संसद में आज: सरकार ने माना, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या

सदन में राप्ती बाढ़, जल जीवन मिशन, गंगा प्रदूषण, फ्लोराइड नियंत्रण, शहरी विकास, वायु गुणवत्ता, मैंग्रोव संरक्षण और ई-वेस्ट प्रबंधन पर सरकार के द्वारा की जा रही पहल की जानकारी दी।
संसद में आज: सरकार ने माना, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या
Published on
सारांश
  • राप्ती नदी की बाढ़ से पिछले तीन वर्षों में 2.69 लाख से अधिक किसान प्रभावित हुए।

  • जल जीवन मिशन के तहत 81 फीसदी से अधिक ग्रामीण घरों तक नल जल पहुंच चुका है।

  • गंगा बेसिन में उत्पन्न 10,160 एमएलडी सीवेज के उपचार हेतु नई एसटीपी क्षमताएं विकसित हो रही हैं।

  • तमिलनाडु में मिष्टी के तहत बड़े पैमाने पर मैंग्रोव बहाली और नए रोपण किए गए।

  • देश में 2024-25 में उत्पन्न लगभग 14 लाख मीट्रिक टन ई-वेस्ट में से 11.5 लाख मीट्रिक टन का पुनर्चक्रण हुआ।

राप्ती नदी में बाढ़ से नुकसान

संसद के शीत सत्र का आज, चार दिसंबर, 2025 को चौथा दिन है, सदन में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति मंत्रालय में मंत्री सीआर पाटिल ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष (2022-23 से 2025-26) के दौरान राप्ती नदी में आई बाढ़ से कुल 2,69,231 किसान प्रभावित हुए। इन किसानों में मुख्य रूप से श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र और इसके आसपास के सात जिलों के किसान शामिल हैं, जिनमें बलरामपुर भी प्रमुख है।

राप्ती नदी के आसपास का क्षेत्र हर साल भारी बारिश और जलभराव के कारण बाढ़ की स्थिति का सामना करता है। इससे फसलों, कृषि भूमि, ग्रामीण ढांचे तथा आजीविका पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सरकार लगातार राहत कार्यों, बांधों की मजबूती और नदी प्रबंधन योजनाओं के माध्यम से बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के प्रयास कर रही है।

बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए सहायता राशि, फसल क्षति मूल्यांकन और पुनर्वास की योजनाएं लागू हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिर किया जा सके और आगे के खतरों को कम किया जा सके।

81.36 फीसदी घरों में नल से जल की सुविधा

हर घर नल से जल जल को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री वी सोमैया ने लोकसभा में कहा कि जब जल जीवन मिशन की शुरुआत हुई थी, तब केवल 3.23 करोड़ ग्रामीण परिवार (17 फीसदी) नल से पेयजल सुविधा से जुड़े थे।

लेकिन एक दिसंबर 2025 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 12.52 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण घरों को नल जल कनेक्शन मिल चुका है। वर्तमान में देश के 19.36 करोड़ ग्रामीण घरों में से 15.75 करोड़ (81.36 फीसदी) घरों में नल से जल की सुविधा उपलब्ध है। शेष 3.69 करोड़ घरों में जलापूर्ति कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर है।

इस योजना का उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक स्वच्छ, सुरक्षित और नियमित पेयजल उपलब्ध कराना है। इससे महिलाओं और बच्चों पर पानी लाने का बोझ काफी कम हुआ है और गांवों में स्वास्थ्य तथा स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। जल जीवन मिशन ग्रामीण भारत के जीवन स्तर में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है।

गंगा बेसिन में उत्पन्न सीवेज

सदन में उठे एक प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने कहा कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार गंगा नदी के मुख्य प्रवाह से जुड़े पांच राज्यों में कुल 10,160 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है। इसके मुकाबले मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) की क्षमता 7,820 एमएलडी है।

इस अंतर को भरने के लिए 1,996 एमएलडी क्षमता के नए संयंत्र विभिन्न चरणों में निर्माणाधीन हैं। सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी की स्वच्छता और अविरलता को सुनिश्चित करने के लिए बड़े स्तर पर कार्य कर रही है।

सीवेज प्रबंधन गंगा प्रदूषण नियंत्रण की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि बिना उपचारित सीवेज नदी में प्रदूषण बढ़ाता है। नए संयंत्रों के पूरा होने से गंगा के तटवर्ती शहरों में जल गुणवत्ता में सुधार आएगा और नदी के संरक्षण के प्रयास मजबूत होंगे।

मध्य प्रदेश के कटनी जिले में फ्लोराइड की मात्रा

एक अन्य सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में सालाना भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश के कटनी जिले के सभी 16 निगरानी वाली जगहों पर फ्लोराइड का स्तर बीआईएस मानक (1.5 एम प्रति लीटर) के भीतर पाया गया है।

यह एक अच्छा संकेत है कि जिले में पेयजल गुणवत्ता सुरक्षित है। उन्होंने आगे बताया कि जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में सुरक्षित और प्रदूषण-मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। कटनी जिले में अब कोई भी गुणवत्ता प्रभावित बस्ती नहीं बची है, क्योंकि सभी स्थानों पर सुरक्षित जलापूर्ति सुनिश्चित की जा चुकी है। यह उपलब्धि ग्रामीण जलापूर्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय है और प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा को मजबूत करती है।

अमृत 2.0 के तहत राजस्थान को आवंटित फंड

सदन में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में आज, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री तोखन साहू ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि अमृत 2.0 योजना के तहत राजस्थान राज्य को परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 3,552 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के रूप में आवंटित किए गए हैं। इनमें से 745.45 करोड़ रुपये की राशि अब तक जारी की जा चुकी है।

अमृत 2.0 शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति, सीवरेज, हरित क्षेत्र, जल निकासी व अन्य नागरिक सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए चलाया जा रहा है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह धनराशि जिला-वार नहीं, बल्कि संपूर्ण राज्य को परियोजना के आधार पर दी जाती है। इस योजना से राजस्थान के कई नगर निकायों में आधारभूत संरचना सुधर रही है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) स्थापित किया है।

यह आयोग 2021 के कानून के तहत गठित किया गया था और इसे विभिन्न एजेंसियों को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार प्राप्त है। अब तक आयोग द्वारा 95 वैधानिक निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इन निर्देशों की निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र भी बनाया गया है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक जटिल समस्या है, जिसमें विभिन्न राज्यों, परिवहन, उद्योग और मौसम संबंधी कारक जुड़े हैं। सरकार सभी हितधारकों के साथ मिलकर प्रदूषण को कम करने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है।

तमिलनाडु में मिष्टी का कार्यान्वयन

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि मिष्टी कार्यक्रम को तटीय पारिस्थितिकी और मैंग्रोव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है।

तमिलनाडु में 2022-23 से 2024-25 के बीच 95 हेक्टेयर नए मैंग्रोव लगाए गए, जबकि 250 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त मैंग्रोव क्षेत्रों को पुनर्स्थापित किया गया। इसके अलावा 52,000 पौधों का रोपण भी किया गया। उन्होंने बताया कि देशभर में कुल 22,560.34 हेक्टेयर क्षेत्र में मैंग्रोव बहाली की पहल हुई है, जिसमें तमिलनाडु का योगदान 1,082 हेक्टेयर है। राज्य ने मिष्टी के तहत राष्ट्रीय कैम्पा से किसी प्रकार के अतिरिक्त फंड की मांग नहीं की है।

ई-कचरा प्रबंधन

सदन में प्रश्नों का सिलसिला जारी रहा, एक और सवाल का जवाब देते हुए आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में सीपीसीबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश में 13,97,955.59 मीट्रिक टन ई-वेस्ट उत्पन्न हुआ, जिसमें से 11,59,228.24 मीट्रिक टन का पुनर्चक्रण किया गया।

यह आंकड़े उत्पादकों द्वारा दी गई बिक्री जानकारी और उपकरणों की औसत आयु के आधार पर तैयार किए जाते हैं। बढ़ता ई-वेस्ट देश के सामने एक प्रमुख पर्यावरणीय चुनौती है, इसलिए सरकार पुनर्चक्रण व्यवस्था को मजबूत कर रही है और जिम्मेदार ई-वेस्ट निपटान पर जोर दे रही है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in