दिल्ली में प्रदूषण का प्रमुख कारण गाड़ियां हैं। तेजी से बढ़ते निजी वाहन, अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन सेवाएं और भारी भीड़ की वजह से दिल्ली का प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इस साल के अब तक के आंकड़े बताते हैं कि पराली का योगदान काफी कम रहा।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने 6 नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण पर एक व्यापक विश्लेषण जारी किया। विश्लेषण के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण के लिए स्थानीय कारक सबसे अधिक जिम्मेवार हैं और स्थानीय कारकों में वाहनों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा आधे से भी अधिक यानी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
पराली का दोष नहीं
सीएसई का विश्लेषण बताता है कि इस साल अक्टूबर में 10 से 20 तारीख के बीच दिल्ली के पीएम 2.5 में खेतों की आग का योगदान महज 0.7 था, जिससे पता चलता है कि पीएम 2.5 सांद्रता में पराली जलाने का बहुत कम हाथ है। हालांकि 22 अक्टूबर के बाद पराली जलाने का योगदान तेजी से बढ़ता पाया गया।
23 अक्टूबर को पराली जलाने का योगदान 16 फीसदी था और पीएम 2.5 का स्तर 213 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गया था जो बहुत खराब की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद, पीएम 2.5 सांद्रता उच्च बनी रही। 31 अक्टूबर को, सांद्रता 206 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी, जो 23 अक्टूबर के शिखर से केवल 3 फीसद कम है, भले ही 31 अक्टूबर को पराली जलाने का योगदान 23 अक्टूबर की तुलना में दोगुना हो गया।
आंकड़े साफ तौर से दिखाते हैं कि स्थानीय स्रोत प्राथमिक योगदानकर्ता हैं दिल्ली में पीएम2.5 का स्तर ऊंचा हो गया, क्योंकि पराली जलाने का प्रभाव न्यूनतम होने पर भी सांद्रता उच्च बनी रही। हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है और कोई भी दिन ‘अच्छी’ श्रेणी में दर्ज नहीं किया गया है।
दिल्ली के प्रदूषण में किसका योगदान है?
सीएसई ने अलग-अलग स्रोतों के प्रदूषण योगदान के साल भर के आकलन के आधार पर कहा है कि गाड़ियों की वजह से दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषण होता है। ये आकलन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, ऊर्जा अनुसंधान संस्थान और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान यानी सफर सहित कई एजेंसियों द्वारा किए गए है।
आईआईटी-कानपुर ने 2015, टेरी-एआरएआई ने 2018 और एसएएफएआर ने 2018 में किए गए अध्ययन में पाया कि पीएम2.5 में परिवहन क्षेत्र का योगदान क्रमशः 20 फीसदी, 39 फीसदी और 41 फीसदी है। आईआईटी कानपुर के अध्ययन से पता चलता है कि सर्दियों के दौरान जब शहर प्रदूषण की धुंधली धुंध की चपेट में आ जाता है और धूल की हिस्सेदारी 15 फीसदी से भी कम हो जाती है, उस दौरान वाहनों से होने वाला प्रदूषण और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
अगर केवल दिल्ली के स्थानीय स्रोतों को ही कुल माना जाए और बाहरी स्रोतों के योगदान को छोड़ दिया जाए, तो पीएम 2.5 में औसत परिवहन क्षेत्र का योगदान केवल स्थानीय स्रोतों से होने वाले प्रदूषण (51.5 फीसदी) के आधे से अधिक है। इसके बाद आवासीय (13.2 फीसदी ), दिल्ली और आसपास के उद्योगों से 11 फीसदी, निर्माण से 6.9 फीसदी, ऊर्जा से 5.4 फीसदी, अपशिष्ट जलाने से 4.7 फीसदी, सड़क की धूल से 3.7 फीसदी और दिल्ली के अन्य स्रोतों से 3.5 फीसदी है।
रोजाना 500 कारें होती हैं पंजीकृत
सीएसई ने 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के हवाले से बताया कि दिल्ली में कुल वाहनों की संख्या 79 लाख है और 2023-24 के दौरान लगभग 6.5 लाख नए वाहन जुड़े। इनमें से 90.5 फीसदी दोपहिया वाहन और कारें हैं। इस आधार पर देखा जाए तो दिल्ली में रोजाना औसतन 1100 दोपहिया वाहन और 500 निजी कारें पंजीकृत होती हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, जहां पहले से ही शहरों में पंजीकृत वाहनों की संख्या सबसे अधिक है, में प्रतिदिन लगभग 11 लाख वाहनों का आना- जाना होता है।
मांग के मुकाबले पर्याप्त बसें नहीं: बसें, जो सभी इलाकों में प्रवेश कर सकती हैं और जिनके प्रमुख प्रेरक होने की उम्मीद की जाती है, उनकी लोकप्रियता कम हो रही है। दिल्ली अभी तक 1998 के सुप्रीम कोर्ट के 10,000 बसों के निर्देश को पूरा नहीं कर पाया है। यहां जुलाई, 2024 तक, केवल 7,683 बसें मौजूद हैं, जिनमें 1970 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं। दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या सबसे अधिक है। 2019-20 से यह संख्या बढ़ने लगी है। 4000 बसें खरीद के चरण में हैं, जो आने के बाद समस्या को कम करने में मदद कर सकती हैं।
हालांकि आबादी की जरूरतों के हिसाब से बसों की संख्या बेहद अपर्याप्त है। दिल्ली में प्रति लाख जनसंख्या पर लगभग 45 बसें हैं (2011 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से)। यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट प्रति लाख जनसंख्या पर 60 बसों के सेवा स्तर के मापदंडसे काफी कम है। इसके विपरीत, कुछ वैश्विक शहरों में प्रति लाख जनसंख्या पर 90 बसे हैं, इसमें लंदन, हांगकांग (80), शंघाई (69), और सियोल (72) शामिल हैं।
दिल्ली में बस नेटवर्क की व्यापक पहुंच के बावजूद, सवारियों की संख्या उम्मीद से कम है। यह विसंगति अंतिम मील कनेक्टिविटी, पहुंच, सेवा की विश्वसनीयता और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की समग्र असुविधा जैसी चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
सीएसई ने बस स्टॉप पर बसों के इंतजार के समय पर दिल्ली परिवहन विभाग के ‘ओपन ट्रांजिट डेटा’ से उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण किया । इससे पता चलता है कि एक प्रतिशत से भी कम बस स्टॉप पर 10 मिनट का प्रतीक्षा समय और अधिकतम 5 मिनट की देरी होती है।
लगभग 50 प्रतिशत बस स्टॉप पर प्रतीक्षा समय बहुत अधिक है - 15 मिनट से अधिक। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, वार्ड-वार जनसंख्या और मार्ग-बस स्टेशन स्थानों पर आधारित गणना से पता चलता है कि 59 प्रतिशत आबादी उपलब्ध बस स्टॉप से 400 मीटर या 5 मिनट की पैदल दूरी के भीतर है। लेकिन बस सेवा मानक के अनुरूप नहीं है।
मेट्रो सेवा बढ़ रही है लेकिन अपर्याप्त है
दिल्ली में मेट्रो नेटवर्क का परिचालन नेटवर्क लगभग 351 किलोमीटर है और यहां 256 करीब स्टॉपेज हैं। महामारी के बाद मेट्रो यात्रियों की संख्या में तेजी से सुधार हुआ है। इसके अलावा, 2019-20 से, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने अपनी सवारियों की गिनती के तरीके में बदलाव किया है, अब यात्रियों द्वारा की गई अनूठी यात्राओं के बजाय उपयोग किए जाने वाले गलियारों की संख्या पर नजर रखी जा रही है। इस परिवर्तन से बसों की तुलना में सवारियों की संख्या में कमी की तुलनात्मक सीमा का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है।
पैदल व साइकिल चालकों पर ध्यान नहीं
दिल्ली में लगभग 16,170 किमी सड़क नेटवर्क है। लगभग 42 फीसदी दिल्लीवासी अपने दैनिक आवागमन के लिए पैदल और साइकिल सहित एनएमटी साधनों का उपयोग करते हैं। दिल्ली की लगभग 44 फीसदी सड़कों पर कोई फुटपाथ नहीं है, और केवल 26ः फीसदी फुटपाथ ही आईआरसी मानदंडों को पूरा करते हैं।
2018 में दिल्ली सरकार ने पैदल चलने और साइकिल चलाने को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित करने के लिए 21 सड़क खंडों की पहचान की थी। पैदल यात्रीकरण परियोजनाएं केवल करोल बाग के अजमल खान रोड और शाहजनाबाद क्षेत्र विकास परियोजना में लागू की गई हैं।
तत्काल कार्रवाई की जरूरत:
वैसे तो स्वच्छ वायु के मापदंडों को पूरा करने के लिए क्षेत्र में प्रदूषण के सभी प्रमुख स्रोतों से उत्सर्जन में गहरी कटौती की आवश्यकता है, फिर भी गतिशीलता संकट पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। गतिशीलता संकट खेतों और अन्य स्रोतों से होने वाले प्रदूषण के धुएं के पर्दे के पीछे नहीं छिप सकता।
सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में धीमी गति से वृद्धिशील परिवर्तन, एकीकरण की कमी, अक्षम अंतिम मील कनेक्टिविटी और निजी वाहनों के उपयोग के लिए छिपी हुई सब्सिडी शहर में इस गतिशीलता संकट का समाधान नहीं कर सकती है।
इसके लिए बसों, मेट्रो और उनके एकीकरण के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, इन प्रणालियों के उपयोग के लिए प्रोत्साहन और निजी वाहनों के उपयोग के लिए हतोत्साहित करने के लिए तुरंत एक गेम चेंजिंग रणनीति की जरूरत है।
तत्काल कार्रवाई के मुख्य बिंदु-
बसों के बेड़ों के नवीकरण कार्यक्रम द्वारा समर्थित महत्वाकांक्षी विद्युतीकरण लक्ष्य
स्केलेबल, एकीकृत, कनेक्टेड और विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और सेवाएँ
पैदल चलने और साइकिल चलाने का उन्नत नेटवर्क और कुशल अंतिम मील कनेक्टिविटी और कम उत्सर्जन क्षेत्र
संयम और मांग प्रबंधन उपाय (पीएमएपी, भीड़भाड़ मूल्य निर्धारण, कर उपाय आदि)
निजी परिवहन के स्वामित्व और उपयोग की वास्तविक लागत वसूल करने के लिए करों में सुधार करें
नौकरियों और घर को पास रखने के लिए सटीक योजना, दूरियां कम करें
बजट को सड़क-निर्माण से सार्वजनिक परिवहन, सक्रिय परिवहन और शून्य-उत्सर्जन गतिशीलता पर स्थानांतरित करें
शहरी माल ढुलाई पर ध्यान दें
परिवहन समाधानों के नवोन्मेषी वित्तपोषण को अपनायें
मापने योग्य और सत्यापन योग्य, मॉनीटरिंग सिस्टम को अपनाएं