रिकॉर्ड पर सबसे गर्म सालों में से एक हो सकता है साल 2023: नोआ

जलवायु विशेषज्ञों के मुताबिक, 2023 न केवल असाधारण रूप से गर्म होगा, बल्कि यह एक रिकॉर्ड गर्म साल हो सकता है, साल 2024 के इससे भी अधिक गर्म होने के आसार हैं
रिकॉर्ड पर सबसे गर्म सालों में से एक हो सकता है साल 2023: नोआ
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साल 2023 पूरा होने को कुछ ही महीने बचे हैं, दुनिया भर के देशों में पहले से ही अनियमित जलवायु घटनाएं देखी जा रही हैं। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हो रही है, इसके ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ने का खतरा मंडरा रहा है।

नोआ के जलवायु विशेषज्ञों ने कहा कि, इस बात के लगभग 50 प्रतिशत आसार हैं कि 2023 अब तक का सबसे गर्म साल हो सकता है। उन्होंने आने वाले साल के और भी अधिक गर्म होने की आशंका जताई है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोआ) की मुख्य वैज्ञानिक सारा कपनिक ने कहा कि, 2023 अब तक रिकॉर्ड पर तीसरा सबसे गर्म साल रहा है।

कपनिक ने बताया कि, यह लगभग निश्चित है कि, इस बात की 99 प्रतिशत से अधिक आशंका है कि 2023 रिकॉर्ड पर पांच सबसे गर्म सालों में शुमार होगा। इस बात की लगभग 50 प्रतिशत आसार हैं कि,  2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल हो सकता है।

अगले साल और भी अधिक गर्मी होगी

नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के निदेशक गेविन श्मिट ने कहा कि प्रशांत महासागर के गर्म होने की घटना जिसे अल नीनो के नाम से जाना जाता है, इसके कारण अगला साल इस साल से भी अधिक गर्म हो सकता है।

विशेषज्ञों ने कहा, अल नीनो का सबसे बड़ा प्रभाव वास्तव में 2024 में दिखाई देगा। इसलिए हम अनुमान लगा रहे हैं कि न केवल 2023 असाधारण रूप से गर्म होगा और हो सकता है एक रिकॉर्ड गर्म साल होगा, बल्कि हमारा अनुमान है कि 2024 इससे भी अधिक गर्म साल होगा।

यूरोपीय संघ की जलवायु वेधशाला कोपरनिकस के पिछले सप्ताह की रिपोर्ट में कहा गया था कि, जुलाई पृथ्वी पर अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया था और सोमवार को जारी नोआ के आंकड़े यूरोपीय संघ के आंकड़ों के अनुरूप पाए गए।

नोआ के मुताबिक, जुलाई में औसत वैश्विक सतह का तापमान औसत से 1.12 डिग्री सेल्सियस ऊपर था, जो इसे नोआ के 174 साल के रिकॉर्ड में सबसे गर्म जुलाई के रूप में दर्शाता है।

नोआ ने यह भी कहा कि वैश्विक महासागर की सतह का तापमान लगातार चौथे महीने जुलाई में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, क्योंकि जून में उभरी अल नीनो की स्थिति जारी रही।

नासा के मुख्य वैज्ञानिक और जलवायु सलाहकार के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन का दुनिया भर के लोगों और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने कहा, तापमान में बदलाव के साथ, हम जलवायु में अन्य बदलावों का भी अनुभव कर रहे हैं जैसे समुद्र के स्तर में वृद्धि, आर्कटिक समुद्री बर्फ में गिरावट, जंगल की आग, भारी बारिश की घटनाएं और भी बहुत कुछ।

अब तक रिकॉर्ड पर 10 सबसे गर्म वर्ष

2016 पहला, 2020 दूसरा, 2019 तीसरा, 2017 चौथा, 2015 पांचवां, 2022 पांचवां, 2018 सातवां, 2021 सातवां, 2014 नौवां और 2010, 10वां रहा। 

पूरी दुनिया में चरम मौसम की घटनाएं देखी जा रही हैं। नोआ के मुताबिक, दक्षिण और पूर्वी एशिया में, महीने में भारी बारिश की घटनाएं हुई। महीने के अंत में टाइफून डोक्सुरी के गुजरने से उत्तरी फिलीपींस में बाढ़ आ गई, जो अगले सप्ताह तक कमजोर पड़ गया और इसका प्रभाव से पूर्वी चीन पर पड़ा और बीजिंग में बाढ़ आई, यहां 24 घंटों के दौरान 500 मिमी तक बारिश दर्ज की गई।

उत्तर भारत में अभी तक 100 से अधिक लोग चरम मौसम की भेंट चढ़ चुके हैं। भूटान, दक्षिणी जापान, इंडोनेशिया और यहां तक कि अफगानिस्तान में बाढ़ और भूस्खलन के साथ भारी बारिश की घटनाएं हुईं। दक्षिण कोरिया में बारिश के कारण हुए भूस्खलन से 40 लोगों की मौत हो गई।

विशेषज्ञों ने कहा कि, यह स्वतः स्पष्ट है कि पृथ्वी गर्म हो रही है। प्रकृति हमें एक संदेश भेज रही है। वह संदेश यह है कि बेहतर होगा कि हम अब कार्रवाई करें, इससे पहले कि हमारे ग्रह को बचाने में बहुत देर हो जाए।

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