सभी को पीछे छोड़ मुंगेर बना देश का सबसे प्रदूषित शहर, बद्दी में भी 276 पर पहुंचा एक्यूआई

दूसरी तरफ देश में दावनगेरे की हवा सबसे ज्यादा साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 22 दर्ज किया गया
फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)
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देश के सभी शहरों को पीछे छोड़ मुंगेर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 285 दर्ज किया गया है। प्रदूषण के मामले में बद्दी भी ज्यादा पीछे नहीं है, जहां एक्यूआई 276 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह देश के 12 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है। कल की तुलना में देखें तो देश में 'दमघोंटू' हवा वाले इन शहरों की संख्या में करीब 18 फीसदी की गिरावट आई है। देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता खराब दर्ज की गई, उनमें बागपत (213), चरखी दादरी (254), ग्रेटर नोएडा (269), गुरुग्राम (229), हनुमानगढ़ (202), खुर्जा (203), लुधियाना (221), मेरठ (212), मुजफ्फरनगर (223), नोएडा (212), पंचकुला (209), और रोहतक (211) शामिल रहे।

वहीं दूसरी तरफ देश में दावनगेरे की हवा सबसे ज्यादा साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 22 दर्ज किया गया। यदि मुंगेर में प्रदूषण की तुलना दावनगेरे से करें तो वहां हवा 13 गुणा खराब है। इसी तरह देश के 49 शहरों में हवा साफ बनी हुई है, जहां एक्यूआई 50 या उससे नीचे बना हुआ है। इन शहरों में बरेली, बेलापुर, बेलगाम, बेंगलुरु, चंद्रपुर, चिक्काबल्लापुर, चिक्कमगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, धारवाड़, गडग, गंगटोक, हावेरी, जलना, कलबुर्गी, कोहिमा, कोल्हापुर, लातूर, मदिकेरी, महाद, मीरा-भयंदर, मुंबई, मैसूर, नांदेड़, नारनौल, नासिक, ऊटी, पिंपरी-चिंचवाड़, पुणे, रामनगर, रामनाथपुरम, सांगली, सतना, शिवमोगा शामिल रहे। कल से देखें तो देश में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में साढ़े छह फीसदी का इजाफा हुआ है। इसी तरह देश के 96 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है। इनमें भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, चामराजनगर, चेन्नई, छपरा, चित्तूर, कटक, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गुम्मिडीपोंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, हसन, हावड़ा, हुबली, हैदराबाद, इम्फाल, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जालोर, जोधपुर आदि शहर शामिल हैं। कल से देखें तो देश में संतोषजनक वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 13 फीसदी का इजाफा हुआ है।

दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो कल से प्रदूषण के स्तर में चार अंकों की मामूली गिरावट आई है। इसी तरह फरीदाबाद की वायु गुणवत्ता में भी 39 अंकों का सुधार आया है। इन दोनों ही शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम बना हुआ है। इनके साथ ही देश के 70 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम है। हालांकि कल से देखें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में नौ फीसदी की गिरावट आई है। इसका मतलब स्पष्ट है कि देश में वायु गुणवत्ता में सुधार आ रहा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 14 जून 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 231 में से 49 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 96 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 13 जून 2024 यह आंकड़ा 85 दर्ज किया गया था।

72 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही। वहीं 14 शहरों बद्दी, बागपत, चरखी दादरी, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, हनुमानगढ़, खुर्जा, लुधियाना, मेरठ, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, नोएडा, पंचकुला, रोहतक में स्थिति दमघोंटू है। दूसरे शहरों की तुलना में मुंगेर (285) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया है।   

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स चार अंक गिरकर 189 पर पहुंच गया। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 165, गाजियाबाद में 197, गुरुग्राम में 229, नोएडा में 212, ग्रेटर नोएडा में 269 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'बेहतर' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 131, चेन्नई में 65, चंडीगढ़ में 152, हैदराबाद में 54, जयपुर में 112 और पटना में 148 दर्ज किया गया।

इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

अमरावती (37) सहित देश के जिन 49 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला 44, आइजोल 37, अरियालुर 43, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) 50, बागलकोट 46, बरेली 50, बेलापुर 46, बेलगाम 43, बेंगलुरु 49, चंद्रपुर 49, चिक्काबल्लापुर 25, चिक्कमगलुरु 44,  कुड्डालोर 36, दावनगेरे 22, धारवाड़ 46, गडग 41, गंगटोक 26, हावेरी 37, जलना 45, कलबुर्गी 34, कोहिमा 37, कोल्हापुर 33, लातूर 45, मदिकेरी 25, महाद 40, मीरा-भयंदर 43, मुंबई 45, मैसूर 37, नांदेड़ 48, नारनौल 48, नासिक 42, ऊटी 39, पिंपरी-चिंचवाड़ 32, पुणे 49, रामनगर 30, रामनाथपुरम 34, सांगली 25, सतना 45, शिवमोगा 48, सिलचर 40, सिलीगुड़ी 34, शिवसागर 50, सोलापुर 48, तिरुवनंतपुरम 47, थूथुकुडी 48, वाराणसी 46, विजयपुरा 42, यादगीर 26 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती, अनंतपुर, अंगुल, आरा, बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बैरकपुर, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, चामराजनगर, चेन्नई, छपरा, चित्तूर, कटक, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गुम्मिडीपोंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, हसन, हावड़ा, हुबली, हैदराबाद, इम्फाल, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, जोधपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, किशनगंज, कोलकाता, कोटा, कुंजेमुरा, मैहर, मालेगांव, मैंगलोर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, नागांव, नागपुर, नलबाड़ी, नवी मुंबई, पाली, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुचेरी, रायचुर, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सासाराम, सिरोही, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, त्रिशूर, तिरुपति, तुमकुरु, उडुपी, उज्जैन, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, वृंदावन आदि 96 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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