देश में भारी बारिश के बाद प्रदूषण में भी गिरावट देखी गई है। आंकड़ों पर गौर करें तो देश में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या बढ़कर 111 पर पहुंच गया है। कल की तुलना में देखें तो देश में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। अच्छी बात यह रही की देश के एक भी शहर में वायु गुणवत्ता 'खराब' नहीं रही।
आंकड़ों के मुताबिक जहां धौलपुर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित रही। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 167 दर्ज किया गया। दूसरी तरफ आइजोल में हवा सबसे ज्यादा साफ थी, वहां एक्यूआई 11 दर्ज किया गया। यदि धौलपुर के प्रदूषण की तुलना आइजोल से करें तो वायु गुणवत्ता 15 गुणा ज्यादा खराब है।
बता दें कि आईजोल की तरह ही जयपुर, जालंधर, जलगांव, कडप्पा, कलबुर्गी, कल्याण, करनाल, कारवार, काशीपुर, कटनी, कोहिमा, कोल्हापुर, कोरबा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, मदिकेरी, महाड, मंडीदीप, मांडीखेड़ा, मैंगलोर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मैसूरु, नागांव, नागपुर, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, ऊटी, पंचकुला, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रतलाम, ऋषिकेश, सागर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सीकर आदि शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहतर बना हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश के छोटे बड़े 99 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है। इन शहरों में हावेरी, हैदराबाद, इंफाल, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कानपुर, कटिहार, खन्ना, कोलार, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लातूर, लुधियाना, मालेगांव,
मानेसर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नारनौल, नवी मुंबई, नोएडा, पाली, पलवल, पटना, पीथमपुर, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजसमंद, रोहतक, राउरकेला, रूपनगर, सासाराम, सिलचर, सिंगरौली, सिरसा, शिवसागर आदि शामिल रहे। हालांकि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में 12 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो भारी बारिश के बाद एक बार फिर वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया। नतीजन दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 32 अंकों की गिरावट के साथ घटकर 64 पर पहुंच गया है। इसी तरह फरीदाबाद में भी एक्यूआई में 19 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है, जहां वायु गुणवत्ता घटकर 85 पर पहुंच गई है। कुल मिलकर इन दोनों ही शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश के नौ शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम स्तर पर है। कल से देखें तो इन शहरों की संख्या में 65 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। इन शहरों में अंबाला, धनबाद, धौलपुर, फतेहाबाद, क्योंझर, मंडी गोबिंदगढ़, मुंगेर, समस्तीपुर, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक अगस्त 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 219 में से 111 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 99 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 31 जुलाई 2024 यह आंकड़ा 113 दर्ज किया गया था। नौ शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।
दूसरे शहरों की तुलना में धौलपुर (167) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 200 के करीब पहुंच गया है। यदि दिल्ली (64) की बात करें तो वहां वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' श्रेणी में बनी हुई है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स में कल से 32 अंकों की गिरावट आई है।
दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 85, गाजियाबाद में 37, फतेहाबाद में 101, नोएडा में 52, ग्रेटर नोएडा में 60 पर पहुंच गया है।
देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 41 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'बेहतर' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 41, चेन्नई में 78, चंडीगढ़ में 48, हैदराबाद में 52, जयपुर में 45 और पटना में 59 दर्ज किया गया।
इन शहरों की हवा रही सबसे साफ
देश के जिन 111 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, आइजोल, अमरावती, अंगुल, अंकलेश्वर, अरियालुर, औरंगाबाद(महाराष्ट्र), बदलापुर, बारबिल, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, चामराजनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चरखी दादरी, छाल, छपरा, चिक्कबल्लापुर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दावनगेरे, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, गाजियाबाद, गोरखपुर, हल्दिया, हापुड, हासन, हिसार, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जलगांव, कडप्पा, कलबुर्गी, कल्याण, करनाल, कारवार, काशीपुर, कटनी, कोहिमा, कोल्हापुर, कोरबा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, मदिकेरी, महाड, मंडीदीप, मांडीखेड़ा, मैंगलोर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मैसूरु, नागांव, नागपुर, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, ऊटी, पंचकुला, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रतलाम, ऋषिकेश, सागर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सीकर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सुआकाती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरूपति, तिरुपुर, तुमकुरु, उडुपी, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर शामिल रहे।
वहीं अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती, अमृतसर, आसनसोल, बद्दी, बागलकोट, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बारीपदा, बैरकपुर, भागलपुर, भरतपुर, भिवाड़ी, भिवानी, भोपाल, बीदर, बीकानेर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, ब्यासनगर, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, दिल्ली, देवास, धारवाड़, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फरीदाबाद, गडग, गया, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडीपूंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हावेरी, हैदराबाद, इंफाल, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कानपुर, कटिहार, खन्ना, कोलार, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लातूर, लुधियाना, मालेगांव, मानेसर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, सिरसा, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, तालचेर, त्रिशूर, टोंक, उदयपुर, उज्जैन, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विरार, वृन्दावन, यमुनानगर आदि 99 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, कैसे जा सकता है समझा?
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।