एकल जीन परिवर्तन: टमाटर के वाईएफटी3 जीन में एक छोटे म्यूटेशन (सेरी126एआरजी) से लाल फल पीले बन जाते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एक जीन में छोटी-सी गलती से बदल गया टमाटर का रंग, वैज्ञानिकों ने खोजा जीन का रहस्य

वाईएफटी3 जीन में एक छोटे बदलाव से टमाटर का लाल रंग पीला हो गया, वैज्ञानिकों ने खोजा रंग बदलने का अहम कारण।

Dayanidhi

  • एकल जीन परिवर्तन: टमाटर के वाईएफटी3 जीन में एक छोटे म्यूटेशन (सेरी126एआरजी) से लाल फल पीले बन जाते हैं।

  • एंजाइम की भूमिका: यह जीन आईडीआई1 एंजाइम बनाता है, जो आईपीपी और डीएमएपीपी के संतुलन से कैरोटीनॉयड (रंगद्रव्य) उत्पादन नियंत्रित करता है।

  • रासायनिक प्रभाव: म्यूटेशन से एंजाइम की संरचना और मैग्नीशियम आयन बाइंडिंग प्रभावित होती है, जिससे लाइकोपीन उत्पादन घट जाता है।

  • अनुसंधान पुष्टि: सामान्य वाईएफटी3 जीन डालने पर रंग वापस लाल हुआ, जबकि नॉकआउट लाइनों में वही पीला रूप दिखा।

  • कृषि महत्व: यह खोज फसलों में रंग, पोषण और गुणवत्ता सुधारने हेतु जीन संपादन के नए अवसर प्रदान करती है।

टमाटर हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा है। इसकी लाल चमक न केवल खाने को आकर्षक बनाती है बल्कि इसमें मौजूद लाइकोपीन नामक एंटीऑक्सीडेंट हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि टमाटर लाल क्यों होता है और कुछ टमाटर पीले क्यों दिखते हैं?

हाल ही में शंघाई जियाओ टोंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस रहस्य का पर्दाफाश किया है। उन्होंने पाया कि टमाटर के रंग में बदलाव एक ही जीन वाईएफटी3 की छोटी-सी गलती के कारण होता है।

रंग का असली कारण: कैरोटीनॉयड

टमाटर के लाल, नारंगी और पीले रंग के पीछे कैरोटिनॉयड नामक प्राकृतिक रंगद्रव्य (पिगमेंट्स) होते हैं। ये पिगमेंट्स पौधों में बनने वाले एक बड़े रासायनिक मार्ग आइसोप्रिनाइड के जरिए बनते हैं। इस रास्ते के दो छोटे लेकिन अहम अणु हैं:

  • आईपीपी (आइसोपेंटेनिल पाइरोफॉस्फेट)

  • डीएमएपीपी (डाइमिथाइलैलिल पाइरोफॉस्फेट)

इन दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एक एंजाइम की जरूरत होती है, जिसे आइसोपेंटेनिल डाइफॉस्फेट आइसोमेरेस (आईडीआई1) कहते हैं। यही एंजाइम सुनिश्चित करता है कि दोनों अणुओं का अनुपात सही बना रहे ताकि कैरोटीनॉयड सुचारू रूप से बनते रहें।

वाईएफटी3 जीन की भूमिका

शोधकर्ताओं ने पाया कि वाईएफटी3 जीन इसी आईडीआई1 एंजाइम को बनाने का निर्देश देता है। लेकिन जब इस जीन में हल्का-सा परिवर्तन (म्यूटेशन) होता है, तो एंजाइम का कामकाज बिगड़ जाता है।

इस विशेष अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऐसी किस्म का अध्ययन किया जो लाल नहीं, बल्कि पीली थी। परीक्षणों से पता चला कि इस किस्म में वाईएफटी3 जीन में केवल एक बिंदु पर परिवर्तन हुआ था, जीन के 2117वें न्यूक्लियोटाइड पर ए से सी का बदलाव। इस वजह से एंजाइम में 126वें स्थान पर सेरीन नामक अमीनो अम्ल की जगह आर्जिनिन गया।

छोटी गलती, बड़ा असर

यह छोटा-सा बदलाव एंजाइम की सक्रियता पर बहुत बड़ा असर डालता है। सामान्य अवस्था में, सेरीन 126 एंजाइम के सक्रिय हिस्से को स्थिर रखता है और उसमें मैग्नीशियम आयन को बांधने में मदद करता है।

लेकिन जब उसकी जगह आर्जिनिन आ जाता है, तो एंजाइम की आकृति बदल जाती है, मैग्नीशियम सही तरह से नहीं जुड़ पाता और एंजाइम का काम रुक जाता है।

इस वजह से आईपीपी और डीएमएपीपी का संतुलन बिगड़ जाता है, कैरोटीनॉयड बनने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और अंततः टमाटर में लाइकोपीन की मात्रा बहुत कम हो जाती है। नतीजा लाल रंग गायब होकर पीला रंग दिखने लगता है।

वैज्ञानिक प्रयोग से हुई पुष्टि

शोधकर्ताओं ने मैप-बेस्ड क्लोनिंग, मॉलिक्यूलर टेस्ट, और इन-विवो फंक्शनल एनालिसिस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया। जब सामान्य (स्वस्थ) वाईएफटी3 जीन को पीले टमाटर में डाला गया, तो फल फिर से लाल हो गया। वहीं जब सीआरआईएसपीआर तकनीक से वाईएफटी3 को निष्क्रिय किया गया, तो सामान्य टमाटर भी पीले हो गए।

इससे स्पष्ट हो गया कि वाईएफटी3 जीन ही टमाटर के रंग के लिए जिम्मेदार है।

अन्य जैविक प्रभाव में दिलचस्प बात यह रही कि जब वाईएफटी3 की गतिविधि घट गई, तो पौधे ने इसकी कमी को पूरा करने की कोशिश में अन्य कैरोटीनॉयड जीनों (डीएक्सएस, डीएक्सआर, एचडीआर, पीइसवाई1, सीआरटीआईएसओ, सीवाईसीबी, सीवाईपी97ए, एनसीईडी) की अभिव्यक्ति बढ़ा दी।

लेकिन यह कोशिश नाकाम रही, क्योंकि मूल समस्या एंजाइम की कार्यक्षमता में थी, न कि जीनों की संख्या में। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी से यह भी पाया गया कि वाईएफटी3 म्यूटेंट में क्रोमोप्लास्ट (वह कोशिकांग जहां पिगमेंट्स जमा होते हैं) का विकास भी ठीक से नहीं हुआ।

कृषि और जैव प्रौद्योगिकी में महत्व

यह खोज सिर्फ एक रंग की बात नहीं है, यह पौधों में पिगमेंट बनने की पूरी प्रक्रिया को समझने की दिशा में बड़ा कदम है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि केवल एक अमीनो अम्ल में बदलाव से टमाटर के पूरे रंग और पोषण में फर्क आ गया। यह हमें बताता है कि एंजाइम की संरचना और उसका संतुलन कितना नाजुक और महत्वपूर्ण है।

भविष्य में, वैज्ञानिक इस जानकारी का उपयोग करके टमाटर और अन्य फसलों में कैरोटीनॉयड की मात्रा बढ़ाने के नए रास्ते खोल सकते हैं। जीन संपादन या चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से वाईएफटी3 या इसी तरह के जीनों में बदलाव करके हम ज्यादा लाल, पोषक और आकर्षक फल उगा सकते हैं।

हॉर्टिकल्चर रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन यह दिखाता है कि एक छोटे-से जीन म्यूटेशन का प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है। वाईएफटी3 जीन का सेर126 अमीनो अम्ल केवल एक सूक्ष्म घटक है, लेकिन वही टमाटर के रंग, उसकी कोशिकीय संरचना और पोषण गुणवत्ता, तीनों को नियंत्रित करता है।

इस खोज ने न केवल टमाटर की रंग-उत्पत्ति का रहस्य खोला है, बल्कि कृषि जैव प्रौद्योगिकी में नई संभावनाओं के द्वार भी खोल दिए हैं, जहां एक छोटी-सी जीन सुधार से खाद्य पदार्थों को ज्यादा सुंदर, स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक बनाया जा सकता है।