कॉप 27: जलवायु पीड़ित देशों ने अमीर देशों से हानि और क्षति पर तत्काल कार्रवाई की लगाई गुहार

यूरोपीय संघ ने चेतावनी देते हुए हानि और क्षति की सुविधा पर अपना रुख नरम किया है
कॉप 27: जलवायु पीड़ित देशों ने अमीर देशों से हानि और क्षति पर तत्काल कार्रवाई की लगाई गुहार
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जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील देशों (जिनमें से कुछ इस साल इसके विनाशकारी प्रभावों से गुजरे हैं) ने विकसित देशों से 17 नवंबर, 2022 को राजनीतिक इच्छाशक्ति से आगे बढ़ने और हानि और क्षति (लॉस एंड डैमेज) वित्तपोषण  की सुविधा पर राजनीतिक कार्रवाई करने के लिए कहा। हालांकि यह तभी संभव हुआ, जब कुछ विकसित देशों ने अपनी कुछ शर्तों के साथ इस मुद्दे पर अपना रुख नरम किया।

जी-77 प्लस चीन (इस समूह में 77 विकासशील देशों के अलावा चीन भी शामिल है), एसोसिएशन ऑफ स्मॉल आइलैंड स्टेट्स (छोटे द्वीपों का एक समूह), कम विकसित देशों (एलडीसी) और लैटिन अमेरिकी तथा कैरिबियन देशों के स्वतंत्र संघ (एआईएलएसी) जैसे देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्रियों ने एक संवाददाता सम्मेलन किया और कॉप 27 में हानि और क्षति वित्त सुविधा को तत्काल लागू करने की अपील की।

संवाददाता सम्मेलन में पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने कहा "हम कॉप 27 की शुरुआत में आशान्वित थे और खुश थे कि हानि और क्षति के एजेंडे को शामिल किया गया, यह एक सफलता थी। अब सभी देशों को एक साथ आने और इसे जमीन पर उतारने की जरूरत है। पाकिस्तान जी-77 का अध्यक्ष भी है।  

उन्होंने कहा कि 134 देश पहले ही इस पर इस मुद्दे पर एक साझा आधार बना चुके हैं। वे इस एजेंडा के विषय को आगे ले जाना चाहते थे और उन्हें उम्मीद थी कि हानि और क्षति वित्त सुविधा पर एक समिति बने।

जी 77 प्लस चीन ने हानि और क्षति वित्तपोषण सुविधा को लागू करने के लिए एक प्रस्ताव रखा है।

रहमान ने कई बार दोहराया कि जलवायु परिवर्तन अब एक न्याय का मुद्दा है और न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है। कॉप प्रक्रिया के मूल में कमजोर समुदाय होने चाहिए।

उन्होंने कहा "यह क्या मायने रखता है कि संपूर्ण कॉप प्रणाली एक समान है, लेकिन जिम्मेदारियां अलग-अलग हैं। इस कॉप में हमें कम से कम एक राजनीतिक घोषणा तो करनी होगी।

उन्होने आगे कहा कि “बाद में, विकसित देशों द्वारा सुझाए गए हानि और क्षति वित्तपोषण के विकल्पों पर चर्चा की जा सकती है और काम किया जा सकता है। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि कमजोर देशों द्वारा स्थापित सुविधा का आसानी से संचालन किया जा सके।"

रहमान ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा "भविष्य के लिए इस कॉप से एक शक्तिशाली संदेश जाएगा। यह न केवल हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि अभी जो बचा है उसे भी बचाना है। हमारी सिफारिश है कि सब कुछ समयबद्ध तरीके से करें। हानि और क्षति वित्त सुविधा के संचालन के लिए एक कार्य योजना होनी चाहिए।

उन्होंने कहा "इस स्तर पर हम हानि और क्षति वित्तपोषण सुविधा पर मुद्दों और अपेक्षाओं को जानते हैं। हमारे देश सबसे कमजोर हैं और भारी कीमत चुका रहे हैं। यहां, शर्म अल-शेख में सुविधा को लागू करने पर निर्णय लिया जाना चाहिए।

एलडीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले सेनेगल के मंत्री अलीउने एनडॉय ने कहा "हमारी आबादी अपने नुकसान को दूर करने के लिए एक समाधान की उम्मीद कर रही है कि जिसका वे अन्यायपूर्ण तरीके से सामना कर रहे हैं। ग्रीनहाउस गैसों के और बढ़ने से ये और भी बदतर हो जाएंगे। जो फैसला आज लिया जा सकता है उसे हमेशा के लिए नहीं धकेला जाना चाहिए। उन्होंने कहा  हानि और क्षति वित्तपोषण पर कार्रवाई करने का समय यहां अभी है।

मोल्विन जोसेफ ने कहा "युवाओं के अधिकारों और अभी तक पैदा नहीं हुए लोगों के अधिकारों पर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई है। पृथ्वी पर उनका अधिकार सुनिश्चित करने के लिए हमें नुकसान और क्षति वित्तपोषण पर निर्णय की ओर बढ़ना होगा। कुछ भी कम उन लोगों के साथ विश्वासघात है जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक पीड़ित हैं और मानवता के लिए लड़ रहे हैं। जोसेफ एओएसआईएस का प्रतिनिधित्व करने वाले एंटीगुआ और बारबुडा के मंत्री हैं।

उन्होंने कहा "मुझे नेताओं से बात करने का अवसर मिला है और इसमें राजनीतिक प्रतिबद्धता प्रतीत होती है। लेकिन यह राजनीतिक प्रतिबद्धता सुविधा स्थापित करने के लिए राजनीतिक कार्रवाई में तब्दील नहीं हुई है। मुझे दान के लिए संयुक्त राष्ट्र क्यों जाना चाहिए? एक छोटे से द्वीपीय देश से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है।"

दूसरी ओर, यूरोपीय संघ ने हानि और क्षति वित्तपोषण की सुविधा पर अपने रुख को कुछ हद तक नरम कर दिया है, हालांकि कुछ विकासशील देशों को इस बात की चेतावनी दी गई है, हो सकता है वह चीन के लिए दी गई हो, जिसे हानि और क्षति वित्तपोषण के लिए भी भुगतान करना चाहिए।

एक संवाददाता सम्मेलन में, यूरोपीय आयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष, फ्रैंस टिमरमन्स ने कहा कि उन्हें "यूरोपीय संघ को जी 77 प्लस चीन के प्रस्ताव से समस्या है। प्रस्ताव ने 1992 में उत्सर्जन की गणना करना शुरू कर दिया था, लेकिन जो देश 1992 में विकसित हो रहे थे, वे अब शीर्ष तौर पर आर्थिक प्रदर्शन कर रहे हैं और उन देशों को भी नुकसान और क्षति के वित्तपोषण में योगदान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज की दुनिया "विकसित और विकासशील देशों के बीच विभाजित होने की तुलना में कहीं अधिक जटिल है।"

वित्त पोषण लक्ष्य आधारित होना चाहिए। टिम्मर मेन्स के अनुसार, वे देश, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं, जैसे कि छोटे द्वीपीय राज्य, उन्हें सबसे पहले धन मिलना चाहिए,  जैसे ही उन्हें इसकी आवश्यकता हो।

वह आगे चाहते थे कि हानि और क्षति के वित्तपोषण के लिए उपलब्ध धन के विकल्पों की एक मजबूत पहल हो, जिनमें से हाल ही में जारी की गई ग्लोबल शील्ड पहल एक हो सकती है। उन्होंने कहा "आप मौजूदा उपकरणों के साथ क्या कर सकते हैं जिसे तुरंत किया जा सकता है। कमजोर देशों के पास समय नहीं है, उन्हें अभी पैसे की जरूरत है”।

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