क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना?

किसानों को जोखिम से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। जानते हैं इससे जुड़े 10 अहम सवालों के जवाब:
क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना?
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या है?
यह योजना वर्ष 2016 के रबी के मौसम से लागू की गई है। यह प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि आदि से फसल बर्बाद होने पर किसान को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना में प्रीमियम राशि सभी खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत व रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और हॉर्टिकल्चर फसलों के लिए 5 प्रतिशत रखी गई है। शेष प्रीमियम राशि के भुगतान के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार बराबर-बराबर योगदान करेगी। इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने 5,501 करोड़ रुपये इस वर्ष आवंटित किए हैं। हालांकि, सरकार ने खुद इसके लिए 8,800 करोड़ रुपये की जरूरत बताई थी।

यह योजना किन किसानों के लिए है?
यह योजना सभी किसानों के लिए है। यह कर्ज लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य है, जबकि अन्य किसानों के लिए स्वैच्छिक।

कौन सी दो बीमा योजनाओं को हटाकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाई गई?
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना(नैस) जो 1999 से लागू थी और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमनैस) जो 2010-11 वर्ष के रबी के मौसम से लागू थी।

भारत में कृषि बीमा का इतिहास?
वर्ष 1915 में मैसूर स्टेट ने अपने किसानों को सूखे की मार से बचाने के लिए वर्षा आधारित बीमा योजना उपलब्ध कराई थी। इसे देश का पहला कृषि बीमा माना जाता है। मध्य प्रदेश के देवास स्टेट में वर्ष 1943 में कृषि बीमा का प्रमाण मिलता है। आजाद भारत में पहली बार कृषि बीमा वर्ष 1973 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र एवं पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में शुरू किया गया। वर्ष 1985-86 में भारत सरकार ने पूरे देश के लिए व्यापक फसल बीमा योजना लागू की। आगे चलकर इसमें बदलाव आते गए और नैस, एमनैस के रूप में इसे अपनाया गया। इन सभी योजनाओं में प्रीमियम दरें ज्यादा होती थीं और सभी योजनाएं क्षेत्र आधारित थीं। ये क्षेत्र इतने बड़े होते थे कि किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता था।

नई योजना में बीमित राशि की गणना कैसे होगी?
बीमित राशि की गणना ‘स्केल ऑफ फाइनेंस’ के आधार पर होगी। यह काम जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली एक समिति करेगी। इस समिति में बैंक अधिकारी, नाबार्ड के सदस्य, कृषि अधिकारी एवं कुछ प्रगतिशील किसान सदस्य होंगे। बीमित राशि की गणना जिले में सड़कों की स्थिति, यातायात के साधन, जमीन की उर्वरता, उपज की कीमत, सिंचाई व्यवस्था, उर्वरता, बीज एवं श्रम लागत को ध्यान में रखकर की जाएगी। यह राशि विभिन्न जिलों के लिए अलग-अलग हो सकती है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पुरानी योजनाओं से किस तरह से अलग है?
नई फसल बीमा इस मायने में अलग है कि पहले की सभी योजनाओं में सरकारें अपनी हिस्सेदारी ‘दावों के निपटारे’ में दे देती थी, जो कभी समय पर नहीं होता था। इस योजना के तहत राज्य एवं केंद्र सरकार को प्रीमियम में हिस्सा देना है।

राज्य सरकारें इसे लागू क्यों नहीं करना चाहती?
राज्य सरकार द्वारा प्रीमियम पहले जमा कराने के प्रावधान के कारण राज्यों पर बोझ काफी बढ़ा है। सिर्फ रबी सीजन में बिहार को उसके कृषि बजट का लगभग 25 प्रतिशत सिर्फ बीमा प्रीमियम पर खर्च करना पड़ेगा। मध्य प्रदेश सरकार का प्रीमियम उसके कृषि बजट का लगभग 60 प्रतिशत है। इसी तरह राजस्थान सरकार की प्रीमियम में हिस्सेदारी उसके कृषि बजट का लगभग 37 प्रतिशत बैठती है। बिहार सरकार ने इस योजना को लागू करने से मना कर दिया था। बाद में केंद्र सरकार के दबाव में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे कुछ जिलों में लागू किया।

राज्यों ने इस योजना में किस तरह के बदलाव किए हैं?
राज्यों पर बढ़ते राजस्व के बोझ को देखते हुए कुछ राज्य सरकारों ने इस योजना के नियमों को तोड़-मरोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने बीमित राशि को ही कम कर दिया है जिससे प्रीमियम काफी कम हो गया। राजस्थान ने बीमा को सात हेक्टेयर जोत वाले किसानों तक सीमित कर दिया है। इससे अधिक जोत वाले किसानों को बीमा को बोझ खुद उठाना पड़ेगा। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों ने योजना की अधिसूचना ही देरी से जारी की, ताकि कम से कम किसान उन तक पहुंच कर बीमा करवा पाएं।

राज्यों ने बीमित राशि को क्यों और कैसे कम किया?
उत्तर प्रदेश ने ‘स्केल ऑफ फाइनेंस’ के तरीके को अवैज्ञानिक मानते हुए पुरानी योजना के तरीके को ही अपना लिया है। पुरानी योजना के तरीके से गणना करने से प्रीमियम काफी कम आता है। इससे राज्य सरकार अपने खुद को राजस्व बोझ से तो बचा लेगी लेिकन किसानों का नुकसान हो जाएगा। इसके लिए यह फार्मूला अपनाया जाता है।
बीमित राशि = (न्यूनतम समर्थन मूल्य) x (क्षेत्र का औसत उत्पादन)

योजना लागू करने के लिए कितनी कंपिनयां काम कर रही हैं?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करने के लिए पहले सरकार ने एक सरकारी कृषि बीमा कंपनी (एआईसीएल) और 10 निजी कंपनियों को मौका दिया था। बाद में इसमें 4 अन्य सरकारी कंपनियों को भी शामिल किया गया। अब इनकी संख्या 15 हो गई है।

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