कॉप-26: क्या है वैश्विक मीथेन संकल्प, यहां जानें

मीथेन को घटाने से 2050 तक ग्लोबल वार्मिंग 0.2 डिग्री सेल्सियस कम हो सकती है
कॉप-26: क्या है वैश्विक मीथेन संकल्प, यहां जानें
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ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में मीथेन उत्सर्जन की सबसे अहम भूमिका है। ग्लासगो में चल रहे कॉप 26 जलवायु शिखर सम्मेलन में तापमान पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक मीथेन संकल्प की बात चल रही है। आइए, इस संकल्प के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

वैश्विक मीथेन संकल्प क्या है?

ग्लासगो में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (पार्टियों का 26वां सम्मेलन- कॉप-26) में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने संयुक्त रूप से 2030 तक ग्रीनहाउस गैस मीथेन के उत्सर्जन में कटौती करने का संकल्प लिया है।

उन्होंने 2020 की तुलना में उत्सर्जन में 30 फीसदी की कटौती करने की योजना बनाई है। 100 देशों ने ग्लोबल मीथेन प्लेज या संकल्प पर हस्ताक्षर किए हैं।   

मीथेन को घटाने से 2050 तक ग्लोबल वार्मिंग 0.2 डिग्री सेल्सियस कम हो सकती है। जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली चरम मौसम की घटनाओं की गंभीरता और आवृत्ति को कम किया जा सकता है।

मीथेन ग्लोबल वार्मिंग को किस तरह बढ़ाती है?

मीथेन प्राकृतिक गैस का एक प्राथमिक घटक है, इसका पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से वातावरण में फैले सभी तरह की गर्मी का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। तेल और गैस उद्योग ने पिछले 50 वर्षों में मीथेन को बढ़ाया है और यह 2019 में वातावरण में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। जीवाश्म-ईंधन उद्योग मीथेन उत्सर्जन और मानव गतिविधि इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेवार है। तेल और गैस के कुएं और पाइपलाइन, पुरानी कोयला खदानें, कृषि और लैंडफिल सबसे अधिक नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की मीथेन उत्सर्जन पर मई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मीथेन में तत्काल कटौती की जानी चाहिए। मीथेन में कमी अगले 25 वर्षों में जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के लिए सबसे मजबूत उपाय है।

कार्बन डाइऑक्साइड के बाद ग्रीनहाउस गैसों में मीथेन दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है और एक सदी में सीओ2 के रूप में 28 से 34 गुना तापमान बढ़ा सकता है। जबकि मीथेन सीओ2 की तुलना में उच्च दरों पर गर्मी को वातावरण में फैला सकती है। मीथेन का वायुमंडलीय स्तर पिछले 200 वर्षों में 150 फीसदी तक बढ़ गया है, जबकि वैश्विक सीओ2 का स्तर लगभग 50 फीसदी बढ़ गया है। यदि दुनिया भर के देश अभी कार्रवाई करते हैं, तो पृथ्वी का तापमान लगभग तुरंत कम हो सकता है।

जबकि मीथेन का पता लगाना और मापना मुश्किल है, मीथेन के निकलने को हल करना जलवायु मुद्दों से निपटने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है। क्योंकि इसके लिए विशेष तरह की तकनीकी विकास की आवश्यकता नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मीथेन उत्सर्जन वेधशाला हस्ताक्षर करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने के लिए काम करेगी और जीवाश्म ईंधन उद्योग पर नजर रखने को प्राथमिकता देकर शुरू करेगी।

मीथेन कहां से आती है?

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार उत्सर्जित मीथेन का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 40 फीसदी आर्द्रभूमि और बायोमास जैसे प्राकृतिक स्रोतों से आता है। लेकिन ये उत्सर्जन समस्या नहीं हैं। शेष 60 फीसदी विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में जमा हो रही है। चूंकि यह एक ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए यह गर्मी को बढ़ाती है जो सामान्य रूप से पृथ्वी से सूर्य तक फैलती है, जिससे वातावरण गर्म हो जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) 2020 के मुताबिक वातावरण में मीथेन की सांद्रता वर्तमान में पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में लगभग ढाई गुना अधिक है और लगातार बढ़ रही है। मानव गतिविधियों से मीथेन उत्सर्जन का एक स्रोत कृषि क्षेत्र और पशुधन है, जो सभी उत्सर्जन का 30 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेवार है। अन्य स्रोतों में लैंडफिल और अपशिष्ट, बायोमास और जीवाश्म ईंधन का उपयोग शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, मीथेन जमीनी स्तर पर ओजोन, एक खतरनाक वायु प्रदूषक और ग्रीनहाउस गैस के लिए जिम्मेवार है, जिसके संपर्क में आने से हर साल 10 लाख लोगों की मौत समय से पहले होती हैं। 

वैश्विक मीथेन संकल्प का समर्थन कौन कर रहा है?

यूरोपीय संघ और अमेरिका ने संकल्प लिया है, यह घरेलू स्तर पर और उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में उत्सर्जन पर असर डाल सकती है, जिसका दुनिया भर में असर पड़ेगा। अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक है, जबकि यूरोपीय संघ सबसे ज्यादा गैस का आयात करता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि 2008 के बाद से मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि अमेरिका में गैस के फ्रैकिंग के कारण हुई है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने अनदेखी करते हुए 2019 में मीथेन के नियमों को वापस ले लिया था।

ब्राजील, दुनिया के पांच सबसे बड़े मीथेन उत्सर्जक में से एक है, जिसने संकल्प पर हस्ताक्षर किए हैं। इस बीच, चीन, रूस और भारत लगभग एक तिहाई मीथेन उत्सर्जन में योगदान करते हैं और संकल्प में शामिल नहीं हुए हैं। ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े उत्सर्जक हाल के वर्षों में मीथेन की घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे और उन्होंने भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

क्या भारत ने संकल्प पर हस्ताक्षर किए हैं?

भारत मीथेन के शीर्ष 10 उत्सर्जकों में से एक है, लेकिन उसने वैश्विक मीथेन संकल्प पर हस्ताक्षर नहीं करने का विकल्प चुना। रूस, चीन और ईरान भी शीर्ष उत्सर्जकों में से इन्होंने भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं। 2009 में, जब भारत ने कॉप-15 में कोपेनहेगन समझौते पर हस्ताक्षर किए, तो उसने 2020 तक अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्रों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तीव्रता को 20 से 25 फीसदी तक कम करने का वादा किया था, लेकिन कृषि क्षेत्र को छोड़ दिया था, जो कि मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है।

वैश्विक मीथेन संकल्प के बारे में जलवायु विशेषज्ञों का क्या कहना है?

पर्यावरण समूहों ने प्रतिज्ञा की सराहना की है लेकिन वे वास्तविक परिवर्तन को लागू करने के लिए एक योजना की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।

वैज्ञानिक अधिक प्रभावी ढंग से तापमान को रोकने के लिए मीथेन उत्सर्जन को 30 फीसदी के विपरीत 50 फीसदी तक कम करने की संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आग्रह कर रहे हैं।

क्लीन एयर टास्क फोर्स की सारा स्मिथ ने कहा की बहुत लंबे समय से यह शक्तिशाली सुपर प्रदूषक प्रमुख जलवायु शिखर सम्मेलन के एजेंडे से खो गया है, जबकि इससे होने वाला उत्सर्जन अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

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