विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने आशंका जताई है कि पांच वर्षों में 2023 से 2027 के बीच वैश्विक तापमान में होती वृद्धि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगी।
इतना ही नहीं डब्ल्यूएमओ द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की करीब 66 फीसदी आशंका है कि इन पांच वर्षों के दौरान वैश्विक तापमान में होती वृद्धि औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा।
डब्ल्यूएमओ ने इसके लिए होने वाली अल नीनो की घटना और बढ़ते ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को जिम्मेवार माना है, जिसके लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं। गौरतलब है कि 2016 में वैश्विक तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2016 में भी अल नीनो की घटना दर्ज की गई थी। इसी तरह 2023 में भी अल नीनो के बनने की आशंका जताई गई है।
इस बारे में अमेरिका के नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आशंका जताई है कि इस साल मई-जून-जुलाई के बीच अल नीनो बनने की सम्भावना 80 फीसदी है, जो जून-जुलाई-अगस्त में बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच जाएगी।
आमतौर पर देखा जाए तो अल नीनो बनने के एक वर्ष के बाद वैश्विक तापमान में वृद्धि दर्ज की जाती है मतलब की इस साल यह वृद्धि 2024 में सामने आ सकती है।
यदि वैश्विक तापमान में होती वृद्धि को देखें तो यह 2022 में औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.15 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज की गई थी। मतलब की लगातार तीन वर्षों तक चले ला नीना ने भी इसमें कोई राहत नहीं दी।
वहीं 2021 में वैश्विक तापमान को देखें तो वो सामान्य से 1.11 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। आपको बता दें कि ला नीना की घटनाओं के दौरान, वैश्विक तापमान सामान्य से ठंडा रहता है। इसका प्रभाव करीब नौ महीनों तक कायम रहता है।
देखा जाए तो जलवायु में आता बदलाव और वैश्विक तापमान में होती वृद्धि आज बड़ा खतरा बन गई है। जो ने केवल इंसानों को बल्कि दुनिया के अन्य जीवों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है। हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) द्वारा जारी 'ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट' ने भी माना था कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
बढ़ते तापमान से धरती पर बिगड़ रहे हैं हालात
इस बारे में डब्ल्यूएमओ के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालस का कहना है कि आने वाले महीनों में एक गर्म अल नीनो बनने की आशंका है जो इंसानो के द्वारा जलवायु में किए जा रहे बदलावों के साथ मिलकर वैश्विक तापमान को अनजान स्थिति में धकेल देगी।" उनके अनुसार इसके स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन और पर्यावरण पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक इतना ही नहीं आर्कटिक में बढ़ता तापमान अन्य हिस्सों के रूप में कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है। 1991 से 2020 के औसत की तुलना में देखें तो उत्तरी गोलार्द्ध में अगली पांच सर्दियों में बढ़ता तापमान, वैश्विक स्तर पर संभावित तापमान में होने वाली विसंगति की तुलना में तीन गुणा से ज्यादा होने की आशंका है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2023 से 2027 के बीच पांच वर्षों में मई से सितम्बर के बीच सहेल, उत्तरी यूरोप, अलास्का और उत्तरी साइबेरिया में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की आशंका है। वहीं अमेजन और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में इस दौरान 1991 से 2020 के औसत की तुलना में सामान्य से कम बारिश की आशंका जताई है।
रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक तापमान में होती वृद्धि के साथ ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन समुद्रों के बढ़ते तापमान और अम्लीकरण के लिए जिम्मेवार है। इसी तरह बढ़ते उत्सर्जन के चलते समुद्री बर्फ और ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इसके अलावा इसकी वजह से समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो रही है और यह मौसम की चरम घटनाओं का भी कारण बन रही हैं।
यही वजह है कि पेरिस समझौते के तहत वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन को कम करने के लिए सभी देशों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। जिससे वैश्विक तापमान में होती वृद्धि को इस सदी के अंत तक दो डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित किया जा सके। इतना ही नहीं तापमान में होती वृद्धि को भी 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि इसके प्रतिकूल प्रभावों और होने वाले संभावित नुकसान से बचा जा सके।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बनाए गए अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) का कहना है कि यदि तापमान में होती वृद्धि 1.5 डिग्री सैल्सियस की सीमा को पार कर जाती है तो जलवायु सम्बन्धी जोखिम अब की तुलना में कहीं ज्यादा होंगें। हालांकि इसके बावजूद उनके दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के मुकाबले कम रहने की सम्भावना है।
गौरतलब है कि यह नई रिपोर्ट 22 मई से 2 जून 2023 के बीच होने वाले विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस से ठीक पहले जारी की गई है। इस कांग्रेस में जलवायु अनुकूलन में मदद के लिए मौसम और जलवायु सेवाओं को मजबूत करने के बारे में चर्चा की जाएगी। इस कांग्रेस में तेजी से बढ़ती चरम मौसमी घटनाओं से बचाव के लिए सभी के लिए प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही इसमें जलवायु शमन (क्लाइमेट मिटिगेशन) के लिए नई ग्रीनहाउस गैस निगरानी प्रणाली पर जोर दिया जाएगा।