
देश में आज औरंगाबाद की हवा सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 273 दर्ज किया गया। इस दौरान बिहार के इस शहर की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मानकों के लिहाज से देखें तो औरंगाबाद में प्रदूषण का स्तर 508 फीसदी अधिक है। मतलब की वहां हवा में घुला जहर लोगों की बीमार बना देने के लिए काफी है। गौरतलब है कि कल प्रदूषण से ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 188 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 52 अंकों के सुधार के साथ वहां प्रदूषण का स्तर घटकर मध्यम श्रेणी में पहुंच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 14 अगस्त को जारी आंकड़ों से पता चला है कि देश के जहां 57 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 38 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 30 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 90 पर पहुंच गया है। वहीं दूसरी तरफ आज देश में नाहरलगुन की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 11 दर्ज किया गया। ऐसे में औरंगाबाद की तुलना यदि नाहरलगुन से करें तो वहां स्थिति 24 गुणा खराब है।
प्रदूषण के मामले में आज ग्रेटर नोएडा (136) दूसरे जबकि झांसी (132) तीसरे स्थान पर है। 121 अंकों के साथ गोरखपुर चौथे जबकि श्रीगंगानगर (120) पांचवें पायदान पर है।
पाली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 118 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज छपरा (114), चुरू (108), गुरूग्राम (104) और गाजियाबाद (102) शामिल हैं।
विश्लेषण में पता चला है कि आज देश में झांसी, गोरखपुर, श्रीगंगानगर आदि शहरों में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं। वहीं औरंगाबाद (बिहार), ग्रेटर नोएडा, पाली, चुरू, गाजियाबाद, गुम्मिडिपूंडी में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। गुरूग्राम में ओजोन से स्थिति खराब है।
रुझानों पर नजर डालें तो आज देश में नाहरलगुन सहित 129 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पटना, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, ऋषिकेश, राउरकेला, सागर, सहरसा, समस्तीपुर आदि शामिल हैं।
अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 32 फीसदी का इजाफा हुआ है।
विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि आज देश के छोटे-बड़े 87 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में कोहिमा, कोलकाता, कोटा, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, नलबाड़ी, नांदेड़, नोएडा, पीथमपुर, प्रतापगढ़, रायरंगपुर आदि शहर शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
इन शहरों के उलट आज देश में बरेली सहित 11 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में छपरा, चुरू, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, झांसी, पाली, श्रीगंगानगर आदि शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 50 फीसदी की गिरावट आई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 228 में से 129 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 87 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 13 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 104 दर्ज किया गया था।
11 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में औरंगाबाद (बिहार) (273) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया। कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 188 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ ही 30 अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 90 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज गोरखपुर चौथे स्थान पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा (136) दूसरे, जबकि झांसी (132) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 43, गाजियाबाद में 102, गुवाहाटी में 41, गुरूग्राम में 104, नोएडा में 88, ग्रेटर नोएडा में 136 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 41 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 49, चेन्नई में 74, चंडीगढ़ में 66, हैदराबाद में 60, जयपुर में 75 और पटना में 48 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 129 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अररिया, अरियालूर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बागलकोट, बालासोर, बारां, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, बेलगाम, बेंगलुरु, भरतपुर, भिलाई, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, बोईसर, चामराजनगर, चंद्रपुर, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दौसा, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, दुर्गापुर, गंगटोक, गुवाहाटी, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हावेरी, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, झालावाड़, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कानपुर, करूर, काशीपुर, क्योंझर, खुर्जा, किशनगंज, कोल्हापुर, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मालेगांव, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंबई, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पटना, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, ऋषिकेश, राउरकेला, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, सुआकाती, टेन्सा, ठाणे, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, तुमिडीह, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, विरुधुनगर शामिल हैं।
वहीं अहमदाबाद, अजमेर, अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, बद्दी, बागपत, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बेतिया, भागलपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, बीकानेर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कटक, दिल्ली, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, जोरापोखर, कडपा, कन्नूर, करौली, कटिहार, कटनी खन्ना, कोहिमा, कोलकाता, कोटा, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, नलबाड़ी, नांदेड़, नोएडा, पीथमपुर, प्रतापगढ़, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, तिरुचिरापल्ली, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि 87 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।