गांवों की तुलना में 29 फीसदी ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैं शहर

शहरों में सतह का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 0.38 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक है
गांवों की तुलना में 29 फीसदी ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैं शहर
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यूं तो बढ़ते तापमान का असर पूरी दुनिया में ही देखा जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि गांवों की तुलना में शहर कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैं। एक नई रिसर्च से पता चला है कि शहरों में सतह का तापमान ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 29 फीसदी ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने शहरों में सतह के इस बढ़ते तापमान के लिए जलवायु परिवर्तन और तेजी से होते शहरी विस्तार को जिम्मेवार माना है।

इस पर हाल ही में नानजिंग और येल विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया है, जिसमें उन्होंने 2002 से 2021 के बीच भारत सहित दुनिया के दो हजार से ज्यादा शहरों में सतह के औसत तापमान में आते बदलावों का उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों की मदद से विश्लेषण किया है। अपने इस विश्लेषण में उन्होंने शहरों और गांवों में सतह के तापमान के बीच कितना अंतर है उसका भी अध्ययन किया है।

जर्नल कम्युनिकेशन्स अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित इस रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं उनके अनुसार शहरों में सतह का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 0.38 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक है। मतलब कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी सतह औसतन 29 फीसदी ज्यादा तेजी से गर्म हो रही है।

वहीं यदि दिन और रात में सतह के तापमान में आते बदलावों को देखें तो जहां दिन में शहरी सतह का तापमान 0.56 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है वहीं गांवो में यह आंकड़ा 0.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। इसी तरह रात में सतह के तापमान में होती वृद्धि को देखें तो शहरी सतह का तापमान 0.43 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक है जबकि गांवों में यह 0.37 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक दर्ज किया गया है।

छोटे शहरों की तुलना में भी तेजी से बढ़ रहा है बड़े शहरों में तापमान

इसके साथ-साथ वैज्ञानिकों ने शहर के आकार और वहां बढ़ते तापमान की दर में भी सम्बन्ध का पता लगाया है। पता चला है कि जहां छोटे शहरों में दिन के दौरान सतह का तापमान 0.41 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है, वहीं मेगसिटीज यानी बड़े शहरों में तापमान बढ़ने की यह दर औसतन 0.69 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक दर्ज की गई है।

इसी तरह महाद्वीपों के बीच भी शहरी तापमान में होती वृद्धि में अंतर देखा गया है। यदि एशिया को देखें जहां सबसे ज्यादा मेगासिटी हैं वहां शहरों में दिन और रात का तापमान दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। वहीं यूरोपियन शहरों में दिन के समय सबसे कम गर्मी पाई गई है, जबकि ओशिनिया के शहर रात में सबसे कम गर्म हो रहे हैं।

भारत में तेजी से होता शहरीकरण भी है बढ़ते तापमान की वजह

रिसर्च से पता चला है कि सर्वे किए गए करीब 90 फीसदी शहरों में बढ़ते तापमान के लिए जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा हाथ है। पता चला है कि जलवायु में आते बदलावों के कारण शहरों में प्रति दशक तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रहा है। हालांकि तेजी से होता शहरीकरण भी इसकी वजह है। भारत और चीन में तेजी से होते शहरीकरण के चलते शहरों में सतह का तापमान औसतन 0.23 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है।

देखा जाए तो जो लोग शहरों में रहते हैं वो हीटवेव के दौरान कहीं ज्यादा गर्मी के जोखिम का सामना करते हैं। ऐसा "अर्बन हीट आइलैंड" के प्रभावों के कारण होता है। शहरों में गगनचुंबी इमारतें और हर तरफ पसरा कंक्रीट सूर्य से आते विकिरण को सोख लेता है जिसकी वजह से सतह कहीं ज्यादा तेजी से गर्म होने लगती है। पेड़ और हरियाली के आभाव, तेजी से दौड़ते वाहन और भारी आबादी इसके प्रभाव को और बढ़ा देते हैं। ऊपर से जलवायु में आता बदलाव इस खतरे में और इजाफा कर रहा है।

ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि शहरी हरियाली में वृद्धि जैसे सड़कों के किनारे पेड़ लगाना, पार्कों आदि ग्रीन स्पेस का विस्तार, वर्षा जल का उपयोग, सतह पर बढ़ते कंक्रीट को सीमित कर बढ़ते तापमान के इन प्रभावों को सीमित किया जा सकता है।

इसके जीते-जागते उदाहरण यूरोप के शहर हैं जहां शहरों में मौजूद हरियाली सतह के बढ़ते तापमान में 0.13 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की कमी कर रही है। इसी तरह शिकागो में शहरी हरियाली की मदद से सतह के बढ़ते तापमान में 0.084 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से कमी की जा सकती है।

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