उत्‍तर प्रदेश: गेहूं क्रय केंद्रों पर ऐसे ठगे जा रहे हैं किसान

यूपी सरकार ने 15 अप्रैल से प्रदेश में गेहूं खरीद की शुरुआत की है। सरकार ने गेहूं का न् यूनतम समर्थन मूल् य 1925 रुपए प्रति कुन् तल रखा है, लेकिन...
उत्तर प्रदेश के खरीद केंद्रों में गेहूं की खरीददारी बढ़ गई है। फोटो: रणविजय सिंह
उत्तर प्रदेश के खरीद केंद्रों में गेहूं की खरीददारी बढ़ गई है। फोटो: रणविजय सिंह
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''सरकार गेहूं का जो चाहे रेट तय कर दे, किसान को सेंटर पर 100-150 रुपए कम ही मिलना है। खरीद सेंटर चलाने वाले साफ कहते हैं कि पैसा ऊपर तक जाएगा, हम अपनी जेब से थोड़े देंगे। ऐसे हाल में हम क्‍या कर सकते हैं, सरकारी रेट से कम में बेचने को मजबूर हैं। यही हाल पिछले साल था, आगे भी रहेगा।''

उदास मन से यह बात उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के पंचखेड़ा गांव के रहने वाले किसान मंजीत सिंह (42) कहते हैं। मंजीत अपनी बात को सही साबित करने के लिए एक वीडियो भी दिखाते हैं। यह वीडियो पीलीभीत के एक गेहूं क्रय केंद्र का है, जिसमें एक किसान गेहूं बेचने के लिए सेंटर चलाने वाले व्‍यक्‍ति से गुहार लगाते दिख रहा है कि उसका गेहूं सरकार द्वारा तय न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) से कम में न खरीदा जाए।

ऐसा नहीं कि यह हाल सिर्फ पीलीभीत का है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों के किसान भी क्रय केंद्रों पर सरकारी रेट से कम में अपना गेहूं बेचने को मजबूर हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन के बीच यूपी सरकार ने 15 अप्रैल से प्रदेश में गेहूं खरीद की शुरुआत की है। सरकार ने गेहूं का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य 1925 रुपए प्रति कुन्‍तल रखा है।

उत्‍तर प्रदेश के अपर मुख्‍य सच‍िव गृह अवनीश अवस्‍थी ने 18 अप्रेल को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके बताया कि ''अब तक 5154 क्रय केंद्रों पर करीब  33,158.68 मीट्र‍िक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। गेहूं के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य 1925 रुपए प्रति कुन्‍तल के आधार पर 6.287 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया जा चुका है।

इससे साफ होता है कि सरकार अपनी ओर से गेहूं का रेट 1925 रुपए प्रति कुन्‍तल दे रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि गड़बड़ी कहां से हो रही है? इस सवाल का जवाब यूपी के कानपुर जिले के वीरपूर गांव के किसान मंगल सिंह (31) देते हैं। मंगल बताते हैं, ''क्रय केंद्र चलाने वाले सीधे तौर पर 100 से 150 रुपए कम देने की बात कहते हैं। इसके पीछे वो लेबर चार्ज से लेकर गोदाम तक गेहूं पहुंचाने की बात बनाते हैं। अगर किसान नहीं मानता तो कोई न कोई बहाना बनाकर उसकी गेहूं से भरी गाड़ी तौलेंगे ही नहीं। अब किसान का गाड़ी का भी भाड़ा लग रहा है तो इस स्‍थ‍ित‍ि में किसान को जो मिलता है, उस रेट में वो बेच देता है।''

मंगल बताते हैं, ''ऐसा भी नहीं कि किसानों को रसीद कम रेट की मिलती है। रसीद में सरकारी रेट ही दर्ज किया जाता है। हां, गेहूं की तौल में से क्रय केंद्र वाले अपना हिस्‍सा काट लेते हैं।'' जो बात मंगल बता रहे हैं, ठीक यही बात मंजीत स‍िंह और दूसरे किसान भी बताते हैं। उनके मुताबिक,  क्रय केंद्रों पर रसीद तो 1925 रुपए कुन्‍तल के हिसाब से ही दी जा रही है, लेकिन एक कुन्‍तल के पीछे करीब 6 से 7 किलो गेहूं क्रय केंद्र चलाने वाले रख लेते हैं। 

यह तो हुई बात कि किसानों को क्रय केंद्रों पर एमएसपी से कम दाम मिल रहा है। इसके अलावा भी किसान के सामने गेहूं बेचने को लेकर कई समस्‍याएं आ रही हैं। जैसे किसानों को सरकारी रेट पर गेहूं बेचने से पहले ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन कराना है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से साइबर कैफे बंद हैं और रजिस्‍ट्रेशन को लेकर किसान परेशान हैं।

ऐसी ही परेशानी का सामना उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पानापार गांव के रहने वाले जंयती प्रसाद शुक्‍ला को करना पड़ा। उन्‍हें करीब 10  कुन्‍तल गेहूं बेचना है, लेकिन इसके लिए उन्‍हें रजिस्‍ट्रेशन कराना था। जयंती प्रसाद लगातार तीन दिन तक पास के ही बाजार में दौड़े तब जाकर उनका रजिस्‍ट्रेशन हो पाया। कुछ ऐसा ही हाल अलग-अलग जिलों के किसानों का भी है।

इसके अलावा यह भी न‍ियम है कि अगर किसी किसान को 100 कुन्‍तल से ज्‍यादा गेहूं बेचना है तो इसके ल‍िए उपज‍िलाध‍िकारी से सत्‍यापन कराना होगा। ऐसी स्‍थ‍िति में कई किसान सत्‍यापन कराने की भागा दौड़ी से बचने के लिए क्रय केंद्रों पर कम गेहूं बेच रहे हैं।

कुछ ऐसा ही वीरपूर गांव के किसान मंगल सिंह भी कर रहे हैं। मंगल इस बार 90 कुन्‍तल गेहूं ही क्रय केंद्र पर बेचेंगे ताकि वो सत्‍यापन कराने की जुगत से बच सकें। मंगल बताते हैं, प‍िछले साल सत्‍यापन कराने के ल‍िए बहुत दौड़ भाग की थी। इस बार मेरी हिम्‍मत नहीं कि यह सब करूं, 90 कुन्‍तल यहां बेचूंगा जो बचेगा खुले बाजार में आढ़ति‍यों को बेच दूंगा।'' खुले बाजार में गेहूं बेचने पर मंगल को प्रति कुन्‍तल 350 से 400 रुपए का नुकसान होना तय है।

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