एक ओर जहां वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, वहीं भारत के राज्य मध्य प्रदेश में किसान अपने गेहूं की अधिक से अधिक कीमत मांग रहे हैं। ऐसा तब है, जबकि खरीद सीजन को शुरू हुए एक माह से अधिक समय बीत गया है।
अभी राज्य में किसानों को निजी व्यापारियों से 2,200 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है और आने वाले हफ्तों में कीमतों में और वृद्धि होने की उम्मीद है। गेहूं के अच्छी क्वालिटी के बदले किसानों को कहीं-कहीं 2,500 रुपये प्रति क्विंटल भी मिल रहे हैं।
जो कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक हैं।
राज्य में आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में खरीद का मौसम शुरू हो जाता है और अधिकांश खरीद इस समय (मई के मध्य) तक समाप्त हो जाती है, लेकिन इस साल अभी भी जोरदार खरीद हो रही है क्योंकि कीमतों में वृद्धि की उम्मीद के चलते किसान धीरे-धीरे किश्तों में अपनी फसल बाजार में ला रहे हैं।
ग्वालियर की डबरा मंडी के एक व्यापारी जितेंद्र गुप्ता कहते हैं कि मौजूदा रुझानों के अनुसार, कीमतें हर हफ्ते बढ़ रही हैं, कभी-कभी तो दो या तीन दिन के बाद ही कीमतें बढ़ जाती हैं। कीमतों में 50 से 60 रुपये प्रति क्विंटल में बढ़ोत्तरी हो रही है। वह बताते हैं कि पिछले हफ्ते कीमतें लगभग 2290 रुपये थीं और आज किसानों को 2350 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है।
इस मंडी में कम से कम आस-पास के तीन जिलों और उत्तर प्रदेश राज्य के कुछ आसपास के क्षेत्रों के किसानों की भीड़ देखी जाती है।
यहां के किसानों ने बताया कि पिछले साल इस समय तक खरीद लगभग पूरी हो चुकी थी, लेकिन इस बार रूस यूक्रेन संकट के बाद गेहूं की ऊंची कीमतों को देखते हुए किसान कड़ी नजर रख रहे हैं और अपनी फसल बेचने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं।
डाउन टू अर्थ ने ग्वालियर जिले की दो मंडियों में कई किसानों से बात की। किसानों ने कहा कि कीमतों में लगातार होती वृद्धि को देखते हुए उन्होंने अपनी कुल गेहूं की फसल में से आधा या एक चौथाई हिस्सा स्टॉक कर लिया है।
मसलन, ग्वालियर के उरवा गांव के किसान गब्बर सिंह जाट 12 मई को पहली बार अपनी फसल का महज 35 फीसदी हिस्सा बेचने के लिए डबरा मंडी आए थे। वह कहते हैं, "पिछले साल, मैंने अब तक अपनी पूरी फसल सरकार को बेच दी थी, लेकिन इस बार मैं अच्छी कीमत का इंतजार कर रहा हूं।"
जाट ने गेहूं की उच्च उपज वाली राज 4120 किस्म की बुआई की थी, जिससे लगभग 230 क्विंटल उपज हुई है, लेकिन 12 मई को वह 80 क्विंटल फसल लेकर डबरा मंडी आए और 2345 रुपये प्रति क्विंटल का रेट उन्हें मिला। उनकी फसल की खुली नीलामी 2280 रुपये से शुरू हुई और आखिरकार 2345 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी।
वह बताते हैं कि लगभग 10 दिन पहले कीमत 2250 रुपये प्रति क्विंटल थी और मुझे पता था कि यह बढ़ेगा। बाकी 150 क्विंटल मैं आने वाले दिनों में बेच दूंगा। उनके गेहूं की किस्म बांग्लादेश, श्रीलंका और ओमान जैसे अन्य देशों में भी निर्यात की जाती है।
मध्य प्रदेश भारत में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। राज्य में विशेष रूप से उगाई जाने वाली शरबती और कठिया (दुरुम) जैसी गेहूं की किस्मों की मांग मौजूदा संकट के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में गेहूं की फसल में कमी के कारण भी मध्य प्रदेश में कीमतें अधिक हैं।
ग्वालियर के मुरार मंडी में एक अन्य किसान बीरेंद्र पाल ने 9 मई तक अपनी 200 क्विंटल फसल का सिर्फ 25 क्विंटल 2280 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा है।
किसानों और व्यापारियों दोनों ने कहा कि निजी खरीद अगले एक महीने तक जारी रहेगी। ग्वालियर की मुरार मंडी के एक गेहूं व्यापारी आशीष पटेल ने कहा कि अभी भी बहुत सारी फसल है जो बाजार में आना बाकी है। खरीद मजबूत होगी और कीमतें और बढ़ेंगी।
पंजाब और हरियाणा की तरह मध्यप्रदेश में भी सरकारी खरीद में तेजी से गिरावट आई है क्योंकि निजी व्यापारियों द्वारा दी जाने वाली कीमत से एमएसपी काफी कम है। डबरा मंडी के अधिकारियों ने बताया कि मंडी में 12 मई तक बिकने वाले सभी 11 लाख टन गेहूं की खरीद निजी व्यापारियों ने कर ली है।
कुल मिलाकर, 30 अप्रैल, 2022 तक, सरकारी एजेंसियों ने राज्य में 34.04 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो 2021-22 के विपणन सत्र में 128.16 लाख टन की खरीद से बहुत कम है।