लाइकेन और पौधों की 771 प्रजातियां होने वाली हैं खत्म, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

दुर्लभ पौधों के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरे को स्वीकार करना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इनमें से कई प्रजातियों को फिर से हासिल करने के लिए सीधी कार्रवाई की जानी चाहिए
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, इयान सटन
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लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध सभी पौधे और लाइकेन को जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक खतरा है। एक नए अध्ययन के अनुसार, इस खतरे से सीधे निपटने के लिए कुछ योजनाएं हैं। 

यह अध्ययन पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एमी कैसंड्रा व्रोबलेस्की और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया है तथा इसे ओपन-एक्सेस जर्नल पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित किया गया है

जलवायु परिवर्तन का दुनिया भर की प्रजातियों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई है, विशेष रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों पर, जो पहले से ही दुर्लभ हैं। लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के तहत सूचीबद्ध अधिकांश जीव, पौधे और लाइकेन हैं, फिर भी जलवायु परिवर्तन से लुप्तप्राय पौधों को होने वाले खतरों का एक दशक से अधिक समय से व्यवस्थित रूप से मूल्यांकन नहीं किया गया है।

इस कमी को दूर करने के लिए, अध्ययनकर्ताओं की टीम ने जंगली जानवरों को होने वाले जलवायु परिवर्तन के खतरे की जांच करने के लिए उपयोग किए जाने वाले मौजूदा मूल्यांकन उपकरणों को अपनाया और उन्हें 771 सूचीबद्ध पौधों की प्रजातियों पर लागू किया। उन्होंने इस बात का मूल्यांकन किया कि, सूचीबद्ध पौधे और लाइकेन पर जलवायु परिवर्तन का कितना प्रभाव पड़ता है? क्या जलवायु परिवर्तन को प्रत्येक प्रजाति के लिए खतरे के रूप में पहचाना जाए और क्या खतरे से निपटने के लिए कार्रवाई चल रही है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी सूचीबद्ध पौधों और लाइकेन प्रजातियों को जलवायु परिवर्तन से थोड़ा खतरा है। जबकि इन प्रजातियों के लिए अधिकांश दस्तावेजों में जलवायु परिवर्तन को एक खतरे के रूप में मान्यता दी गई थी, सूचीबद्ध प्रजातियों की सुरक्षा के लिए कुछ कार्रवाई भी की गई।

टीम ने निष्कर्ष निकाला कि दुर्लभ पौधों के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरे को स्वीकार करना एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। इनमें से कई प्रजातियों को फिर से हासिल करना सुनिश्चित करने के लिए सीधी कार्रवाई की जानी चाहिए। जैसे-जैसे अगली शताब्दी में स्थितियां बदलती रहेंगी, सफल प्रजातियों की को फिर से बहाल करने के लिए स्पष्ट और केंद्रित उद्देश्य और भी महत्वपूर्ण हो जाएंगे।

शोधकर्ताओं ने कहा कि, उनके निष्कर्षों का उपयोग लुप्तप्राय पौधों और लाइकेन के संरक्षण योजना में सहायता के लिए किया जाए। प्रजातियों को सूचीबद्ध करने और उनकी बहाली की योजना बनाने के लिए उनकी सिफारिशों को भविष्य में लागू किया जाए।

शोधकर्ताओं ने लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम में सूचीबद्ध सभी लुप्तप्राय पौधों और लाइकेन प्रजातियों के लिए संरक्षण योजनाओं का मूल्यांकन किया और पाया कि जबकि जलवायु परिवर्तन को प्रजातियों के लिए खतरे के रूप में पहचाना जाता है।

कुछ संरक्षण योजनाओं में जलवायु परिवर्तन से सीधे निपटने के कार्य शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा, बल्कि दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों को भी प्रभावित करेगा जिनके साथ हम हर दिन संपर्क करते हैं।

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