सूखे में भी फसलों के अधिक पैदावार की संभावना बढ़ी: खोज

वैज्ञानिकों ने पौधों के आनुवंशिक आंकड़ों की खोज की है, जो गर्म होती धरती और सूखा पड़ने पर भी टमाटर और चावल जैसी खाद्य फसलों को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करेगा।
Photo : Wikimedia Commons
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जलवायु में हो रहे लगातार बदलाव के कारण सूखा पड़ने, भीषण बाढ़ आने की घटनाएं बढ़ रही हैं, इन परिस्थितियों में फसलों को उगाना एवं उपज को बढ़ाना कठिन होता जा रहा है। लेकिन अब कृषि वैज्ञानिकों ने फसल के पौधों के आनुवंशिक आंकड़ों और नए जीन की खोज कर इस समस्या से निजात पाने का तरीका विकसित किया है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पौधों के आनुवंशिक आंकड़ों की खोज की है, जो गर्म होती धरती और सूखा पड़ने पर भी टमाटर और चावल जैसी खाद्य फसलों को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करेगा। पिछले दशकों में शोध दल ने फसल की जड़ों का एक आणविक एटलस बनाने की मांग की थी, जहां पौधे स्वयं पहले सूखे और अन्य पर्यावरणीय खतरों के प्रभावों का पता लगाते हैं। ऐसा करते हुए, उन्होंने ऐसे जीन का खुलासा किया, जिनका उपयोग वैज्ञानिक इन तनावों से पौधों की रक्षा के लिए कर सकते हैं।  

शोध में उन्होंने आनुवंशिक आंकड़ों के आधार पर जड़ के कार्यों की समझ हासिल की, क्योंकि इसमें टमाटर की जड़ों की विभिन्न कोशिकाओं को घर के अंदर और बाहर दोनों जगह उगाया गया था।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसी) के प्रोफेसर ऑफ प्लांट बायोलॉजी और सह-शोधकर्ता नीलिमा सिन्हा ने कहा कि अक्सर शोधकर्ता इन्हें उगाने के लिए प्रयोगशाला और ग्रीनहाउस का प्रयोग करते हैं, जबकि किसान इसे सीधे खेत में उगाता है। से निजात पाने का तरीका विकसित किया है।  हमने क्षेत्र के इन आंकड़ों के आधार पर नमूनों को भी देखा   

एक बार जीन के आंकड़े के बारे में जानकारी मिलने के बाद यह जीन पौधे को तीन प्रमुख चीजें बनाने के लिए कहता है। जाइलम खोखले, पाइप की तरह होते हैं जो पानी और पोषक तत्वों को जड़ों से लेकर अंकुर तक ले जाते हैं। जाइलम के बिना, पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान अपना भोजन नहीं बना सकते हैं।

यूसी डेविस में जीव विज्ञान के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता सिओभान ब्रैडी ने कहा कि जाइलम सूखे के साथ-साथ खारे पानी और अन्य तनावों के खिलाफ पौधों को अलग करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पौघे के जाइलम में खनिज के बिना, इसके फसलों से मनुष्यों और अन्य जानवरों को बहुत कम विटामिन और पोषक तत्व मिलेंगे। जाइलम बनाने के लिए आवश्यक कुछ विशिष्ट चीजों के अलावा, नए और आश्चर्यजनक जीन पाए गए।  

जीन का दूसरा प्रमुख समूह जो एक जटिल कार्बनिक पॉलीमर होता है, यह कई पौधों की कोशिका भित्ति में जमा हो जाता है, जिससे वे कठोर बन जाते हैं जिसे लिग्निन कहा जाता है और यह सुबेरिन का उत्पादन करने के लिए जड़ की बाहरी परत को निर्देशित करते हैं। कॉर्क में सुबेरिन प्रमुख पदार्थ है जो सूखे के दौरान एक मोटी परत जो पानी में पौधों की कोशिकाओं को घेरे रखता है।

सुबेरिन और लिग्निन पौधों के सूखे से सुरक्षा करने वाले प्राकृतिक रूप हैं और अब जब कोशिकाओं की इस विशिष्ट परत में उनके लिए एन्कोड करने वाले जीन की पहचान हुई है, तो इन यौगिकों को बढ़ाया जा सकता है।  

शोधकर्ता ने कहा मैं उत्साहित हूं कि हमने इस नमी अवरोधक परत को नियंत्रित करने वाले जीन के बारे में पता लगा लिया है। फसलों के सूखे से निपटने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।

एक पौधे की जड़ के लिए सांकेतिक चीजों में बदलने वाले जीन भी टमाटर, चावल और अरबीडॉप्सिस के बीच समान निकले, जो एक खरपतवार मॉडल जैसा पौधा है। मेरिस्टेम प्रत्येक जड़ का बढ़ता हुआ सिरा है और यह जड़ को बनाने वाली सभी कोशिकाओं का स्रोत है।

शोधकर्ता बेली-सेरेस ने कहा यह एक ऐसा भाग है जो बाकी जड़ों को बनाता है और इसके स्टेम सेल पनाहगार के रूप में कार्य करता है। यह जड़ों के गुणों को स्वयं निर्धारित करता है, जैसे कि वे कितने बड़े होंगे आदी। इसके बारे में अधिक जानकारी होने से हमें बेहतर जड़ प्रणाली विकसित करने में मदद मिल सकती है।

ब्रैडी ने समझाया कि जब किसान किसी विशेष फसल में रुचि रखते हैं, तो वे ऐसे पौधों का चयन करते हैं, जिनमें ऐसी विशेषताएं होती हैं जिन्हें देखा जा सके, जैसे कि आकार में बड़े होना, अधिक आकर्षक फलों का लगना। प्रजनकों के लिए जमीन के नीचे के गुणों वाले पौधों का चयन करना अधिक कठिन होता है जिन्हें वे देख नहीं सकते हैं।

ब्रैडी ने कहा जमीन के नीचे एक पौधे का आधा छिपा हुआ भाग, प्रजनकों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे एक पौधे को सफलतापूर्वक विकसित कर सकते हैं। एक पौधे की जड़ों में सुधार कर बदलने में सफल होने से हमें अधिक गुणों वाली फसलों को सुधारने में मदद मिलेगी।

हालांकि इस अध्ययन ने केवल तीन पौधों का विश्लेषण किया, टीम का मानना ​​है कि निष्कर्षों को अधिक व्यापक रूप से लागू किया जा सकता है। यह शोध जर्नल सेल में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ता बेली-सेरेस ने कहा, टमाटर और चावल 12.5 करोड़ से अधिक वर्षों के विकास के आधार पर अलग-अलग हैं, फिर भी हम उन जीनों के बीच समानताएं देखते हैं जो प्रमुख विशेषताओं को नियंत्रित करते हैं। संभव है कि ये समानताएं अन्य फसलों के लिए भी सही हो सकती हैं।

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