
गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 307 पर पहुंच गया है, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। यह स्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 580 फीसदी अधिक है।
दिल्ली में भी प्रदूषण बढ़ा है, जहां एक्यूआई 245 पर है।
देश के 43.5 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है, जबकि 17.2 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
आज प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 307 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना अधिक है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गाजियाबाद में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 580 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता का स्तर 254 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 53 अंकों का भारी उछाल आया है।
कल देश में नोएडा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 318 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 30 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 288 पर पहुंच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 16 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां महज 17.2 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 39.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 43.5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 27.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं सन्तोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में भी चार फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। इसी तरह मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 15.5 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
चिंता की बात यह है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 80 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दूसरी तरफ आज देश में चरखी दादरी की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 15 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 19 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 245 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो कल से प्रदूषण में कोई बदलाव नहीं हुआ है और सूचकांक 112 पर बना हुआ है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में बल्लभगढ़ (296) दूसरे जबकि नोएडा (288) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 277 अंकों के साथ भिवाड़ी चौथे स्थान पर है। ग्रेटर नोएडा-गुरूग्राम में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 272 और 260 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज दिल्ली (245) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज हापुड (236), भोपाल (233) और हनुमानगढ़ (229) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार शहर (गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और बल्लभगढ़) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां बल्लभगढ़, हापुड, भोपाल, हनुमानगढ़, पानीपत, मंडीदीप, पंचकुला, रोहतक, सागर, श्री गंगानगर, धुले, खन्ना, भरतपुर, बद्दी, नंदेसरी, जलगांव, तंजावुर, पीथमपुर, भुवनेश्वर, अंगुल, हावड़ा, फतेहाबाद, कटक, देवास, टोंक, जयपुर, किशनगंज, चंडीगढ़ आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है।
वहीं दिल्ली, बुलन्दशहर, मेरठ, बहादुरगढ़, जालौर, बिलीपाड़ा, बागपत, खुर्जा, बीकानेर, आगरा, चुरू, सीकर, कोलकाता, ग्वालियर, नागौर, कानपुर, सिंगरौली, झुंझुनूं, मुरादाबाद, मुंबई, बेलापुर, कटनी, जालंधर, पटना, सिवान, नवी मुंबई, वाराणसी, क्योंझर, रतलाम आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत आज देश के 17.2 फीसदी यानी 42 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में गंगटोक, होसुर, हुबली, कलबुर्गी, कारवार, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मोतिहारी, नागपट्टिनम, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, रामनगर, रामनाथपुरम, रानीपेट, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 27.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसी तरह संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में चार फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गया, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, जैसलमेर, झालावाड़, झांसी, कडपा, कैथल, कन्नूर, करौली, कटिहार, कोहिमा, कोल्हापुर, कुरूक्षेत्र, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 87 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन आगरा, अहमदाबाद, अलवर, अम्बाला, अंगुल, आसनसोल, बद्दी, बागपत, बहादुरगढ़, बालासोर, बारां, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेलापुर, भरतपुर, भुवनेश्वर, बीकानेर, बिलीपाड़ा, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कटक, दौसा, देवास, धनबाद, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फरीदाबाद, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जींद, जोधपुर, कानपुर, करनाल, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, किशनगंज, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मैहर, मालेगांव, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, नागौर, नागपुर, नंदेसरी, नवी मुंबई, पाली, पटियाला, पटना, पीथमपुर, रायरंगपुर, रतलाम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिवान, तालचेर, ठाणे, तंजावुर, टोंक, उदयपुर, वाराणसी, वातवा, विरार, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 15 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ आज देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 80 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है।
आज देश के जिन 18 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है, उनमें बल्लभगढ़, भिवाड़ी, भोपाल, बुलन्दशहर, दिल्ली, धुले, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हनुमानगढ़, हापुड, मंडीदीप, मेरठ, नोएडा, पंचकुला, पानीपत, रोहतक, सागर, श्री गंगानगर शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 244 में से 42 शहरों (+27.3 फीसदी) में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 96 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 15 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 92 दर्ज किया गया था।
87 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में गाजियाबाद (307) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 310 के करीब पहुंच गया। कल नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 318 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 12 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 245 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फरीदाबाद में प्रदूषण के स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज भिवाड़ी चौथे स्थान पर है, वहीं बल्लभगढ़ (296) दूसरे, जबकि नोएडा (288) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 139, गाजियाबाद में 307, गुवाहाटी में 63, गुरूग्राम में 260, नोएडा में 288, ग्रेटर नोएडा में 272 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 130 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 139, चेन्नई में 60, चंडीगढ़ में 146, हैदराबाद में 77, जयपुर में 150 और पटना में 122 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 42 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदनगर, अमृतसर, अरियालूर, आरा, बागलकोट, भिवानी, चामराजनगर, चरखी दादरी, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, डिंडीगुल, गंगटोक, होसुर, हुबली, कलबुर्गी, कारवार, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मोतिहारी, नागपट्टिनम, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, रामनगर, रामनाथपुरम, रानीपेट, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, विजयपुरा, विरुधुनगर, यादगीर शामिल हैं।
वहीं अजमेर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारबिल, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिहार शरीफ, बोईसर, ब्रजराजनगर, बक्सर, ब्यासनगर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, कोयंबटूर, दमोह, देहरादून, एलूर, गया, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, जैसलमेर, झालावाड़, झांसी, कडपा, कैथल, कन्नूर, करौली, कटिहार, कोहिमा, कोल्हापुर, कुरूक्षेत्र, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, समस्तीपुर, सांगली, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, सोलापुर, सूरत, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, उल्हासनगर, विजयवाड़ा, यमुनानगर आदि 96 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।