एक नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते यूरोप में बिजली गिरने की घटनाओं के पैटर्न में बदलाव आ रहा है। न्यूकैसल विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक इन बदलावों से पहाड़ों और उत्तरी यूरोप के जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ सकता है।
पता चला है कि जलवायु में आते बदलावों की वजह से जहां आल्प्स सहित ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ मध्य यूरोप के निचले हिस्सों और समुद्र के ऊपर वज्रपात की घटनाएं कम हो सकती हैं।
इस बारे में न्यूकैसल विश्वविद्यालय और अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर अब्दुल्ला कहरामन का कहना है कि जहां पहाड़ों और यूरोप के उत्तरी हिस्सों में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ जाएंगी, जिनकी वजह से उत्तरी यूरोप में ऊंचाई पर मौजूद जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ मध्य यूरोप के घने आबादी वाले क्षेत्रों में बिजली गिरने का सिलसिला घट जाएगा।
क्या है इसके पीछे की वजह
जर्नल एनवायर्नमेंटल लेटर्स में प्रकाशित इस रिसर्च के नतीजे दर्शाते हैं कि बढ़ते तापमान के साथ तूफान कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो रहें हैं, साथ ही उनकी घटनाएं पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं। लेकिन इसके बावजूद स्थानीय रूप से बिजली गिरने की घटनाओं में कमी आ रही है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बादलों में बर्फ की मात्रा घट रही है। साथ ही तूफानी बादलों में जमे हुए कण भी कम हो गए हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक तूफान पैदा करने वाले बादलों में जितने कम और छोटे बर्फ के क्रिस्टल होंगे उतना ही उनके आपस में टकराने की सम्भावना कम होती जाएगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन क्रिस्टल के आपस में टकराने से ही थंडरहेडस, विद्युत आवेश पैदा करते हैं, जिसकी वजह से बिजली गिरती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस रिसर्च में सामने आए नतीजे पूरे यूरोप में दावाग्नि, सम्पति और मानव जीवन पर मंडराते जोखिम के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता को उजागर करते हैं। इस बारे में अध्ययन से जुड़े अन्य शोधकर्ता प्रोफेसर हेले फाउलर ने बताया कि यह उत्तरी यूरोप में बुनियादी ढांचे के एक बुरी खबर है। उनके अनुसार यह रिसर्च उन अनजाने जोखिमों पर प्रकाश डालती है, जो पहले अज्ञात थे। इनसे बचने के लिए जलवायु अनुकूलन से जुड़े उपायों पर निवेश में वृद्धि करने की जरूरत होगी।
उनके अनुसार बिजली गिरने की इन घटनाओं में होने वाली वृद्धि का ऊर्जा और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं पर क्या असर होगा इसे स्पष्ट करने के लिए कहीं ज्यादा विश्लेषण करने की जरूरत है। साथ ही इनसे निपटने के लिए स्थानीय तौर पर क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अनुकूलन संबंधी योजनाओं को तैयार करना होगा।