गैस चैम्बर में तब्दील दिल्ली, ज्यादातर इलाकों में 500 के करीब एक्यूआई

दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है। वहां एक्यूआई 500 के करीब पहुंच गया है।
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है। वहां एक्यूआई 500 के करीब पहुंच गया है।

द्वारका सेक्टर 8 में जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 दर्ज किया गया। नजफगढ़ में सूचकांक 497 रिकॉर्ड किया गया। वहीं अशोक विहार, बवाना, मुंडका, और पंजाबी बाग में यह 495 तक पहुंच गया। इसी तरह नेहरू नगर, रोहिणी, वजीरपुर, आया नगर, डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, मंदिर मार्ग और पटपड़गंज में वायु गुणवत्ता का स्तर 490 के पार रहा।

कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली के अन्य इलाकों में रही, जहां एक्यूआई 450 से ऊपर बना हुआ है।

वहीं 17 नवंबर 2024 को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 441 रिकॉर्ड किया गया। वहीं पिछले दिन से तुलना करें तो इसमें 24 अंकों का इजाफा दर्ज किया गया है। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। इसके चलते दिल्ली में गैस चैम्बर जैसे हालात पैदा हो गए हैं और लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है।

देश में कुछ ऐसी ही स्थिति बहादुरगढ़ (445), भिवानी (415), और बीकानेर (403) में भी बनी हुई है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ज्यादा दर्ज किया गया है।

ताजा रुझानों के मुताबिक देश के 21 शहरों में स्थिति 'बेहद खराब' है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 301 से 400 के बीच है।

इन शहरों में बल्लभगढ़, भिवाड़ी, बुलन्दशहर, चुरू, धारूहेड़ा, दुर्गापुर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हाजीपुर, हापुड, हिसार, झुंझुनूं, जींद, नागौर, नोएडा, पानीपत, पटना, रोहतक, सीकर और सोनीपत शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में 'बेहद खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 24 फीसदी का इजाफा हुआ है।

इसी तरह देश के 46 शहरों में हवा 'खराब' बनी हुई है। इन शहरों में अगरतला, आसनसोल, बद्दी, बदलापुर, बागपत, बैरकपुर, बेगूसराय, भागलपुर, भिवंडी, भोपाल, बिहारशरीफ, बिलीपाड़ा, बोईसर, बक्सर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चरखी दादरी, छपरा, फरीदाबाद, हल्दिया, हावड़ा, जैसलमेर, जोधपुर, कैथल, कानपुर, खन्ना, खुर्जा, किशनगंज, कोलकाता, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, लुधियाना, मंडीदीप, मानेसर, मेरठ, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, पिंपरी-चिंचवाड, राजगीर, समस्तीपुर, सिंगरौली, तालचेर, टोंक, उल्हासनगर, विरार शामिल हैं।

हालांकि कल से तुलना करें तो देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की संख्या में 22 फीसदी की गिरावट आई है।

दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 275, गाजियाबाद में 362, गुरुग्राम में 310, नोएडा में 316, ग्रेटर नोएडा में 362 पर पहुंच गया है।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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