का उल्लेख किया गया है।

यादव ने आगे कहा कि भारत 2023 में 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के आदर्श वाक्य के साथ जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा, उन्होंने कहा "एक सामूहिक यात्रा हमारे मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में इक्विटी और जलवायु न्याय के साथ" शुरू करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

खोखली बयानबाजी

घोषणा का केंद्र बिन्दु हालांकि मिशन एलआईएफई था, जिसमें बयान का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।

यादव ने कहा, "भारत के एक सुरक्षित ग्रह का दृष्टिकोण के केंद्र में यह एक शब्द मंत्र के समान  है, पर्यावरण के लिए जीवन शैली - जिसे प्रधान मंत्री मोदी ने कॉप 26 में हमारे राष्ट्रीय घोषणा में निर्धारित किया है।"

उन्होंने कहा “दुनिया को तत्काल अर्थहीन और विनाशकारी खपत से सचेत रहने और उनके  जानबूझकर उपयोग करने पर रोक के लिए भारी बदलाव की आवश्यकता है। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र और एक जीवंत उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत नेतृत्व करना चाहता है और वैश्विक समुदाय को मिशन एलआईएफई का हिस्सा बनने जिसमें व्यक्तिगत, परिवार और समुदाय आधारित कार्यों के लिए आमंत्रित करता है।

एक जलवायु विशेषज्ञ ने एलआईएफई के विचार की सराहना की। हालांकि, विशेषज्ञ ने बताया कि फिलहाल, बयान जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक सच्चे हथियार के बजाय सिर्फ बयानबाजी और डींग मारने की तरह है।

"यदि आप कार्रवाई की सूची' के तहत शामिल 75 बिंदुओं को देखें, तो आप पाएंगे कि उनमें से अधिकतर वास्तविक कार्यों की तुलना में केवल अभिलाषी सुझाव हैं"।

विशेषज्ञ ने कहा इसके अलावा, कुछ ऐसे भी सुझाव हैं जैसे 'जहां भी संभव हो लिफ्ट के बजाय सीढ़ियां लें' या 'प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए पेड़ लगाएं' आदि।

शर्म अल-शेख के एक वरिष्ठ जलवायु विशेषज्ञ ने कहा, "घोषणा में यहां महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ भी नहीं है, शायद सामरिक कारणों से, ऐसा है" यह स्वीकार करते हुए कि भारत अब तक कॉप 27 में पहले की तुलना में अधिक सक्रिय रहा है।

विशेषज्ञ ने कहा कि “एक बार बातचीत की जानकारी उपलब्ध हो जाने के बाद, हमें पता चल जाएगा कि भारत अपने एजेंडे के माध्यम से कितना आगे बढ़ पाया है, विशेष रूप से केवल कोयला ही नहीं बल्कि सभी तरह के जीवाश्म ईंधन से बाहर निकलने में यह अहम होगा। लेकिन अपने राष्ट्रीय घोषणा में यह निश्चित तौर पर और मजबूत हो सकता था।"

अन्य देशों ने बातचीत के मंच पर प्रमुख एजेंडा के बारे में स्पष्ट रूप से मांगें रखीं हैं।

बांग्लादेश ने अपने राष्ट्रीय घोषणा में, "2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करने के लिए" तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस वर्ष से 2025 तक 100 बिलियन डॉलर की अपनी मांग रखी और इस कॉप में नुकसान और क्षति के लिए एक वित्तीय तंत्र की मांग की है।

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