एमएसपी से कम कीमत पर फसल बेचने को क्यों मजबूर हैं मध्यप्रदेश के किसान

लॉकडाउन के चलते फसल की खरीद देर से शुरू हुई है, लेकिन अभी भी सरकारी खरीद में कई खामियां हैं
फोटो: विकास चौधरी
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श्योपुर जिले के बड़ौदा कृषि उपज मंडी पर किसान रामचरण मीणा ने अपना 50 क्विंटल गेहूं बेचा। उन्हें व्यापारी ने 1,694 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया। बावजूद इसके रामचरण अपना सौभाग्य मानते हैं, क्योंकि श्योपुर के ही श्योपुरकलां मंडी पर गेहूं की कीमत 1400 के करीब आ गई है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष 1925 रुपए की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का वादा किया था, लेकिन यह वादा सिर्फ सरकारी खरीद तक सिमटकर रह गया है। सरकारी खरीद में तमाम तरह की परेशानियां हैं और खरीदी का काम काफी धीमा चल रहा है। इस वजह से किसान अपनी फसल व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हैं। मध्यप्रदेश में 21 अप्रैल तक 1,57,947 किसानों से 5,61,202 मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया। सरकारी का लक्ष्य 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 10 लाख मीट्रिक टन चना, मसूर, सरसों खरीदने का है। मध्य प्रदेश में 335.46 लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है।

रामचरण मीणा के पुत्र बृजवासी मीणा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उन्होंने सरकारी खरीदी के लिए पंजीयन कराया था, लेकिन उसमें समय लग रहा है। एक तो देर से खरीदी शुरू हुई और फिर कई दिन इंतजार के बाद अब तक उनको एसएमएस नहीं आया था। सरकार ने कोविड-19 को लेकर सीमित संख्या में किसान को सरकारी खरीद केंद्र तक बुलाने के लिए एसएमएस सेवा शुरू की है। जिन्हें यह मैसेज मिलता है केवल वही फसल बेच सकते हैं। मीणा बताते हैं कि उनके ऊपर हार्वेस्टर का किराया और मजदूरों की मजदूरी का इतना भार था कि व्यापारी के हाथ फसल सस्ते में बेचना पड़ा गया। व्यापारी के मन में जो कीमत आई उसने लगा दिया। पिता-पुत्र ने मिलकर 8 एकड़ में गेहूं लगाया था, जिसकी लागत ढ़ाई लाख के करीब आई है। इस दर से बेचने पर उनकी लागत तक नहीं निकल रही है।  श्योपुर के दूसरे किसान जैसे राम लखन सूरजमल की फसल 1680, मेघराम सूरजमल को 1681 और रामहित मंशाराम को 1625 रुपए प्रतिक्विंटल का भाव मिला।

मंडी बोर्ड के द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक 21 अप्रैल को प्रदेश में तकरीबन 65 मंडियों पर किसानों ने गेहूं बेचा जिसमें से 24 मंडियों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा था। अलग-अलग क्वालिटी के गेहूं के न्यूनतम भाव की बात करें तो 21 अप्रैल को सामान्य गेहूं को कम से कम 1480 रुपए का भाव मिला जो कि 52 मंडियों पर किसानों द्वारा बेची गई। इसके अलावा गेहूं लोकवान को 1581, गेहूं पिस्सी को 1925, शरबती गेहूं को 1650 रुपए और मिल क्वालिटी की गेहूं को 1578 रुपए तक न्यूनतम भाव मिल सका। श्‍योपुर जिले के श्योपुरकलां मंडी पर किसानों को सबसे कम 1480 रुपए क्विंटल में गेहूं बेचना पड़ा।

मध्यप्रदेश में चने को भी समर्थन मूल्य से काफी कम भाव मिल रहा है। आंकड़ों के मुताबिक सामान्य चना 22 मंडियों पर 3,355 रुपए क्विंटल बिका, जबकि कांटा चने की कीमत 3,700 रुपए लगाई गई। देसी चना को 3,405 रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम मूल्य मिला। चने की अधिकतम कीमत मध्यप्रदेश में 5800 रुपए तक पहुंची, हालांकि कम ही किसानों को यह कीमत मिल पाई। मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों की तरफ देखें तो स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर नजर आती है। उत्तरप्रदेश मंडी के आंकड़ों के मुताबिक में चना 4990 रुपए प्रति क्विंटल और गेहूं 1930 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। महाराष्ट्र में गेहूं को 1977 रुपए प्रति क्विंटल और चने को 3923 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा रहा है।

यहां मिली फसल की कम कीमत

मंडी का नाम-       गेहूं की न्यूनतम कीमत

कन्नोद, देवास-         1643

मोमनबडोदिया, शाजापुर- 1578

शुजालपुर, शाजापुर-      1580

सोयतकलां, शाजापुर-     1630

मुंगावली, अशोकनगर-    1645

राघौगढ़, गुना-          1600

श्‍योपुरकलां, श्योपुर-      1480

खनियाधाना, शिवपुरी-    1620

बदरवास, शिवपुरी-       1600

बैतूल-                1581

गंजबासौदा , विदिशा-     1600

(स्त्रोत- मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड)

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