जलवायु में आते बदलावों को देखें तो मार्च 2023 का महीना बड़ा उथल-पुथल भरा रहा। एक तरफ जहां वैश्विक स्तर पर अब तक दूसरा सबसे गर्म मार्च रिकॉर्ड किया गया। वहीं भारत के कई राज्यों में मार्च के दौरान औसत से कहीं ज्यादा बारिश हुई। मध्य भारत में तो सामान्य से 206.4 फीसदी तक ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
इसी तरह दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में 107 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। 1901 के बाद यह सातवां मौका है जब दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में इतनी बारिश हुई है। पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत में मार्च के दौरान सामान्य से 12 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। इस दौरान देश के इस हिस्से में 66.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इसी तरह दक्षिणी प्रायद्वीप में 32 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई, जबकि वहां होने वाली औसत बारिश को देखें तो वो केवल 15.5 मिलीमीटर ही है।
मार्च 2023 के दौरान विशेष रूप से तेलंगाना, तमिलनाडु, पुडुचेरी, ओडिशा, असम और मेघालय के कई क्षेत्रों में भारी बारिश दर्ज की गई जहां 64.5 से 115.5 मिलीमीटर के बीच बारिश हुई। इसी तरह ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर 115.6 से 204.4 मिलीमीटर तक बारिश हुई थी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार मार्च 2023 में सामान्य से 26 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। मार्च में औसतन देश में 29.9 मिलीमीटर बारिश होती है जो इस बार बढ़कर 37.6 मिलीमीटर दर्ज की गई। देखा जाए तो मौसम में यह बदलाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं था।
यूरोपियन मौसम विज्ञान एजेंसी की मानें तो यह बदलाव सारी दुनिया में सामने आए हैं। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के मुताबिक यह पहला मौका है जब दुनिया ने संयुक्त रूप से अपना दूसरी सबसे गर्म मार्च अनुभव किया है।
सामान्य से 0.36 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा भारत में औसत तापमान
इसी तरह अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। यह सब एक बार फिर इस बात की पुष्टि करता है कि जलवायु में आते बदलाव कहीं ज्यादा स्पष्ट होते जा रहे हैं। जहां दक्षिणी और मध्य यूरोप में तापमान औसत से ज्यादा था, वहीं उत्तरी यूरोप के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से नीचे गिर गया था।
यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी रूस और एशिया के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा गर्म था, जहां तापमान के कई नए रिकॉर्ड बने। ऐसा ही कुछ उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, अर्जेंटीना और उसके पडोसी देशों में देखने को मिला जहां तापमान औसत से कहीं ज्यादा था। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के एक बड़ी हिस्से के साथ-साथ तटीय अंटार्कटिका में भी तापमान औसत से कहीं ज्यादा रिकॉर्ड किया गया।
वहीं दूसरी तरफ इसके उलट उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में तापमान औसत से कहीं ज्यादा ठंडा था। यदि अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ के विस्तार को देखें तो उपग्रहों ने पुष्टि की है कि वो औसत से 28 फीसदी कम थी। इससे पहले फरवरी में बर्फ की यह सीमा रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई थी।
ऐसा ही कुछ आर्कटिक में भी देखने को मिला जहां समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से चार फीसद कम था। वहीं आर्कटिक महासागर के ज्यादातर हिस्सों में औसत से कम समुद्री बर्फ के विपरीत, ग्रीनलैंड सागर के क्षेत्र में बर्फ की मात्रा औसत से कहीं ज्यादा थी।
यदि मार्च 2023 में हुई बारिश को देखें तो उत्तरी यूरोप के पश्चिम से उत्तर-पूर्व बैंड और तुर्की में औसत से अधिक बारिश हुई। वहीं अधिकांश इबेरियन प्रायद्वीप में परिस्थितियां शुष्क थी। जहां जंगल की आग का खतरा भी मंडराने लगा था। वहीं अमेरिका के कुछ हिस्सों के साथ एशिया के अधिकांश हिस्से में औसत से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। ऐसा ही कुछ हॉर्न ऑफ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका के हिस्से में भी देखने को मिला जहां कई क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते बाढ़ आ गई थी।
दूसरी तरफ अर्जेंटीना में औसत से अधिक सूखा था। इसी तरह दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में भी कमोबेश ऐसे ही हालात थे। कई मामलों में यह स्थिति औसत से ज्यादा गर्म तापमान से जुड़ी थी।
यदि भारत में तापमान की बात करें तो आईएमडी के मुताबिक मार्च 2023 में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 0.13 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वहीं औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 0.59 डिग्री सेल्सियस और औसत तापमान सामान्य से 0.36 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।