बदल रहा है मनुष्य की पसलियों का आकार, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कई अहम जानकारियों के बारे में बताया है
शोध में इस बात का पता लगाना था कि क्या आधुनिक मनुष्यों में दिखाई देने वाली पतली पसलियां हमारी वंशावली की एक अनोखी विशेषता है या यह कोई पुराना, पैतृक गुण है।
शोध में इस बात का पता लगाना था कि क्या आधुनिक मनुष्यों में दिखाई देने वाली पतली पसलियां हमारी वंशावली की एक अनोखी विशेषता है या यह कोई पुराना, पैतृक गुण है।स्रोत: कम्युनिकेशंस बायोलॉजी
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एक नए अध्ययन के मुताबिक, ओत्जी द आइसमैन का 5,000 साल से भी अधिक समय पहले आल्प्स पर्वत श्रृंखला पार करते समय दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से अंत हो गया था, लेकिन उनके संरक्षित अवशेषों की बदौलत, वे आज भी हमें अपने अतीत को समझने में मदद कर रहे हैं। ममी की पसलियों का फिर से नया डिजिटल निर्माण आधुनिक मानव विकास के बारे में नई जानकारी प्रदान कर रहा है।

शोध में इस बात का पता लगाना था कि क्या आधुनिक मनुष्यों में दिखाई देने वाली पतली पसलियां (रिबकेज) हमारी वंशावली की एक अनोखी विशेषता है या यह कोई पुराना, पैतृक गुण है। यह पता लगाने के लिए स्पेन के मैड्रिड स्थित राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय के शोधकर्ताओं ने चार प्रागैतिहासिक होमो सेपियन्स की पसलियों का फिर से निर्माण किया।

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शोध में इस बात का पता लगाना था कि क्या आधुनिक मनुष्यों में दिखाई देने वाली पतली पसलियां हमारी वंशावली की एक अनोखी विशेषता है या यह कोई पुराना, पैतृक गुण है।

ओत्जी के अलावा उन्होंने नाजलेट खटर द्वितीय (मिस्र में पाया गया सबसे प्राचीन मानव का 30,000 साल पुराना जीवाश्म), ओहालो द्वितीय होमो द्वितीय (इजराइल में पाया गया 19,000 साल पुराना मानव कंकाल) और डोल्नी वेस्टोनिस 13 (चेक गणराज्य में पाया गया 30,000 साल पुराना कंकाल) का भी अध्ययन किया।

परिणामी थ्रीडी मॉडल की तुलना 59 आधुनिक मनुष्यों की पसलियों, दो निएंडरथल और एक होमो इरेक्टस जीवाश्म के साथ की गई। तो शोधकर्ताओं को क्या मिला? शुरुआती होमो सेपियंस के जीवाश्म पसलियों के पिंजरों, जिनमें नाजलेट खटर द्वितीय, ओहालो द्वितीय होमो द्वितीय और डोल्नी वेस्टोनिस 13 शामिल हैं, में आधुनिक मनुष्यों की विशेष गोलाकार आकृतियां हैं। यह सही आकार हमारी प्रजाति में एक साझा मूलभूत वक्षीय संरचना की ओर इशारा करता है।

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इसके अलावा इन पसलियों के पिंजरों का आकार और विशिष्ट आकृति जलवायु से जुड़ी हुई प्रतीत होती है। गर्म या अधिक समशीतोष्ण जलवायु में रहने वाले जीवों, जैसे कि नाजलेट खटर द्वितीय और ओहालो द्वितीय होमो द्वितीय जीवाश्मों में पाए जाने वाले जीवों, की पसलियों की संख्या छोटी और अधिक बेलनाकार होती थी।

लेकिन डोल्नी वेस्टोनिस 13 जैसे ठंडे वातावरण में रहने वाले शुरुआती मनुष्यों की पसलियों की संख्या बड़ी और चौड़ी थी, जो हो सकता है उनके ठंडे वातावरण के अनुकूल ढलने के कारण रही होगी।

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ओत्जी की पसलियां इन दोनों प्रकारों के बीच कहीं है, जो ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में घूमते समय मौसमी तापमान में बदलावों के अनुकूल होने की जरूरत को दर्शाता है।

कम्युनिकेशंस बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित इस शोध का एक सबसे अहम पहलू यह है कि डोल्नी वेस्टोनिस 13 की पसलियां लगभग निएंडरथल के पसलियां जितनी ही बड़ी और होमो इरेक्टस के समान चौड़ी है। यह उस लंबे समय से चली आ रही धारणा को चुनौती देता है कि होमो सेपियंस की पसलियां हमेशा निएंडरथल और होमो इरेक्टस की तुलना में कम मजबूत थे।

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शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि मानव शरीर में विविधताएं पहले की सोच से कहीं ज्यादा जटिल हैं। यह शोध अन्य शोधों से जुड़ता है और होमो सेपियंस सेंसु लेटो (जीवाश्म और हाल ही में प्राप्त दोनों) में एक बड़ी रूपात्मक बदलाव का सुझाव देता है, जिसे एक सामान्यीकृत पतले ढांचे तक सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह न केवल आनुवंशिकी पर बल्कि हमारी प्रजाति की जलवायु संबंधी लचीलेपन पर भी निर्भर करता है।

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