क्या अगली महामारी वैश्विक खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि दक्षिण अमेरिका में गेहूं की फसल को नष्ट करने वाला फफूंद 'मैगनापोर्टे ओरिजे' दुनिया भर में फैल सकता है। गेहूं की फसल में इस फफूंद के लगने से "व्हीट ब्लास्ट" नामक बीमारी लग जाती है।
यह रोग फसलों को कितना नुकसान पहुंचा सकता है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस रोग से बचने के लिए फसलों को जला दिया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह रोगजनक 'मैगनापोर्टे ओरिजे' दक्षिण अमेरिका से अफ्रीका और एशिया में पहुंचा है। तीनों महाद्वीपों में फंगस के नमूनों के जीनोमिक विश्लेषण से पता चला है कि यह फंगस एक ही परिवार का हिस्सा हैं। इस रिसर्च के नतीजे 11 अप्रैल 2023 को जर्नल प्लोस बायोलॉजी में प्रकशित हुए हैं।
ऐसे में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यह फंगस दुनिया में कहीं भी गेहूं की फसलों को अपना निशाना बना सकता है। इतना ही नहीं यह फफूंद नाशकों के प्रति भी प्रतिरोध पैदा कर सकता है। सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि यह फंगस केवल गेहूं ही नहीं बल्कि अन्य प्रमुख खाद्य फसलों को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता निकोलस जे टैलबोट का कहना है कि, "यह बहुत ही गंभीर बीमारी है। जो दुनिया के कुछ सबसे कमजोर हिस्सों में गेहूं की फसल के लिए बड़ा खतरा है।" उनके अनुसार यह ऐसी बीमारी ही जो पूरी दुनिया में फैल सकती हैं।
देखा जाए तो गेहूं उन सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों में से एक है, जिसपर 'ब्लास्ट' महामारी का खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पौधों में लगने वाली इन बीमारियों का प्रकोप पूरी दुनिया में खाद्य सुरक्षा को खतरा में डाल रहा है। ऐसे में इनसे निपटने के लिए इन रोगजनकों के विकास को समझना बहुत जरूरी है।
जीनोमिक निगरानी इनकी जल्द और सटीकता से पहचान में मदद करती है, जिससे बीमारी की उत्पत्ति का पता चल सकता है। जो इससे बचाव सम्बन्धी रणनीति में मददगार हो सकती है।
केवल गेहूं ही नहीं अन्य खाद्य फसलों को भी प्रभावित कर सकता है फंगस
वैज्ञानिकों के अनुसार 'मैगनापोर्टे ओरिजे' आमतौर पर जंगली और उगाई जाने वाली घासों से संबंधित पौधों जैसे गेहूं और धान को संक्रमित करता है। शोधकर्ताओं ने पहली बार 1980 के दशक में ब्राजील में गेहूं की फसलों में इस रोगजनक के लगने का पता लगाया था। तब से यह फंगस पूरे दक्षिण अमेरिका में फैल चुका है। कुछ क्षेत्रों में तो स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि इस फंगस ने पूरी फसल को ही नष्ट कर दिया था।
इसके बाद 2016 में बांग्लादेश में इस रोगजनक व्हीट ब्लास्ट का पहला प्रकोप सामने आया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह दक्षिण अमेरिका में फैल चुके फंगस से ही सम्बंधित था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2016 में बांग्लादेश में इस बीमारी के चलते उपज को 51 फीसदी का नुकसान हुआ था।
इसके दो साल बाद जाम्बिया में गेहूं की फसल में इस फंगस के प्रकोप का पता चला था, जो पहला मौका था जब अफ्रीका में एम ओरेजा का पता चला था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह बांग्लादेश या फिर दक्षिण अमेरिका से जाम्बिया पहुंचा था।
अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस रोगजनक की उत्पत्ति को समझने के लिए फंगस 'मैगनापोर्टे ओरिजे' के 500 से भी ज्यादा सैम्पल्स का विश्लेषण किया है। साथ ही उन्होंने अलग से 71 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग भी की है। पता चला है कि 2016 में बांग्लादेश और 2018 में जाम्बिया में सामने आए व्हीट ब्लास्ट फंगस दक्षिण अमेरिका में फैल चुकी इस बीमारी के वंश की अलग-अलग शाखाओं से संबंधित थे।
इस बारे में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में आनुवंशिकीविद और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता हर्नान बर्बानो का कहना है कि इससे पता चलता है कि दक्षिण अमेरिका से व्हीट ब्लास्ट के यह स्ट्रेन स्वतंत्र रूप से अफ्रीका और एशिया पहुंचे हैं। जो दर्शाता है कि लोग रोगजनकों को किस तरह इधर से उधर पहुंचा रहे हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमित बीजों का आयात प्रकोप का एक संभावित स्रोत है। गौरतलब है कि बांग्लादेश में इस बीमारी के फैलने से पहले उसने ब्राजील से बड़ी मात्रा में गेहूं के बीज प्राप्त किए थे। लेकिन यह उसकी उत्पत्ति के बारे में सटीक जानकर नहीं देते, क्योंकि यह वंश ब्राजील के साथ-साथ बोलीविया में भी पाया गया था।
इस बारे में बंगाबंधु शेख मुजीबुर रहमान कृषि विश्वविद्यालय और इस अध्ययन से जुड़े एक शोधकर्ता तोफज्जल इस्लाम ने बताया कि पूरे बांग्लादेश में इस बीमारी के प्रसार पर निगरानी रखने के लिए इससे जुड़ी जीनोमिक जानकारियों का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही उनकी टीम गेहूं की उन फसलों पर भी ध्यान दे रहें हैं जो इस बीमारी के प्रति प्रतिरोधी होती हैं।
जीनोमिक विश्लेषण ने इससे जुड़े खतरों को भी उजागर किया है। रिसर्च के मुताबिक प्रकोप के लिए जिम्मेवार फंगस कुछ विशेष कवक नाशियों के प्रति अतिसंवेदनशील है, लेकिन प्रयोगशाला में किए प्रयोगों से पता चला है कि इनमें सहज म्युटेशन से प्रतिरोध पैदा हो सकता है।
गेहूं की पैदावर गिरने से बिगड़ सकता है खाद्य संतुलन
रिसर्च के मुताबिक जो स्ट्रेन स्वयं क्लोनिंग द्वारा विकसित होता है, वो फंगस मैगनापोर्टे ओरिजे के किसी दूसरे वंश के साथ मिलकर नए लक्षण प्राप्त कर सकता है। शोधकर्ताओं को पता चला है कि व्हीट ब्लास्ट स्ट्रेन, अफ्रीका में बाजरे की फसलों को संक्रमित करने वाले किसी और 'मैगनापोर्टे ओरिजे' स्ट्रेन के साथ मिलन कर सकता है।
एक अन्य अध्ययन के मुताबिक गेहूं की फसल में लगने वाले कीटों और रोगों के कारण उपज को औसतन 21 फीसदी से ज्यादा का नुकसान होता है। ऊपर से जलवायु और बारिश के पैटर्न में आता बदलाव, तापमान में होती वृद्धि भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रही है जिससे खाद्य सुरक्षा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
देखा जाए तो इन सब के चलते करोड़ों लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे पहले देर हो जाए इस रोगजनक व्हीट ब्लास्ट को खत्म करने के प्रयास किए जाने चाहिए।