पंजाब में गेहूं बेचने वाले किसानों को कैसे होगा भुगतान, नहीं हुआ तय

मार्च में एफसीआई ने पंजाब सरकार से एमएसपी के सीधे और ऑनलाइन भुगतान के लिए किसानों के भूमि रिकॉर्ड मांगे थे, पर राज्य सरकार ने अब तक उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है
पंजाब में गेहूं बेचने वाले किसानों को कैसे होगा भुगतान, नहीं हुआ तय
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पंजाब में गेहूं की खरीद का मौसम महज 10 दिन दूर है, लेकिन उसकी प्रक्रिया से जुड़ी अनिश्चितताएं भी बड़ी है। गौरतलब है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने मार्च में पंजाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के सीधे और ऑनलाइन भुगतान के लिए किसानों के भूमि रिकॉर्ड मांगे थे, पर राज्य सरकार ने अब तक उसपर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यदि मौजूदा प्रथा को देखें तो अभी इसका भुगतान आढ़तियों या कमीशन एजेंटों के जरिए किया जाता है।

ऐसे में यदि राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठती है तो एफसीआई ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से कार्रवाई के निर्देश मांगे हैं। 01 अप्रैल तक राज्य सरकार ने एफसीआई को भूमि रिकॉर्ड के बारे में सूचित नहीं किया है।

अपना नाम न बताने की शर्त पर एफसीआई के एक अधिकारी ने बताया कि 'राज्य सरकार की तरफ से अब तक कुछ नहीं आया है। ऐसे में आगे क्या करना है उसके लिए हमने राज्य सरकार से दिशा निर्देश मांगे हैं|'

पंजाब कृषि उपज मंडी के नियमों के अनुसार, वर्तमान में एमएसपी का भुगतान आढ़तियों के माध्यम से किया जाता है। देश में पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है जो आधिकारिक तौर पर वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली के अनुसार किसानों को सीधे भुगतान नहीं करता है। हालांकि हरियाणा और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में भी आढ़तिया प्रणाली मौजूद है, लेकिन इन राज्यों में भुगतान सीधे किसानों को किया जाता है।

अधिकारी ने आगे बताया कि 'राज्य सरकार को अपनी कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम (एपीएमसी) में संशोधन करने की आवश्यकता है। यह बस एक दिन के भीतर अध्यादेश के जरिए किया जा सकता है। मंत्रालय पिछले दो वर्षों से प्रत्यक्ष भुगतान के लिए यह दिशानिर्देश जारी कर रहा है। उपज किसान की होती है, इसलिए आढ़तिये बीच में नहीं होनी चाहिए। उम्मीद है कि राज्य सरकार इस मुद्दे की जांच करेगी और 10 अप्रैल से पहले हमारे पास इस बारे में जानकारी आ जाएगी।'

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के पास 'अनाज खरीद' पोर्टल है, जिसमें पहले से ही 12 लाख किसान पंजीकृत हैं: "सरकार को बस इसे अपडेट करने और बैंक खातों की पुष्टि करने की आवश्यकता है।"

किसानों के सामने बड़ी समस्या यह होगी कि वो उस फसल का भुगतान कैसे लेंगे, जो उन्होंने लीज पर ली हुई जमीन पर उगाई है| हालांकि, पंजाब में जमीन पट्टे पर देना गैरकानूनी है, इसके बावजूद यह बड़े पैमाने पर होता है| लगभग 40 से 50 फीसदी किसान जमीन पट्टे पर देते हैं। तो, वो भूमि रिकॉर्ड कैसे दिखाएंगे? 

एफसीआई का कहना है कि वे हरियाणा मॉडल का अपना सकते हैं, जिसमें किसानों को भूमि रिकॉर्ड की बजाए, पट्टे पर देने के कागजात या पट्टे पर देने का वचनपत्र देने की छूट दी गई है। लेकिन पंजाब में जमीन अवैध या अनौपचारिक तरीके से भी पट्टे पर दी जा रही है, ऐसे में  किसानों के पास पट्टे पर दी गई जमीन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं होता है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के सेंटर फॉर मैनेजमेंट इन एग्रीकल्चर में प्रोफेसर सुखपाल सिंह ने बताया कि राज्य सरकार पंजाब लैंड लीजिंग एंड टेनेंसी बिल, 2019 का मसौदा लागू कर सकती है।

उन्होंने बताया कि, “सरकार इसे लागू करने के लिए कुछ समय में एक अध्यादेश पारित कर सकती है। भले ही इस मसौदे में बहुत सारे मुद्दे हैं, लेकिन किसान अपनी आय से वंचित न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ किया जा सकता है। किसान लंबे समय से सीधे भुगतान की मांग कर रहे हैं और अब, जब ऐसा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, तो राज्य सरकार इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखा रही है|”

पहली बार मार्च में जब से एफसीआई ने पंजाब को लिखा था, तबसे केंद्र और राज्य सरकार के बीच शब्दों और पत्रों का आदान-प्रदान हुआ है। हालांकि केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि वो एमएसपी के सीधे डिजिटल तरीके से भुगतान के लिए मानदंड सुनिश्चित करें, लेकिन सिंह ने केंद्र के इस कदम को ‘उकसावे’ की संज्ञा दी थी।

डाउन टू अर्थ ने खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के प्रमुख सचिव केएपी सिन्हा से यह जानने की कोशिश की कि कैसे प्रशासन उपर्युक्त मुद्दों से निपटने की योजना बना रहा है। लेकिन उन्होंने कॉल या मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया है।

एफसीआई के अधिकारी ने कहा कि अब यह राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वो इसपर कार्रवाही करे| इसमें कुछ शुरुआती समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन चीजों को शुरू करने की जरूरत ज्यादा है।

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