मिसाल: जैविक किसानों के लिए मंडी लगाते हैं ये युवा

इस मंडी में भोपाल के अलावा आसपास के जिले सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद इटारसी और देवास के जैविक खेती करने वाले किसान अपनी उपज बेचने आते हैं।
अनंत मंडी में किसान सब्जी, फल, अनाज और स्थानीय शिल्प के सामान भी लाते हैं। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
अनंत मंडी में किसान सब्जी, फल, अनाज और स्थानीय शिल्प के सामान भी लाते हैं। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
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शहर और गांव की बीच बढ़ती दूरी की वजह से शहरी लोग पर्यावरण के प्रतिकूल जीवन जी रहे हैं। उनकी थाली तक रसायनों से भरा हुआ खाना पहुंच रहा है और इस वजह से कैंसर सहित कई जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही है। शहर और गांव के बीच की इस दूरी को पाटने के लिए भोपाल के कुछ युवाओं ने किसानों के लिए एक मंडी तैयार की है। इस मंडी में आसपास के वे किसान जो जैविक फसल उगाते हैं उन्हें अपनी उपज बेचने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। युवाओं की संस्था गो रुर्बन और अनंत ने मिलकर शहर के गांधी भवन में अबतक 6 अनंत मंडी का आयोजन किया है। यह मंडी हर महीने के तीसरे रविवार को लगती है।

अनंत मंडी से जुड़ी सौम्या जैन बताती हैं कि इस कार्य्रकम का उद्देश्य एक ऐसी संस्कृति की स्थापना करना है जहां किसानों को उनके उत्पाद के लिए बाजार मिल सके और शहरी लोग भी शुद्ध खाने तक पहुंच सके। सौम्या बताती हैं कि उन्होंने अपनी साथी पियूली घोष के साथ इस पहल की शुरुआत की थी, जिसकी शुरुआत में जैविक फसल उपजाने वाले किसानों के साथ शहर के युवाओं की एक बातचीत से हुई। आगे चलकर यह एक मंच बन गया जहां दोनों की जरूरत पूरा हो पा रही है। अबतक इस मंडी से 14 किसान जुड़े हैं जो कि फसलों के अलावा उससे बने उत्पाद भी लेकर आते हैं। सौम्या बताती हैं कि मंडी की खबर किसानों तक तेजी से पहुंच रही है और इसे अब हर रविवार को लगाए जाने की योजना के साथ शहर के दूसरे हिस्सों में भी इसका आयोजन हो इसकी तैयारी चल रही है।

खेत से सीधे उपभोक्ता तक

डाउन टू अर्थ ने इस मंडी में जाकर किसानों से बातचीत की। होशंगाबाद के युवा किसान प्रतीक शर्मा ने बताया कि जैविक उपज स्वास्थ्य के लिए लाभकारी तो होता ही हैं, साथ ही उसका स्वाद भी कमाल का होता है। इस मंडी के माध्यम से वे शहर के लोगों तक यही बात पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि जैविक फसल उगाने में मेहनत तो है लेकिन यह सामान्य सब्जियों से बहुत अधिक महंगी नहीं होती और कई बार तो कीमत एक जैसी ही होती है। खेत से सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने की वजह से उपभोक्ता को भी फायदा होता है।

मंडीदीप से आए किसान शरद रिनवा बताते हैं कि वे अपने खेतों में हमेशा से देसी बीज से धान और दालें उपजाते आए हैं, लेकिन अबतक उन्हें ग्राहक खोजने में काफी परेशानी आती थी। अनंत मंडी में आने वाले लोग उनसे खेती के बारे में सवाल करते हैं और इस तरह फसल बिकने के साथ-साथ लोगों खेती को लेकर संवेदनशील भी हो रहे हैं। आयुर्वेदिक फसल, नीम के तेल और हल्दी से बने उत्पाद लेकर आई रचना धींगरा बताती हैं कि इस मंडी में आने वाले लोग भारतीय जीवनशैली को समझ रहे हैं।

गांव की अदला-बदली वाली प्रथा फिर वापस आई

इस मंडी में गांव की पुरानी अदला-बदली वाली प्रथा यानि सामान के बदले कोई दूसरा सामान को भी प्रचलित करने की कोशिश हो रही है। मंडी में बीते रविवार को पहली बार 'स्वैप मार्केट' का आयोजन किया गया, जहां लोग कपड़े, स्टेशनरी, और अन्य समान लाकर बदले में कुछ और ले जा सकते हैं।

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